Indian Army: भारतीय सेना में चल रहे अग्निवीर मॉडल में बड़ा बदलाव प्रस्तावित है। अब तक केवल 25% अग्निवीरों को नियमित सेवा (Retention) में शामिल किया जाता है, लेकिन आर्मी कमांडर्स कॉन्फ्रेंस में इसे बढ़ाकर 75% तक करने का प्रस्ताव रखा जा सकता है। अगर यह मंजूर होता है, तो यह सेना की भर्ती व्यवस्था में ऐतिहासिक बदलाव होगा।
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जैसलमेर में शुरू हो रही दूसरी फेज की कॉन्फ्रेंस
23 और 24 अक्टूबर को जैसलमेर में आयोजित हो रही यह बैठक आर्मी कमांडर्स कॉन्फ्रेंस का दूसरा चरण है। पहला चरण इसी महीने दिल्ली में हुआ था। इस कॉन्फ्रेंस में देश के सभी शीर्ष सैन्य कमांडर शामिल होंगे। यह सम्मेलन न केवल अग्निवीर योजना की समीक्षा करेगा, बल्कि तीनों सेनाओं (थल, जल, वायु) के बीच संयुक्तता (Jointness) बढ़ाने के उपायों पर भी चर्चा करेगा।
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संयुक्तता और थिएटर कमांड की दिशा में कदम
सरकार की योजना है कि भविष्य में थिएटर कमांड सिस्टम लागू किया जाए, जिसमें तीनों सेनाएं एक साझा नेतृत्व के तहत मिलकर काम करें।
इस दिशा में कुछ कदम पहले ही उठाए जा चुके हैं —
- तीन संयुक्त सैन्य स्टेशन (Joint Military Stations) का गठन
- Army, Navy और Air Force की शिक्षा शाखाओं का विलय कर Tri-Services Education Corps बनाना
- उपकरणों और लॉजिस्टिक सप्लाई का मानकीकरण (Standardisation)
- कॉमन ट्रेनिंग प्रोग्राम और क्रॉस-पोस्टिंग्स की व्यवस्था
- तीनों सेनाओं के अधिकारियों के बीच सामाजिक और पेशेवर संवाद को बढ़ावा देना
इन कदमों से रक्षा व्यवस्था को अधिक प्रभावी और समन्वित बनाने की दिशा में तेज़ी से प्रगति हो रही है।
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ऑपरेशन सिंदूर के बाद पहली बड़ी समीक्षा बैठक
यह बैठक ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) के बाद पहली बार हो रही है, जो इस साल मई में हुआ था। इस वजह से इसका महत्व और बढ़ गया है। सम्मेलन में देश की सुरक्षा स्थिति, सीमावर्ती तैयारियां, और आपातकालीन सैन्य जरूरतों की समीक्षा की जाएगी। इस दौरान वरिष्ठ अधिकारी Mission Sudarshan Chakra की प्रगति पर भी चर्चा करेंगे यह मिशन तीनों सेनाओं और अन्य सरकारी एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय सुनिश्चित करने पर केंद्रित है।
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अग्निवीर योजना में बदलाव क्यों जरूरी माना जा रहा है
अग्निवीर योजना शुरू में युवाओं को चार साल की सेवा अवधि के साथ सेना में लाने के उद्देश्य से शुरू की गई थी। लेकिन सेना के अंदर यह चिंता जताई जा रही थी कि 25% ही स्थायी करने से अनुभवशाली जवानों की कमी हो सकती है।
इसलिए अब यह सुझाव दिया जा रहा है कि 75% तक अग्निवीरों को रिटेन (स्थायी) किया जाए, ताकि—
- सेना को प्रशिक्षित और अनुभवी मानव संसाधन मिल सके,
- जवानों में लंबी सेवा के प्रति भरोसा बढ़े,
- और भर्ती व प्रशिक्षण की लागत का अधिकतम उपयोग हो सके।
कुल मिलाकर उद्देश्य: एकीकृत, आधुनिक और आत्मनिर्भर सेना
इस कॉन्फ्रेंस का मकसद केवल अग्निवीर योजना पर चर्चा नहीं है, बल्कि पूरी सैन्य व्यवस्था को अधिक संयुक्त, आधुनिक और कुशल बनाना है।
प्रधानमंत्री के नेतृत्व में चल रही रक्षा सुधार प्रक्रिया के तहत यह बैठक भविष्य की भारतीय सेना की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभा सकती है। जैसलमेर में हो रही यह कॉन्फ्रेंस भारतीय सेना के लिए एक मील का पत्थर साबित हो सकती है। अगर अग्निवीर रिटेंशन रेट 75% तक बढ़ाने का प्रस्ताव स्वीकार होता है, तो यह न केवल लाखों युवाओं के लिए नया अवसर बनेगा, बल्कि सेना को स्थायित्व और मजबूती देने वाला कदम भी होगा।
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