Kedarnath Yatra: रुद्रप्रयाग के प्रशासनिक गलियारों में शनिवार को हलचल तेज़ रही। जनपद मुख्यालय में आयोजित बैठक में अधिकारी, जनप्रतिनिधि और ज़िला प्रशासन के जिम्मेदार चेहरे एक छत के नीचे जुटे। विषय था—आपदा प्रभावित इलाक़ों में राहत और पुनर्वास के कार्यों की प्रगति का आकलन। बैठक की अध्यक्षता उत्तराखंड सरकार के कैबिनेट मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने की।

राहत कार्यों पर मंत्री का सख़्त रुख
बैठक की शुरुआत में आपदा से प्रभावित क्षेत्रों की मौजूदा तस्वीर पेश की गई। बिजली बहाली, पेयजल की आपूर्ति, चिकित्सा सेवाओं की उपलब्धता और मोटर मार्गों की अद्यतन स्थिति पर बिंदुवार चर्चा हुई। मंत्री ने स्पष्ट कहा, “जनता को हर हाल में राहत मिलनी चाहिए। आधे-अधूरे इंतज़ाम किसी सूरत में स्वीकार नहीं होंगे।”
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अधिकारियों को निर्देश दिए गए कि 30 सितम्बर तक आपदा से निपटने के लिए हर स्तर पर तैयारी मुकम्मल होनी चाहिए। नदी-नालों पर अवैध अतिक्रमण हटाने का आदेश भी बैठक में दोहराया गया।
केदारनाथ यात्रा: श्रद्धालुओं की सुरक्षा सर्वोपरि
चर्चा का अहम हिस्सा रहा – श्री केदारनाथ धाम की व्यवस्थाएं। मानसून के बाद तीर्थयात्रियों की संख्या में तेज़ी से इज़ाफा होने का अनुमान है। मंत्री ने साफ कहा कि “श्रद्धालुओं की सुरक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। यात्रा के दौरान कोई भी असुविधा नहीं होनी चाहिए।”
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यात्रा मार्गों की मरम्मत, चिकित्सीय सुविधाओं की उपलब्धता, सुरक्षा बलों की तैनाती और संचार नेटवर्क पर विशेष ध्यान देने का निर्देश दिया गया। प्रशासन को स्पष्ट संदेश दिया गया कि यात्रा के सुचारु संचालन में ज़रा सी ढिलाई भी बर्दाश्त नहीं होगी।

जनप्रतिनिधियों की सहभागिता
बैठक में रुद्रप्रयाग विधायक भारत सिंह चौधरी, केदारनाथ से विधायक आशा नौटियाल, ज़िला पंचायत अध्यक्ष पूनम कठैत, और भाजपा जिलाध्यक्ष भारत भूषण भट्ट समेत कई जनप्रतिनिधि मौजूद रहे। सभी ने ज़मीनी हालात साझा किए और राहत-पुनर्वास कार्यों में तेजी लाने पर बल दिया।
जनप्रतिनिधियों ने यह भी सुझाया कि स्थानीय समुदाय को आपदा प्रबंधन योजनाओं में सक्रिय भागीदारी दी जाए, ताकि मुश्किल वक्त में प्राथमिक मदद तुरंत पहुंच सके।
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संदेश साफ: तैयारी पुख्ता, जनता को भरोसा
बैठक के समापन पर डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि सरकार का मकसद केवल आपदा के बाद राहत देना नहीं, बल्कि ऐसी व्यवस्थाएं तैयार करना है कि भविष्य के खतरे कम से कम हों। उन्होंने अधिकारियों को याद दिलाया कि जनता की नज़रें प्रशासन पर टिकी हैं, इसलिए जवाबदेही से पीछे हटने का कोई विकल्प नहीं।
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रुद्रप्रयाग के इस समीक्षात्मक सत्र ने यह संकेत दे दिया कि आने वाले दिनों में आपदा प्रबंधन के मोर्चे पर सख़्ती और संवेदनशीलता साथ-साथ चलेगी। श्री केदारनाथ यात्रा को सुगम और सुरक्षित बनाने के लिए सरकार और प्रशासन की प्राथमिकता अब कागज़ से ज़मीन पर उतरती नज़र आनी चाहिए।
