Bachcha Rai- बिहार की राजनीति में एक बार फिर हलचल मची है। 2016 का चर्चित बिहार बोर्ड टॉपर घोटाला देश की शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाने वाला रहा। उस मामले का मुख्य आरोपी बच्चा राय, अब विधानसभा चुनाव के मैदान में उतरने जा रहा है। और इस बार उनका साथ देने वाली पार्टी है असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM (ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन)। AIMIM ने उन्हें महुआ विधानसभा सीट से टिकट दिया है। इसके साथ ही बिहार की सियासी तस्वीर में अचानक से बदलाव आ गया है। महुआ सीट पहले से ही राजनीतिक दृष्टि से संवेदनशील मानी जाती रही है।
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AIMIM का बड़ा दांव
AIMIM ने बच्चा राय पर भरोसा जताते हुए उन्हें महुआ सीट से अपना उम्मीदवार घोषित किया। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने बच्चा राय की मुलाकात ओवैसी से करवाई। इसके बाद पार्टी ने उन्हें टिकट देने का ऐलान किया।
महुआ में अब ओवैसी की जोरदार रैली की तैयारी चल रही है। शहरभर में बच्चा राय के पोस्टर और बैनर लगे हैं, जिनमें उन्होंने खुद को “AIMIM प्रत्याशी” घोषित किया है।
ओवैसी का महुआ दौरा
6 अक्टूबर को असदुद्दीन ओवैसी महुआ पहुंचेंगे। उनके आगमन को लेकर AIMIM कार्यकर्ता और बच्चा राय समर्थक पूरी तरह से सक्रिय हो गए हैं। पार्टी की उम्मीद है कि रैली में बड़ी संख्या में लोग जुटेंगे और बच्चा राय की राजनीतिक साख को बढ़ावा मिलेगा। ओवैसी का यह दौरा सिर्फ चुनाव प्रचार नहीं, बल्कि बिहार में AIMIM की सियासी पकड़ मजबूत करने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
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कौन हैं बच्चा राय?
बच्चा राय बिहार के वैशाली जिले के भगवानपुर के निवासी हैं। वे VR कॉलेज के सचिव और प्रिंसिपल रह चुके हैं। यह वही कॉलेज है, जहाँ से 2016 में बिहार बोर्ड टॉपर घोटाला सामने आया था। इस घोटाले ने पूरे देश में बिहार की शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए थे। छात्रा रूबी कुमारी के मामले ने तो मीडिया और जनता दोनों को चौंका दिया था।
जब ‘पॉलिटिकल साइंस’ बनी ‘प्रोडिकल साइंस’
घोटाले का खुलासा तब हुआ जब कॉलेज की छात्रा रूबी कुमारी ने इंटरमीडिएट आर्ट्स में टॉप किया। मीडिया ने जब उससे Political Science के बारे में पूछा, तो उसने जवाब दिया – “प्रोडिकल साइंस, यानी खाना बनाने की पढ़ाई।” इस जवाब ने पूरे मामले को हवा दी। जांच कमेटी बनी और बच्चा राय समेत कई लोगों के खिलाफ केस दर्ज हुआ।
करोड़ों की संपत्ति जब्त, जेल की सजा भी भोगी
इस मामले की जांच के दौरान प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बच्चा राय के घर छापा मारा, जहां तीन करोड़ रुपये नकद बरामद हुए। 2018 में ईडी ने उनकी कई करोड़ की संपत्ति जब्त कर ली थी। बच्चा राय को इस केस में कई महीने जेल में रहना पड़ा और मामला अभी भी अदालत में लंबित है।
राजनीति में कदम, महुआ में हलचल
बच्चा राय का राजनीति में उतरना महुआ की सियासत में एक नया मोड़ लेकर आया है।
- वर्तमान विधायक RJD के मुकेश कुमार रौशन हैं।
- खबरें हैं कि लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव भी यहीं से चुनाव लड़ सकते हैं।
ऐसे में AIMIM का बच्चा राय पर दांव राजनीतिक समीकरण बदल सकता है।
विवादित छवि के बावजूद AIMIM की रणनीति
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि AIMIM ने बच्चा राय को मौका देकर सिर्फ महुआ में अपना प्रभाव बढ़ाने का प्रयास किया है। हालांकि, बच्चा राय की विवादित छवि, घोटाले का इतिहास और अदालत में लंबित मामले उनके सामने चुनौती बने रहेंगे। लेकिन AIMIM की यह रणनीति दिखाती है कि ओवैसी बिहार की राजनीति में छोटे-छोटे खेलों से बड़ा असर डालने का मन बना चुके हैं।
मतदाता की नजरें
अब असली सवाल यह है कि मतदाता इस फैसले पर कैसी प्रतिक्रिया देंगे।
- क्या महुआ के लोग घोटाले के आरोपी को मौका देंगे?
- या फिर RJD और तेजप्रताप यादव की लोकप्रियता भारी पड़ेगी?
यह चुनाव महुआ की सियासत के लिए निर्णायक साबित हो सकता है।
बच्चा राय का चुनावी मैदान में उतरना सिर्फ एक व्यक्ति का राजनीतिक कदम नहीं, बल्कि बिहार की राजनीति की सूक्ष्म जटिलताओं को सामने लाने वाला संकेत है। AIMIM की यह रणनीति, ओवैसी का महुआ दौरा और घोटाले का इतिहास—ये सभी मिलकर बिहार की राजनीति को एक नई दिशा दे सकते हैं। महुआ की जनता अब इतिहास, विवाद और विकास—इन सबको सोचकर मतदान करेगी। 2025 के विधानसभा चुनाव में महुआ सीट पर बनेगा सियासी इतिहास का नया अध्याय।
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