Bihar elections 2025: बिहार दौरे पर आए शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने राजनीति में प्रवेश करने की घोषणा करते हुए कहा कि उनका मुख्य उद्देश्य गौ-माता की रक्षा करना है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म की आत्मा है। स्वामी ने कहा कि “बिहार की देशी नस्ल की गायें अब विलुप्त होने की कगार पर हैं और इसे बचाना हमारी जिम्मेदारी है।”
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स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि हमारी परंपरा और संस्कृति में गौ रक्षा का महत्व अत्यधिक है। उनके अनुसार, गाय केवल एक जानवर नहीं बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से हमारी पहचान है।
सभी 243 सीटों पर ‘गौ-रक्षक’ उम्मीदवार
स्वामी ने घोषणा की कि वे बिहार की 243 विधानसभा सीटों पर ‘गौ-रक्षक’ को उम्मीदवार के रूप में उतारेंगे। यह कदम एक प्रदर्शन का रूप है। उन्होंने कहा कि हमारी पीढ़ियों ने सभी तरीके अपनाए, लेकिन अब तक कोई राजनीतिक नेता इस समस्या का समाधान नहीं कर पाया। उन्होंने स्पष्ट किया कि अब केवल यही रास्ता बचा है।
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स्वामी ने कहा, “हमारा उद्देश्य केवल गौ-रक्षा है, राजनीति सत्ता पाने के लिए नहीं। हमारे उम्मीदवार ऐसे होंगे जो इस मुद्दे पर प्रतिबद्ध हों और समाज को इस दिशा में जागरूक करें।”
पार्टी नहीं, सहयोग या स्वतंत्र चुनाव
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने यह भी कहा कि उनके पास फिलहाल कोई राजनीतिक पार्टी नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया, “हम किसी पार्टी के साथ गठबंधन कर सकते हैं या स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ेंगे।” उनका मानना है कि राजनीतिक दलों में इस मुद्दे को लेकर पर्याप्त गंभीरता नहीं है, इसलिए उन्होंने यह अलग कदम उठाने का निर्णय लिया है।
गायों की संरक्षण की आवश्यकता
स्वामी ने कहा कि बिहार की देशी गायें आज विलुप्त होने की कगार पर हैं। उन्होंने कहा कि अगर अब कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाली पीढ़ियों को गौ-माता की सेवा और संरक्षण का मौका नहीं मिलेगा। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे मतदान के समय इस मुद्दे को गंभीरता से लें और गायों के संरक्षण के लिए वोट दें।
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स्वामी ने यह भी कहा कि गौ-रक्षा केवल धार्मिक कर्तव्य नहीं बल्कि सांस्कृतिक और पारिस्थितिकीय जिम्मेदारी भी है। गायों का संरक्षण किसानों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए भी आवश्यक है।
जनता से अपील
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने जनता से विशेष रूप से अपील की कि वे सिर्फ राजनीति के नाम पर वोट न दें, बल्कि ऐसे मुद्दों पर भी विचार करें जो हमारे समाज और संस्कृति के लिए महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि यदि लोग इस पहल में सहयोग करेंगे, तो देश की सांस्कृतिक विरासत और गायों की रक्षा सुनिश्चित की जा सकेगी। स्वामी ने कहा, “हमारा यह आंदोलन केवल चुनाव तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह एक सांस्कृतिक जागरूकता आंदोलन का रूप लेगा।” उनका मानना है कि इस कदम से समाज में गौ-रक्षा और सांस्कृतिक संरक्षण को लेकर व्यापक चर्चा होगी।
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