Fevikwik eye injury in Odisha school: ओडिशा के कंधमाल जिले में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है। एक सरकारी आदिवासी कल्याण आवासीय विद्यालय के आठ छात्रों की आंखों में उनके ही कुछ सहपाठियों ने फेविक्विक (मजबूत चिपकाने वाला) डाल दिया। घटना शुक्रवार को सलागुड़ा स्थित सेवाश्रम स्कूल में हुई। सभी छात्र लगभग 12 वर्ष के हैं और कक्षा 4 व 5 में पढ़ते हैं।

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घटना कैसे हुई
शुक्रवार सुबह शिक्षक प्रेमलता साहू जब हॉस्टल का निरीक्षण करने पहुंचीं, तो उन्होंने देखा कि आठ छात्र अपनी आंखें खोल नहीं पा रहे हैं। जांच करने पर पता चला कि किसी ने उनके सोते समय आंखों में फेविक्विक डाल दिया था। साहू ने तुरंत बच्चों को मदद की, उन्हें ब्रश कराया, नाश्ता खिलाया और पास के गोछपाड़ा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले गईं।
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इलाज और छात्रों की स्थिति
डॉक्टरों ने बताया कि चिपकने वाले पदार्थ ने बच्चों की आंखों को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाया, लेकिन समय पर इलाज मिलने के कारण उनकी दृष्टि स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त नहीं हुई। सात छात्रों को उन्नत उपचार के लिए फुलबानी जिला मुख्यालय अस्पताल भेजा गया, जबकि एक बच्चे को इलाज के बाद छुट्टी दे दी गई क्योंकि उसकी आंखें खुल गई थीं।
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| क्रमांक | मुख्य बिंदु | विवरण |
|---|---|---|
| 1 | ओडिशा के स्कूल में बड़ा हादसा, 8 छात्र घायल | घटना का संक्षिप्त परिचय |
| 2 | फेविक्विक डालने की घटना कैसे हुई | शरारत की पूरी जानकारी |
| 3 | छात्रों की हालत और मिला इलाज | स्वास्थ्य स्थिति और उपचार |
| 4 | जांच और प्रशासनिक कार्रवाई | पुलिस व प्रशासनिक कदम |
| 5 | सुरक्षा के प्रति जागरूकता की ज़रूरत | भविष्य में सावधानी के उपाय |
प्रारंभिक जांच और संदेह
शिक्षिका प्रेमलता साहू ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि यह कोई साजिश थी या मज़ाक में किया गया काम। “हमें नहीं मालूम कि इसके पीछे कोई आपराधिक इरादा था या बच्चों ने मज़ाक में किया। फिलहाल जांच की जा रही है,” उन्होंने कहा।
पुलिस के अनुसार, शुरुआती जांच में पता चला कि यह काम संभवतः सहपाठियों ने सोते समय किया। रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ बच्चों ने फेविक्विक डालने का दावा किया है, लेकिन सटीक वजह और जिम्मेदार छात्रों की पहचान के लिए पुलिस ने जांच शुरू कर दी है।
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प्रशासन की कार्रवाई
घटना के बाद कंधमाल जिला प्रशासन ने विद्यालय के प्रधानाध्यापक मनोरंजन साहू को लापरवाही के आरोप में निलंबित कर दिया है। साथ ही, यह पता लगाने के लिए उच्चस्तरीय जांच बिठाई गई है कि ऐसी घटना कैसे हुई।
अभिभावकों और स्थानीय नेताओं की मांग
घटना की जानकारी मिलने के बाद अभिभावक और स्थानीय लोग स्कूल पहुंचे। उन्होंने इस घटना पर कड़ा रोष व्यक्त किया और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। उनका कहना है कि बच्चों की सुरक्षा के लिए स्कूल प्रशासन को अधिक सतर्क रहना चाहिए।
यह घटना स्कूलों में सुरक्षा और सतर्कता पर गंभीर सवाल खड़े करती है। बच्चों के बीच मज़ाक या शरारत के नाम पर भी इस तरह की हरकतें बेहद खतरनाक हो सकती हैं। जिला प्रशासन ने भरोसा दिलाया है कि दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी और भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों, इसके लिए सख्त कदम उठाए जाएंगे।
