GST reform 2025: भारत का वस्तु एवं सेवा कर (GST) प्रणाली 2017 के बाद सबसे बड़े परिवर्तन के दौर से गुजर रही है। इसे GST 2.0 कहा गया है। यह सुधारों का एक व्यापक सेट है, जिसे 3 सितंबर को हुए 56वें जीएसटी काउंसिल की बैठक के बाद घोषित किया गया। इसका उद्देश्य कर ढांचे को सरल बनाना, अनुपालन में आसानी लाना, खपत बढ़ाना और त्योहारी सीजन से पहले आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देना है। ये बदलाव 22 सितंबर से लागू होंगे।
लाल किले से दिया गया वादा पूरा
GST 2.0 की यात्रा एक वादे के साथ शुरू हुई। स्वतंत्रता दिवस के अपने भाषण में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से अगले पीढ़ी के जीएसटी सुधारों का इरादा घोषित किया। इसे राष्ट्र के लिए एक “उपहार” बताते हुए, पीएम ने वादा किया कि ये सुधार आम जनता पर कर बोझ कम करेंगे और आर्थिक गतिविधियों को सीधे बढ़ावा देंगे। इसके बाद 3 सितंबर को जीएसटी काउंसिल की निर्णायक बैठक हुई, जहां मंत्रियों के समूह (GoM) द्वारा दरों के पुनर्संतुलन पर महीनों की चर्चा के बाद अंतिम निर्णय लिया गया।
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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक मीडिया हाउस को दिए इंटरव्यू में बताया कि इस बड़े सुधार की योजना पीएम मोदी ने आठ महीने पहले एक बातचीत में सुझाई थी, जब उन्होंने कहा कि जीएसटी नियमों और दरों में कुछ सुधार किया जाए ताकि व्यापार करना आसान हो।
तीन-स्तंभ वाला दृष्टिकोण
सुधारों के तीन मुख्य स्तंभ हैं:
- संरचनात्मक बदलाव – इन्वर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर (जहां इनपुट्स पर उत्पादों से अधिक कर लगता है) और वर्गीकरण विवाद जैसी लंबित समस्याओं का समाधान।
- दर पुनर्संतुलन – जटिल बहु-स्तरीय प्रणाली को सरल दो-स्तरीय प्रणाली में बदलना।
- जीवन और व्यापार में आसानी – प्रक्रिया सुधार ताकि अनुपालन तेज, सरल और पूर्वानुमेय हो, खासकर MSMEs और निर्यातकों के लिए।
स्लैब सरलकरण और दरों में बदलाव
सबसे बड़ा बदलाव कर स्लैब का समेकन है। पुराने स्लैब 5%, 12%, 18%, और 28% (कुछ वस्तुओं पर सेस सहित) को अब मुख्यतः दो-स्तरीय प्रणाली में बदला गया है:
- 5% मेरिट रेट – आवश्यक और सामान्य उपयोग की वस्तुएं
- 18% स्टैंडर्ड रेट – अधिकांश अन्य वस्तुएं और सेवाएं
- 40% स्पेशल रेट – पुराने 28% + सेस वाले “पाप” और लक्ज़री सामान
कुल 391 वस्तुओं की दरों में बदलाव हुआ, जिनमें से 357 वस्तुओं की दरें घटाई गईं।
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5% स्लैब में आने वाली प्रमुख वस्तुएं
अनेक रोजमर्रा की वस्तुएं सस्ती हो गई हैं, जिससे उपभोक्ताओं के पास ज्यादा पैसा रहेगा। इनमें शामिल हैं:
- खाद्य सामग्री: नमकीन, सॉस, पास्ता, इंस्टेंट नूडल्स, चॉकलेट, बटर, घी
- व्यक्तिगत देखभाल उत्पाद: साबुन, शैम्पू, हेयर ऑयल, टूथपेस्ट, टूथब्रश
- घरेलू सामान: किचनवेयर, टेबलवेयर, साइकिल
- कृषि उपकरण: ट्रैक्टर के पुर्जे, सिंचाई उपकरण, हार्वेस्टिंग मशीनरी
- स्वास्थ्य उत्पाद: डायग्नोस्टिक किट, रीजेंट, चश्मा
- नवीकरणीय ऊर्जा उपकरण: सोलर पैनल आदि
18% स्लैब में आने वाली प्रमुख वस्तुएं (28% से)
ऑटोमोबाइल और उपभोक्ता ड्यूरेबल्स सेक्टर को बड़ा राहत मिला:
- ऑटोमोबाइल: छोटी कारें, 350cc तक की मोटरसाइकिल, बस, ट्रक, एंबुलेंस, सभी ऑटो पार्ट्स
- उपभोक्ता ड्यूरेबल्स: टीवी, एयर कंडीशनर, डिशवॉशर, मॉनिटर
- बैटरी: सभी प्रकार की बैटरियां, शामिल लिथियम-आयन
40% नई दर पर वस्तुएं
इस दर में पुराने टैक्स और सेस को सम्मिलित किया गया है। इसमें शामिल हैं:
