TV TODAY BHARAT: अक्सर यह माना जाता है कि उम्र बढ़ने के साथ हमारी सोचने-समझने की क्षमता कम होती जाती है, लेकिन हालिया शोधों ने इस धारणा को गलत साबित किया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इंसान का दिमाग “गोल्डन एज” (Golden Age) में यानी 40 से 60 वर्ष की उम्र के बीच सबसे ज़्यादा सक्रिय और प्रभावशाली होता है। इस दौर में व्यक्ति न केवल मानसिक रूप से अधिक स्थिर होता है, बल्कि उसका अनुभव, निर्णय क्षमता और रचनात्मक सोच भी अपने शिखर पर होती है।

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शोध के निष्कर्ष: मस्तिष्क की शक्ति का सुनहरा काल
हार्वर्ड और स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के न्यूरोसाइंटिस्ट्स द्वारा किए गए एक संयुक्त अध्ययन में यह पाया गया कि जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, मस्तिष्क के अलग-अलग हिस्सों में कनेक्टिविटी (Brain Connectivity) बेहतर होती जाती है।
- 40 से 60 वर्ष की उम्र में दिमाग सूचना को तेज़ और सटीक तरीके से प्रोसेस करता है।
- इस आयु वर्ग के लोग भावनात्मक रूप से अधिक संतुलित रहते हैं।
- निर्णय लेने की क्षमता और कॉमन सेंस का स्तर सबसे ऊचा होता है।
- उनकी सोच केवल तेज़ नहीं, बल्कि गहरी और व्यावहारिक होती है।
शोधकर्ताओं ने यह भी बताया कि इस उम्र में व्यक्ति अपने अनुभवों को ज्ञान के रूप में उपयोग करना सीख जाता है। यही वजह है कि कई वैज्ञानिक खोजें, नीतिगत निर्णय और रचनात्मक उपलब्धियाँ इस उम्र के लोगों द्वारा ही की जाती हैं।
अनुभव का असर: ज्ञान से परिपक्व होती शख्सियत
अनुभव उम्र का सबसे बड़ा तोहफ़ा है। जीवन के उतार-चढ़ाव से गुजरने के बाद व्यक्ति में धैर्य, समझ और संतुलन आता है। यही गुण उसे एक बेहतर नेता, सलाहकार या समाजसेवी बनाते हैं।
- अनुभव व्यक्ति को समस्या हल करने की व्यावहारिक समझ देता है।
- उसे दूसरों की भावनाओं और दृष्टिकोण को समझने की क्षमता मिलती है।
- इस दौर में व्यक्ति का आत्मविश्वास और भावनात्मक बुद्धिमत्ता (Emotional Intelligence) दोनों बढ़ जाते हैं।
यही कारण है कि कंपनियां या संस्थाएं निर्णय लेने वाले पदों पर अनुभवी लोगों को प्राथमिकता देती हैं।
वैज्ञानिक कारण: दिमाग की नई संरचना
न्यूरोलॉजिकल अध्ययन बताते हैं कि 40 के बाद मस्तिष्क में न्यूरॉन्स (Neurons) की संख्या घटने के बावजूद, उनके बीच के कनेक्शन (Synapses) और भी मजबूत हो जाते हैं।
- यह मजबूती न्यूरल नेटवर्क को अधिक प्रभावी बनाती है।
- व्यक्ति एक ही समय में कई विचारों को जोड़कर समाधान निकाल सकता है।
- दिमाग की यह परिपक्व अवस्था व्यक्ति को नवाचार (Innovation) की दिशा में प्रेरित करती है।
यही वजह है कि कई लोग अपने जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि 45 या 50 की उम्र में हासिल करते हैं — जैसे वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टाइन ने सापेक्षता सिद्धांत इसी उम्र में दिया था।
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जीवनशैली का असर: एक्टिव दिमाग के लिए जरूरी आदतें
शोध बताते हैं कि 40 के बाद भी दिमाग को यूथफुल (Youthful) बनाए रखना संभव है, यदि हम कुछ सरल आदतें अपनाएं—
- नियमित व्यायाम – ब्रेन तक ऑक्सीजन पहुंचाता है और तनाव घटाता है।
- पढ़ने की आदत – नई जानकारी से दिमाग की सक्रियता बनी रहती है।
- ध्यान और योग – भावनात्मक स्थिरता और एकाग्रता बढ़ाता है।
- संतुलित आहार – ओमेगा-3 फैटी एसिड, फल और हरी सब्जियां ब्रेन को एनर्जी देती हैं।
- नई चीज़ें सीखना – नई भाषा, संगीत या तकनीक सीखना मस्तिष्क की नई कोशिकाओं को सक्रिय करता है।
उम्र नहीं, सोच तय करती है क्षमता“गोल्डन एज” केवल जीवन का एक चरण नहीं, बल्कि वह समय है जब व्यक्ति अपने अनुभव और बुद्धि से समाज में वास्तविक योगदान दे सकता है।
यह सच है कि युवावस्था में ऊर्जा अधिक होती है, लेकिन परिपक्व उम्र में विचारों की गहराई और जीवन की समझ व्यक्ति को असाधारण बनाती है।
इसलिए उम्र को कमजोरी नहीं, बल्कि ज्ञान और संतुलन की शक्ति मानना चाहिए।
“उम्र बढ़ना रुक नहीं सकता, पर सीखना कभी रुकना नहीं चाहिए।”
