Air Pollution: हर साल दिवाली के बाद देश के कई हिस्सों में हवा ज़हर बन जाती है। दीपों की रौशनी और पटाखों की चमक के बाद जब धुआं बैठता है, तो एक्यूआई (AQI – Air Quality Index) 400 से 800 तक पहुँच जाता है। यह स्थिति ‘गंभीर’ या ‘बहुत गंभीर’ श्रेणी में आती है, जो सांस की बीमारियों, आंखों में जलन और हृदय रोगियों के लिए खतरे की घंटी है।
दिल्ली-एनसीआर में सबसे खराब हालात
दिवाली के अगले दिन दिल्ली, गुरुग्राम, नोएडा, गाजियाबाद और फरीदाबाद में एक्यूआई अक्सर 500 से ऊपर चला जाता है। इस साल भी प्रदूषण स्तर में रिकॉर्ड वृद्धि देखी गई।
- दिल्ली: 512 AQI (गंभीर श्रेणी)
- नोएडा: 498 AQI
- गुरुग्राम: 470 AQI
यह प्रदूषण केवल पटाखों से नहीं, बल्कि खेतों में पराली जलाने, वाहनों के धुएं और ठंडी हवा के कारण धूल के जमाव से भी बढ़ता है।
सेहत पर असर: सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं ये लोग
| समूह | मुख्य जोखिम | लक्षण |
|---|
| बच्चे | फेफड़ों का विकास प्रभावित | खांसी, थकान |
| बुजुर्ग | हृदय और सांस की तकलीफ | सांस फूलना, सीने में दर्द |
| गर्भवती महिलाएं | भ्रूण पर असर | सिरदर्द, कमजोरी |
| अस्थमा/एलर्जी मरीज | दौरे बढ़ने का खतरा | छींक, गले में जलन |
सरल उपाय: जहरीली हवा से कैसे बचें?
1. घर के अंदर स्वच्छ वातावरण बनाए रखें
- खिड़कियां बंद रखें जब बाहर स्मॉग हो।
- घर में एयर प्यूरिफायर या पौधे जैसे एलोवेरा, स्नेक प्लांट और पीस लिली रखें।
- फर्श को गीले पोछे से साफ करें ताकि धूल न उड़े।
2. सुबह की सैर से बचें
सुबह 5 से 9 बजे के बीच हवा में प्रदूषण का स्तर सबसे ज्यादा होता है। इस समय वॉक या जॉगिंग से परहेज़ करें।
3. मास्क पहनें
बाहर निकलते समय N95 या N99 मास्क जरूर लगाएं। यह 95-99% तक हानिकारक कणों को रोकता है।
4. हाइड्रेशन और डाइट
- गर्म पानी पिएं और सूप, तुलसी, अदरक और शहद का सेवन करें।
- ग्रीन टी या हल्दी वाला दूध शरीर को डिटॉक्स करने में मदद करता है।
- विटामिन C और ओमेगा-3 से भरपूर आहार लें जैसे संतरा, अमरूद, अलसी के बीज आदि।
5. इनडोर एक्टिविटी अपनाएं
बाहर की बजाय योग, प्राणायाम, स्किपिंग या घर के अंदर हल्की एक्सरसाइज करें।
एक्यूआई स्तर और उसका असर

सरकार और जनता दोनों की जिम्मेदारी
सरकार ने पराली जलाने, डीजल वाहनों और निर्माण कार्यों पर रोक के आदेश दिए हैं, पर असली बदलाव जनता की भागीदारी से आएगा।
- कार पूल करें या पब्लिक ट्रांसपोर्ट अपनाएं।
- पेड़ लगाएं और ग्रीन दिवाली को बढ़ावा दें।
- बच्चों को प्रदूषण के खतरों के बारे में सिखाएं।
दिवाली खुशियों का त्योहार है, लेकिन इसके बाद की हवा हमें चेतावनी देती है कि उत्सव के साथ जिम्मेदारी भी निभानी होगी।
स्वस्थ रहने के लिए छोटे-छोटे उपाय अपनाएं, यही असली ‘ग्रीन दिवाली’ का अर्थ है।
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