India Mahagathbandhan: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले महागठबंधन में जारी तनाव के बीच अब सियासी बर्फ पिघलती नजर आ रही है। सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस पार्टी आरजेडी नेता तेजस्वी यादव को गठबंधन का मुख्यमंत्री चेहरा मानने के लिए तैयार हो सकती है। इस फैसले से महागठबंधन के भीतर की खींचतान में बड़ी राहत मिल सकती है और चुनावी समीकरण एक बार फिर पटरी पर लौट सकते हैं।
🔹 बातचीत से बढ़ी नजदीकियां
बुधवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राबड़ी देवी आवास पर लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव से मुलाकात की। इस बैठक में बिहार मामलों के प्रभारी कृष्णा अल्लावरु भी मौजूद थे। बताया जा रहा है कि इस मुलाकात के बाद दोनों दलों के बीच कई लंबित मुद्दों पर सहमति बनने लगी है। कांग्रेस ने अब तक तेजस्वी यादव को सीएम फेस घोषित करने में झिझक दिखाई थी, लेकिन अब वह इस पर नरम रुख अपनाने को तैयार है।
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🔹 सीटों पर सुलह की कोशिश
महागठबंधन में सबसे बड़ी अड़चन सीट बंटवारे को लेकर थी। कांग्रेस शुरू में कुछ सीटों पर “फ्रेंडली फाइट” की रणनीति अपनाना चाहती थी, जबकि आरजेडी इसके खिलाफ थी। हालांकि, अब खबर है कि “दोस्ताना मुकाबले” केवल दो-तीन सीटों तक सीमित रह सकते हैं। इससे संकेत मिलते हैं कि दोनों दल समझौते के रास्ते पर हैं। पहले चरण के लिए नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि गुरुवार है, और गठबंधन अभी भी अपने आधिकारिक सीट समझौते की घोषणा का इंतजार कर रहा है।
🔹 संयुक्त प्रचार पर संशय बरकरार
हालांकि गठबंधन के भीतर सीटों पर समझौते की दिशा में प्रगति हुई है, लेकिन संयुक्त प्रचार अभियान (Joint Campaign) पर अभी भी कोई स्पष्टता नहीं है। आरजेडी की ओर से ‘तेजस्वी सरकार’ थीम पर प्रचार अभियान पहले से चल रहा है, जबकि कांग्रेस अपने स्तर पर उम्मीदवारों के समर्थन में जनसभाओं की तैयारी में है। दूसरी ओर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को बिहार में दो रैलियों के साथ बीजेपी का चुनावी अभियान शुरू करने जा रहे हैं, जिससे महागठबंधन पर जल्द एकजुटता दिखाने का दबाव बढ़ गया है।
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🔹 कांग्रेस के भीतर मतभेद
कांग्रेस के बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरु को कई पार्टी नेताओं ने बातचीत में हुई देरी के लिए जिम्मेदार ठहराया है। पार्टी के भीतर एक वर्ग का मानना है कि कांग्रेस को बिहार में अपनी सीमित ताकत को देखते हुए बड़ा भाई आरजेडी के साथ तालमेल बनाकर चलना चाहिए।
कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व भी अब इस बात को समझ रहा है कि तेजस्वी यादव के नेतृत्व में ही विपक्ष के पास एक मजबूत चेहरा हो सकता है।
🔹 महागठबंधन की सियासत में नई दिशा
अगर कांग्रेस औपचारिक रूप से तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री चेहरा स्वीकार कर लेती है, तो यह महागठबंधन की एकता के लिए अहम कदम साबित होगा। इससे विपक्ष को जनता के सामने एक स्पष्ट चेहरा मिलेगा और चुनावी रणनीति को गति मिलेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला न केवल कांग्रेस की व्यावहारिक राजनीति को दर्शाता है, बल्कि बिहार की सियासत में एक बार फिर से लालू-तेजस्वी युगल नेतृत्व को मजबूत करेगा।
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बिहार के चुनावी परिदृश्य में महागठबंधन का एकजुट होना विपक्ष के लिए जीवनदान साबित हो सकता है। कांग्रेस का तेजस्वी यादव के नेतृत्व को स्वीकार करना इस दिशा में एक बड़ा संकेत है। अब देखना यह है कि आने वाले दिनों में यह राजनीतिक समझौता कितना स्थायी और प्रभावी साबित होता है।
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