Student SHO Ghaziabad: गाजियाबाद के थानों में गुरुवार का दिन बिल्कुल अलग नज़र आया। पुलिस की वर्दी में खड़ी थीं स्कूली छात्राएं। मिशन शक्ति अभियान के तहत प्रशासन ने हर थाने की कमान एक दिन के लिए 12वीं की छात्राओं को सौंप दी। इन छात्राओं ने न सिर्फ सलामी ली बल्कि थाने का कामकाज समझा, पार्कों में घूमते शोहदों को हड़काया और पीड़ितों को न्याय दिलाया।
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कौशांबी थाने में तृषा बनी SHO
कौशांबी थाने की कमान 12वीं की छात्रा तृषा को सौंपी गई। सुबह जैसे ही वह थाने पहुंचीं, पूरा माहौल बदल गया। पुलिस लाइन की तरह गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। महिला पुलिसकर्मियों ने आरती उतारी और फूल बरसाए। तृषा कुर्सी पर बैठीं तो सभी ने उन्हें ‘मैडम’ कहकर संबोधित किया। यह नज़ारा उन छात्राओं के आत्मविश्वास और भविष्य की ताक़त को दिखा रहा था।
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पुलिसिंग का पहला अनुभव
तृषा ने SHO की कुर्सी पर बैठकर थाने का कामकाज समझा। चौकियों का दौरा किया। कागज़ी कार्रवाई और एफआईआर रजिस्टर देखे। फिर पुलिसकर्मियों से बातचीत कर जाना कि अपराध से निपटने के लिए कितनी सतर्कता और धैर्य चाहिए।
एंटी रोमियो स्क्वॉड की कमान
थाना प्रभारी बनने के बाद तृषा एंटी रोमियो स्क्वॉड के साथ इलाके के पार्कों का दौरा करने निकलीं। यहां उन्होंने बैठी लड़कियों और लड़कों को समझाया कि सार्वजनिक स्थानों पर अनुशासन बनाए रखें। कई अकेले घूम रहे युवकों से पूछताछ की। यह दृश्य देख लोग ठहरकर देखने लगे कि कैसे एक स्कूली छात्रा पुलिस की तरह शोहदों को फटकार रही है।
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शिकायतें सुनीं, समस्याएं सुलझाईं
मिशन शक्ति के तहत हर थाने में एक छात्रा प्रभारी बनी। इन छात्राओं ने थाने पर आने वाले लोगों की शिकायतें भी सुनीं। कई मामलों में त्वरित समाधान कराया। लोनी थाने में तो एक छात्रा SHO ने साइबर ठगी के शिकार व्यक्ति को उसके पैसे भी वापस दिलवा दिए। पीड़ित ने छात्रा SHO को धन्यवाद दिया तो उनके चेहरे पर आत्मविश्वास और बढ़ गया।
आरती, सलामी और फूल बरसाए गए
तृषा जब थाने पहुंचीं तो जिस तरह से उनकी आरती उतारी गई, सलामी दी गई और फूल बरसाए गए, उसने यह संदेश दिया कि बेटियां भी किसी से कम नहीं। उन्हें अवसर मिले तो वे जिम्मेदारी भी संभाल सकती हैं और नेतृत्व भी कर सकती हैं।
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छात्राओं के लिए यादगार दिन
मिशन शक्ति अभियान का यह अनूठा प्रयोग उन छात्राओं के लिए किसी सपने से कम नहीं। तृषा और अन्य छात्राओं ने कहा कि यह अनुभव उनके जीवन में हमेशा याद रहेगा। उन्होंने महसूस किया कि पुलिस की वर्दी पहनना सिर्फ ताक़त की बात नहीं बल्कि जिम्मेदारी की भी बात है।
समाज के लिए संदेश
इस पहल से प्रशासन ने बेटियों को शक्ति और जिम्मेदारी का एहसास कराया। यह संदेश दिया कि समाज में उनकी भूमिका सिर्फ घर तक सीमित नहीं। वे थाने की कुर्सी भी संभाल सकती हैं और जनता की आवाज़ भी बन सकती हैं।
गाजियाबाद के थानों में एक दिन की SHO बनीं स्कूली छात्राओं ने दिखा दिया कि बेटियां सिर्फ किताबों में सीमित नहीं हैं। वे सलामी भी ले सकती हैं, अपराधियों को हड़काने का साहस भी रखती हैं और पीड़ितों को न्याय दिलाने की संवेदनशीलता भी। मिशन शक्ति की यह पहल बेटियों के आत्मविश्वास को नई उड़ान देती है।
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