Ayodhya Deepotsav 2025: सप्तपुरियों में सर्वश्रेष्ठ श्री अयोध्या धाम एक बार फिर दिव्यता से आलोकित हो उठा। मां सरयू के पावन तट पर जब असंख्य दीप जल उठे, तो पूरा वातावरण भक्ति, प्रेम और उत्साह से भर गया। ‘दीपोत्सव–2025’ केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि भगवान श्रीराम के आगमन की स्मृति में मनाया जाने वाला आस्था का महासंगम है। इस बार का दीपोत्सव एक नया इतिहास रच गया-भक्ति और भारत की परंपरा का विश्व पटल पर गौरवपूर्ण प्रदर्शन।

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अयोध्या में दीपों का सागर
सूर्य अस्त हुआ, सरयू किनारे संध्या आरती का स्वर गूंजा—“जय सियाराम”! क्षण भर में ही अयोध्या दीपों से जगमगा उठी। लाखों श्रद्धालु हाथों में दीप लिए राम घाट से लेकर राम की पैड़ी तक पहुंचे। पानी में झिलमिलाते दीपों का प्रतिबिंब मानो स्वर्ग का दृश्य धरती पर उतर आया हो।
सरयू की लहरें दीपों को अपने आंचल में समेटे धीरे-धीरे बह रही थीं, और हर दीप जैसे कह रहा था—“जय श्रीराम, रामराज्य अमर रहे!”
दिव्यता से भरा हुआ वातावरण
पूरे शहर को दुल्हन की तरह सजाया गया था। राम मंदिर, हनुमानगढ़ी, कनक भवन और दशरथ महल को फूलों और रोशनी से सजाया गया।
हर गली, हर मोड़, हर द्वार से मंत्रोच्चार, शंखनाद और भक्ति गीतों की ध्वनि सुनाई दे रही थी। शहरवासियों ने अपने घरों की चौखट पर दीप जलाकर भगवान राम के आगमन का स्वागत किया। पर्यटक, श्रद्धालु और संत-सभी के चेहरों पर आस्था की वही झिलमिल रोशनी थी जो दीपों में दिख रही थी।
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राम की पैड़ी पर भव्य दृश्य
‘राम की पैड़ी’ इस अवसर पर केंद्र बिंदु बनी रही। हजारों दीपों से सजी सीढ़ियाँ, झिलमिलाती सरयू की लहरें और मंत्रोच्चार से गूंजता आकाश…
हर ओर भक्ति और आनन्द का अद्भुत संगम था। मुख्यमंत्री और राज्यपाल सहित देशभर से आए अतिथियों ने दीप जलाकर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस दौरान रामायण की झांंकिया, सांस्कृतिक नृत्य, और श्रीराम की लीला के दृश्य मंचित हुए। ड्रोन शो और लेज़र लाइट के माध्यम से आकाश में ‘जय श्रीराम’ लिखा गया, जिसे देखकर हर भक्त की आंखें गर्व और भक्ति से भर आईं।

संस्कृति और श्रद्धा का महाकुंभ
दीपोत्सव केवल अयोध्या का नहीं, बल्कि भारत की आत्मा का उत्सव है। यह त्योहार हमें यह संदेश देता है कि, ‘अंधकार पर प्रकाश की, असत्य पर सत्य की, और अधर्म पर धर्म की विजय सदा संभव है।” विभिन्न राज्यों से आए कलाकारों ने लोकनृत्य और रामकथा प्रस्तुत कर भारतीय संस्कृति का दर्शन कराया। विदेशी पर्यटकों ने भी दीप प्रज्वलित कर भारतीय अध्यात्म के प्रति अपना सम्मान प्रकट किया। पूरे आयोजन ने अयोध्या को न केवल धार्मिक राजधानी बल्कि विश्व संस्कृति के केंद्र के रूप में स्थापित किया।
सरयू आरती और भावपूर्ण समापन
रात के समय जब सरयू आरती प्रारंभ हुई, तो वातावरण में केवल एक ही नाम गूंज रहा था-‘जय श्रीराम!’ आरती की लौ में प्रतिबिंबित होती सरयू की लहरें और दीपों का अनंत विस्तार मानो भगवान राम के युग में लौटने का एहसास करा रहा था। भक्तजन folded hands में प्रार्थना करते रहे कि रामराज्य की यह ज्योति सदा हमारे हृदयों में जलती रहे। समापन के साथ ही अयोध्या ने एक बार फिर साबित किया कि जहाँ आस्था है, वहाँ अंधकार कभी नहीं रह सकता।
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उपसंहार: विश्व को आलोकित करता दीपोत्सव
‘दीपोत्सव–2025’ ने न केवल अयोध्या की आस्था को जगाया, बल्कि पूरे विश्व को यह संदेश दिया कि भारत की संस्कृति आज भी प्रकाश, प्रेम और शांति की ज्योति है। हर दीप एक संदेश लेकर जला- कि जब तक सत्य और धर्म जिंदा हैं, तब तक रामराज्य की ज्योति कभी नहीं बुझेगी।जय श्रीराम – अयोध्या अमर रहे, दीपोत्सव सदा उज्जवल रहे!
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