Afghanistan India Relations: जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी से मुलाकात के बाद कहा कि भारत और अफगानिस्तान के रिश्ते केवल धार्मिक या शैक्षणिक नहीं हैं, बल्कि ऐतिहासिक हैं। इस मुलाकात में मुख्य रूप से दोनों देशों के आपसी संबंधों को मजबूत करने पर चर्चा हुई और यह भी स्पष्ट किया गया कि अफगानिस्तान की ओर से भारत में कोई आतंकवादी गतिविधि नहीं होगी।
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भारत और अफगानिस्तान के ऐतिहासिक रिश्ते
मौलाना अरशद मदनी ने बताया कि भारत और अफगानिस्तान के रिश्तों की जड़ें केवल धार्मिक या शैक्षणिक सहयोग तक सीमित नहीं हैं। यह रिश्ता ऐतिहासिक और सांस्कृतिक भी है। उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वजों ने भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई में अफगानिस्तान की भूमि का सहारा लिया था। यही नहीं, अफगानिस्तान ने भी विदेशी ताकतों के खिलाफ संघर्ष किया और आज़ादी हासिल की।
मदनी ने बताया कि दोनों देशों ने अलग-अलग समय में विदेशी ताकतों—जैसे ब्रिटिश, अमेरिका और रूस—के खिलाफ संघर्ष किया और स्वतंत्रता की मिसाल पेश की। यही कारण है कि भारत और अफगानिस्तान के बीच का रिश्ता सिर्फ धार्मिक या शैक्षणिक नहीं बल्कि ऐतिहासिक और रणनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है।
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मुलाकात का उद्देश्य
मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि इस मुलाकात में कोई राजनीतिक मुद्दा शामिल नहीं था। मुलाकात का मुख्य उद्देश्य दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक, धार्मिक और शैक्षणिक संबंधों को मजबूत करना था। उन्होंने कहा कि हमारी बातचीत में यह स्पष्ट किया गया कि धार्मिक और सामाजिक सहयोग हमेशा प्राथमिकता होगी।
मदनी ने बताया कि अफगानिस्तान के विदेश मंत्री से उनकी चर्चा में यह बात सामने आई कि दुनिया के सभी देशों में धर्म से ऊपर उठकर सौहार्द और शांति बनाए रखना बहुत जरूरी है। उनका मानना है कि केवल राजनीतिक या सैन्य दृष्टिकोण से ही नहीं बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टि से भी देशों के बीच सहयोग होना चाहिए।
आतंकवाद को लेकर स्पष्ट संदेश
भारत में लंबे समय से यह शिकायत रही है कि अफगानिस्तान की जमीन से आतंकवादी भारत में भेजे जाते हैं। मौलाना अरशद मदनी ने इस संबंध में कहा कि इस मुलाकात के बाद यह साफ हो गया है कि अब अफगानिस्तान की ओर से भारत में कोई आतंकवादी गतिविधि नहीं होगी।
उन्होंने कहा कि दोनों देशों ने आपसी भरोसा और सहयोग पर जोर दिया। यह मुलाकात भारत की सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है। मौलाना मदनी ने कहा कि अफगानिस्तान के विदेश मंत्री ने साफ शब्दों में भरोसा दिलाया कि उनकी सरकार भारत में आतंकवाद फैलाने वालों को समर्थन नहीं देगी।
भारतीय मुसलमानों और दारुल उलूम देवबंद के संबंध
मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि उनकी मुलाकात अफगानिस्तान के विदेश मंत्री से भारतीय मुसलमानों और दारुल उलूम देवबंद के अफगानिस्तान से गहरे संबंध का प्रतीक है। उन्होंने बताया कि अफगानिस्तान और भारत के धार्मिक, शिक्षा और सांस्कृतिक संबंध सदियों पुराने हैं।
मदनी ने कहा कि केवल धार्मिक दृष्टिकोण से ही नहीं बल्कि ऐतिहासिक दृष्टि से भी दोनों देशों ने एक-दूसरे के साथ सहयोग किया है। उन्होंने यह भी बताया कि दारुल उलूम देवबंद और अफगानिस्तान की धार्मिक शिक्षा संस्थाएँ हमेशा आपस में संवाद और सहयोग करती रही हैं।
शिक्षा और सांस्कृतिक सहयोग
मौलाना मदनी ने कहा कि भारत और अफगानिस्तान के रिश्तों में शिक्षा और सांस्कृतिक सहयोग का बड़ा महत्व है। उन्होंने बताया कि मुलाकात में इस बात पर चर्चा हुई कि दोनों देशों के छात्र और धार्मिक शिक्षाविद एक-दूसरे के अनुभवों से सीख सकते हैं।
उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान की शिक्षा प्रणाली और धार्मिक संस्थाओं ने भारत को हमेशा प्रेरित किया है। इसी तरह, भारतीय मदरसों और शिक्षण संस्थानों ने भी अफगानिस्तान में शिक्षा और धर्म के क्षेत्र में योगदान दिया है।
भविष्य के संबंधों का मार्ग
मौलाना अरशद मदनी ने यह भी बताया कि इस मुलाकात में भविष्य में दोनों देशों के संबंधों को और मजबूत करने की बात हुई। उन्होंने कहा कि भारत और अफगानिस्तान के बीच केवल धार्मिक और शैक्षणिक संबंध ही नहीं, बल्कि राजनीतिक और सामाजिक सहयोग भी बढ़ाया जा सकता है।
मदनी ने कहा कि भविष्य में दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और शैक्षणिक कार्यक्रमों का आदान-प्रदान बढ़ाया जाएगा। इसके अलावा, आतंकवाद और हिंसा जैसी समस्याओं के खिलाफ मिलकर कदम उठाने पर भी जोर दिया गया।
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दुनिया के लिए संदेश
मौलाना मदनी ने कहा कि यह मुलाकात केवल भारत और अफगानिस्तान के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक संदेश है। उन्होंने कहा कि सभी देशों को धर्म, जाति और क्षेत्र से ऊपर उठकर आपसी सौहार्द और शांति बनाए रखनी चाहिए।
उन्होंने जोर देकर कहा कि इस तरह की बातचीत से दोनों देशों के बीच भरोसा बढ़ता है और यह आतंकवाद जैसी वैश्विक समस्याओं से लड़ने में मदद करता है।
अफगानिस्तान के विदेश मंत्री से मुलाकात के बाद मौलाना अरशद मदनी ने यह स्पष्ट किया कि भारत और अफगानिस्तान के रिश्ते केवल धार्मिक या शैक्षणिक नहीं हैं, बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से भी गहरे हैं। इस मुलाकात में आतंकवाद और आपसी सहयोग जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई।
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मदनी ने भरोसा दिलाया कि अफगानिस्तान की ओर से भारत में कोई आतंकवादी गतिविधि नहीं होगी। साथ ही, दोनों देशों ने भविष्य में शिक्षा, संस्कृति और सामाजिक सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया।
यह मुलाकात भारत-अफगानिस्तान संबंधों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है और यह दर्शाती है कि दोनों देशों का रिश्ता केवल वर्तमान तक सीमित नहीं बल्कि ऐतिहासिक और दीर्घकालिक है।
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