Sudhanshu Trivedi: जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर स्थित हज़रतबल दरगाह में राष्ट्रीय प्रतीक, अशोक स्तंभ, की तोड़फोड़ की खबर सामने आई है। इस घटना ने देशभर में राजनीति और सुरक्षा को लेकर नई बहस को जन्म दिया है। राष्ट्रीय बजरंग दल सहित कई संगठनों ने इस मामले में कड़ा विरोध जताया है और इसे पाकिस्तान के प्रभाव में कराए गए अलगाववादी तत्वों की गतिविधि करार दिया है।
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इस मामले पर बीजेपी के सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने टिप्पणी करते हुए कहा कि यह हमला न केवल भारत के संवैधानिक प्रतीकों के खिलाफ है बल्कि राष्ट्रीय सम्मान पर चोट भी है। उन्होंने कहा कि जो लोग राष्ट्रीय प्रतीक का अपमान करते हैं, उन्हें इस देश में रहने का कोई अधिकार नहीं है। त्रिवेदी ने राज्य की सियासी पार्टियों जैसे नेशनल कांफ्रेंस (NC) और पीडीपी (PDP) तथा उनके नेताओं ओमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ़्ती को भी निशाने पर लिया और उन पर अलगाववाद को समर्थन देने का आरोप लगाया।
जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण करते हुए ओमर अब्दुल्ला (J&K CM) ने कहा कि राज्य सरकार प्रभावित लोगों की मदद के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है। उन्होंने केंद्रीय और राज्य स्तर के अधिकारियों को निर्देश दिए कि राहत और पुनर्वास कार्य जल्द से जल्द पूरे किए जाएँ। इस दौरान उन्होंने कहा कि प्रशासन को संवेदनशील स्थलों और सरकारी संपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए।
हज़रतबल दरगाह में हुई घटना में भीड़ ने राष्ट्रीय प्रतीक को तोड़ दिया, जिससे पूरे देश में आक्रोश फैल गया। राजनीतिक और सामाजिक संगठनों ने इसकी निंदा की है और केंद्र सरकार से दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। कई नेताओं ने कहा कि ऐसे लोग, जो देश के प्रतीकों का अपमान करते हैं, उन्हें कानून के अनुसार कठोर सजा दी जानी चाहिए।
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वहीं लोकसभा नेता और कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस मामले पर बयान देते हुए कहा कि संवैधानिक प्रतीकों की सुरक्षा सभी नागरिकों का कर्तव्य है। उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार से तुरंत कार्रवाई करने की अपील की।
केरल कांग्रेस के एक ‘X’ पोस्ट ने भी इस घटना पर चिंता जताई और राष्ट्रीय प्रतीक के अपमान को लोकतंत्र के लिए खतरा बताया। इसके साथ ही, देश में GST सुधार 2025 के मुद्दे भी जारी हैं, जिन पर केंद्र सरकार और राज्य सरकारें काम कर रही हैं।
इस पूरे घटनाक्रम ने यह सवाल भी खड़ा कर दिया है कि संवैधानिक और धार्मिक स्थलों की सुरक्षा के लिए क्या पर्याप्त कदम उठाए जा रहे हैं। राजनीतिक पार्टियों और संगठनों ने सार्वजनिक रूप से इस घटना की निंदा की है और दोषियों को तुरंत गिरफ्तार करने की मांग की है।
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अंत में यह कहा जा सकता है कि राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ सिर्फ एक प्रतीक नहीं है, बल्कि यह देश के संविधान, कानून और एकता का प्रतीक है। इसे अपमानित करना देश के लिए गंभीर खतरा है। केंद्र और राज्य सरकार को मिलकर ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई करनी होगी और देशवासियों का विश्वास बनाए रखना होगा।
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