India vs Pakistan: दुबई में हुए एशिया कप मुकाबले में भारत ने पाकिस्तान को सात विकेट से रौंद डाला। मैच में बल्ले और गेंद दोनों से पाकिस्तान की हालत ऐसी रही कि स्टेडियम में बैठे उनके प्रशंसक भी चुप हो गए। लेकिन असली सुर्खी बनी वो तस्वीर, जब कप्तान सूर्यकुमार यादव ने पाकिस्तान के खिलाड़ियों से हाथ तक नहीं मिलाया।
मैच की शुरुआत से ही माहौल साफ था – टॉस पर भी न मुस्कान, न हाथ मिलाना। लगता था जैसे सूर्यकुमार पहले ही सोचकर आए हों कि आज मैदान में सिर्फ खेल होगा, दिखावटी दोस्ती नहीं।
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जीत सशस्त्र बलों के नाम, पाकिस्तान को करारा संदेश
मैच के बाद सूर्यकुमार यादव ने कहा,
“हम पहलगाम आतंकी हमले के पीड़ित परिवारों के साथ खड़े हैं। आज की जीत हम सशस्त्र बलों को समर्पित करते हैं।”
उनके शब्दों ने पाकिस्तान को अप्रत्यक्ष संदेश दिया -खेल सकते हो, लेकिन भारत के जज़्बे और शहीदों के सम्मान से बड़ा कुछ नहीं।
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पाकिस्तान की टीम – न बल्ला चला, न हिम्मत
भारत के अनुशासित स्पिनरों ने पाकिस्तानी बल्लेबाज़ों को ऐसे उलझाया कि पूरी टीम 127 रन पर ही सिमट गई। अभिषेक शर्मा ने शुरुआत में ही पाकिस्तान का सपना तोड़ दिया।
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मैदान में एकमात्र “संपर्क” तब हुआ, जब मोहम्मद नवाज़ ने तिलक वर्मा का कैच लेने की कोशिश में सूर्यकुमार से टक्कर खाई। लेकिन वहां भी – न माफी, न बातचीत। मानो भारत ने उन्हें बता दिया हो कि खेल में नियम निभाओ, मगर आदर कमाने के लिए मैदान से बाहर भी कुछ करना होगा।
दर्शक भी बोले – “ये मैच तो हमारा था!”
दुबई स्टेडियम में भारतीय दर्शक पूरे जोश में थे। “हारेगा भाई हारेगा, पाकिस्तान को हम हराएंगे” के नारों ने माहौल गर्मा दिया। पाकिस्तान के फैन्स की आवाज बस तब सुनाई दी, जब उनकी टीम कभी-कभार चौका मार पाती।
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कटाक्ष का सबक – सिर्फ क्रिकेट नहीं, आत्मसम्मान भी
पिछले दस साल से भारत-पाकिस्तान मुकाबले एकतरफा होते जा रहे हैं। पाकिस्तान के लिए ये खेल “सबसे बड़ा मुकाबला” है, पर भारत के लिए अब ये बस एक और जीत का रिकॉर्ड बन चुका है।
रविवार का मैच इस बात का गवाह है कि पाकिस्तान को अब खेल में ही नहीं, सोच में भी सुधार की ज़रूरत है। भारत ने मैदान पर जीतकर, और हाथ न मिलाकर, साफ कह दिया –
“सम्मान पाना है तो पहले अपने कर्म बदलो।”
