Yogi Adityanath IIT Kanpur: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को उद्योग और शिक्षा संस्थानों के बीच सहयोग बढ़ाने की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया, ताकि भारत को प्रौद्योगिकी और सतत विकास के वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित किया जा सके।
आईआईटी कानपुर में आयोजित समन्वय उद्योग-शिक्षा कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने “सहमति और समन्वय” के महत्व पर बल दिया, जो नवाचार को बढ़ावा देने और नागरिकों के जीवन स्तर को सुधारने के लिए आवश्यक है।
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मुख्यमंत्री ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), साइबर सुरक्षा, और सततता (Sustainability) जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करते हुए कहा कि इस तरह के साझेदारी न केवल नवाचार के लिए आवश्यक हैं, बल्कि वैश्विक चुनौतियों का सामना करने और एक “विकसित” और “आत्मनिर्भर” भारत बनाने के लिए भी महत्वपूर्ण हैं।

भारत की आर्थिक यात्रा का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि देश 17वीं सदी तक वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 25 प्रतिशत हिस्सा था, जो स्वतंत्रता के समय 1947 में मात्र 2 प्रतिशत रह गया था। उन्होंने हाल की सुधारों को श्रेय देते हुए कहा कि भारत अब विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है और दो वर्षों में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की संभावना है।
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आईआईटी कानपुर के छः दशकों के तकनीकी योगदान को रेखांकित करते हुए मुख्यमंत्री ने संस्थान से भारत की पहली डीप-टेक इंडिया 2025 पहल का नेतृत्व करने का आह्वान किया, जिसके लिए भूमि पहले ही आवंटित की जा चुकी है। उन्होंने साइबर सुरक्षा के प्रयासों को मजबूत करने में भी आईआईटी कानपुर के समर्थन की आवश्यकता जताई, और बताया कि अब उत्तर प्रदेश के सभी 75 जिलों में साइबर पुलिस स्टेशन और एक राज्य साइबर व फोरेंसिक संस्थान हैं।
मुख्यमंत्री ने उत्तर प्रदेश के “बिमारू” छवि से देश की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने तक के अद्भुत परिवर्तन को दर्शाया। उन्होंने कानून-व्यवस्था, निवेश में वृद्धि और अवसंरचना सुधार के उदाहरण पेश किए। बुंदेलखंड की विकास सफलता कहानियों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि वहाँ अब हर घर में नल का पानी पहुंच चुका है और कृषि आय दस गुना बढ़ गई है। उन्होंने आठ वर्षों में 240 करोड़ पौधारोपण की रिकॉर्ड संख्या का भी जिक्र किया, जिसे फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ने प्रमाणित किया है।
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योगी आदित्यनाथ ने उद्योगों से केवल लाभ के बजाय नवाचार में पुनर्निवेश को प्राथमिकता देने का आग्रह किया। उन्होंने आईआईटी कानपुर की COVID-19 महामारी के दौरान की महत्वपूर्ण भूमिका और डिफेंस कॉरिडोर तथा मेड-टेक सेंटर में योगदान की सराहना की, और कहा कि इस तरह के समन्वित प्रयास भारत को वैश्विक नेतृत्व पुनः प्राप्त करने में मदद करेंगे।

कार्यक्रम में भारत का पहला नेशनल डीप-टेक सम्मेलन, DeepTech Bharat 2025 भी आईआईटी कानपुर में लॉन्च किया गया, जिसका उद्घाटन मुख्यमंत्री ने किया। सम्मेलन में DRDO, ISRO, MeitY और 200 से अधिक वेंचर कैपिटल फर्मों की भागीदारी है। सम्मेलन में AI, सेमीकंडक्टर्स, क्वांटम तकनीक, स्पेस टेक और बायोसाइंसेज जैसे अत्याधुनिक क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया गया।
साथ ही कार्यक्रम में डीप-टेक पॉलिसी 2035, भारत का पहला डीप-टेक एक्सेलेरेटर और देश का पहला AI को-पायलट भी पेश किया गया। इस पहल का उद्देश्य उत्तर प्रदेश को भारत का पहला डीप-टेक-तैयार राज्य बनाना और राज्य को 1 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में सहायता प्रदान करना है, साथ ही टियर-2 और टियर-3 शहरों के स्टार्टअप और युवाओं के लिए अवसर सृजित करना है।
प्रमुख गणमान्य व्यक्तियों में कैबिनेट मंत्री राकेश सचान, आईआईटी कानपुर निदेशक प्रोफेसर मनींद्र अग्रवाल, TCS CTO डॉ. हैरी क्वीन और उप निदेशक प्रोफेसर ब्रजभूषण शामिल थे।
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