- पाप वस्तुएं: पान मसाला, सिगरेट, च्युइंग टोबैको (धीरे-धीरे लागू), एयरेटेड बेवरेज, कैफीन युक्त ड्रिंक्स
- लक्ज़री आइटम: बड़ी कारें, SUV, निजी विमान, यॉट
- सट्टा और मनोरंजन: लॉटरी, जुआ, कैसीनो, उच्च मूल्य वाली घटनाओं में प्रवेश जैसे IPL मैच
बड़ी और मिड-साइज़ कारों पर कुल टैक्स 45-50% से घटकर अब 40% हो जाएगा, जिससे कीमतों में लाखों रुपये तक की बचत संभव है।
स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान
- 33 जीवन रक्षक दवाइयां – जीरो रेट
- कई अन्य दवाइयों की दर 12% या 5% से जीरो
- कैंसर, दुर्लभ बीमारियों और पुरानी बीमारियों की 3 महत्वपूर्ण दवाइयां – जीरो रेट
- डायग्नोस्टिक किट, रीजेंट और ग्लूकोज मॉनिटरिंग सिस्टम – 5%
- चश्मे और विज़न-करैक्टिंग गॉगल्स – 28% से 5%
- व्यक्तिगत स्वास्थ्य और जीवन बीमा – जीएसटी से मुक्त (पहले 18% टैक्स)
व्यापार में आसानी
GST 2.0 प्रक्रिया सुधार भी लाता है:
- छोटे और कम जोखिम वाले आवेदकों के लिए तीन कार्यदिवस में रजिस्ट्रेशन
- 90% रिफंड निर्यातकों और इनवर्टेड ड्यूटी वाले मामलों में तत्काल जारी
- पोस्ट-सेल डिस्काउंट के लिए कानून में संशोधन – पूर्व-सप्लाई एग्रीमेंट की जरूरत खत्म
अनसुलझे सवाल और चुनौतियां
- राज्यों की चिंता: दरों में कटौती से राज्यों के राजस्व पर असर (
47,700 करोड़) - कुछ राज्य जैसे केरल की खपत उच्च दर वाली वस्तुओं पर अधिक है, इसलिए वे ज्यादा नुकसान में हो सकते हैं।
- तंबाकू उत्पादों पर सेस जारी रहेगा, जब तक राज्यों को दिए गए ऋण पूरी तरह चुक नहीं जाते।
- एनएए (National Anti-Profiteering Authority) का भविष्य अस्पष्ट; इसका पुनः सक्रिय होना चाहिए ताकि उपभोक्ताओं को लाभ मिल सके।
व्यवसायों के लिए लॉजिस्टिक चुनौती
22 सितंबर से बदलाव लागू करना एक बड़ा ऑपरेशनल चुनौती है।
- रिटेल प्राइसिंग, डिस्ट्रीब्यूटर कॉन्ट्रैक्ट और इन्वेंटरी का पुनर्मूल्यांकन
- इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर के तहत इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) की जटिलताएं
- प्रोमोशनल स्ट्रेटेजी और डिजिटल चैनल अपडेट
GST सुधार का लक्ष्य सरल संरचना और कर कटौती के माध्यम से खपत बढ़ाना, मुद्रास्फीति को रोकना और निर्माण, कृषि और स्वास्थ्य जैसे प्रमुख क्षेत्रों का समर्थन करना है। हालांकि, इस सुधार की सफलता कुशल कार्यान्वयन और राज्यों की चिंताओं का समाधान करने पर निर्भर करेगी।
GST 2.0: भारत का सबसे बड़ा टैक्स सुधार
“लाल किले से दिया गया वादा, अब आम आदमी को फायदा”
- तीन स्तंभ, एक मकसद
- संरचना में बदलाव, दरों का सरलीकरण और व्यापार में आसानी
- स्लैब की बड़ी कटौती
- 5% मेरिट रेट, 18% स्टैंडर्ड रेट, 40% स्पेशल रेट
- रोजमर्रा की चीजें हुई सस्ती
- खाना, साबुन, शैम्पू, चश्मे और सोलर पैनल अब 5% टैक्स
- ऑटो और ड्यूरेबल्स को बड़ा लाभ
- कारें, बाइक, टीवी, एयर कंडीशनर 18% टैक्स में
- लक्ज़री और पाप वस्तुएं 40%
- बड़ी SUV, यॉट, सिगरेट, जुआ और IPL टिकट
- स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान
- 33 जीवन रक्षक दवाइयां जीरो टैक्स, डायग्नोस्टिक किट 5%
- व्यापार में आसानी, तेजी से रिफंड
- तीन दिन में रजिस्ट्रेशन, 90% रिफंड प्रोविजनल
- राज्यों की चिंता और चुनौती
47,700 करोड़का संभावित राजस्व असर, Tobbaco सेस जारी
- एनएए का भविष्य अनिश्चित
- टैक्स कट का लाभ उपभोक्ताओं तक कैसे पहुंचेगा?
- व्यवसायों के लिए लॉजिस्टिक चुनौती
- प्राइसिंग, स्टॉक, डिस्ट्रीब्यूटर समझौते, ITC कम्प्लीकेशन
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