Mahendra Nagar Murder Case: मध्य प्रदेश के गुना जिले के गणेशपुरा गांव में बीजेपी नेता की हैवानियत ने पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया है। आरोपी बीजेपी नेता महेंद्र नागर पर आरोप है कि उसने एक किसान रामस्वरूप धाकड़ की बेरहमी से हत्या कर दी। जमीन कब्जाने की नीयत से वह अपने साथियों के साथ खेत पर पहुंचा और किसान पर पहले हमला किया, फिर थार जीप चढ़ाकर हत्या कर दी।
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बेटियों के साथ अमानवीय बर्ताव
जब किसान की बेटियां पिता को बचाने पहुंचीं, तो आरोपी ने उन्हें भी नहीं छोड़ा। महेंद्र नागर और उसके गुर्गों ने बेटियों के कपड़े फाड़ दिए और उन्हें सार्वजनिक रूप से अपमानित किया। सूत्रों के मुताबिक, आरोपी ने हवाई फायरिंग भी की ताकि पूरे गांव में डर का माहौल फैले और कोई विरोध न कर सके।

गांव में फैला आतंक और पुलिस कार्रवाई
गणेशपुरा गांव में महेंद्र नागर का आतंक वर्षों से फैला हुआ बताया जा रहा है। ग्रामीणों ने कहा कि आरोपी किसानों को डरा-धमकाकर उनकी जमीन औने-पौने दामों में खरीदता है। लगभग 25 किसान पहले ही गांव छोड़कर पलायन कर चुके हैं। पुलिस ने इस मामले में महेंद्र नागर, उसके परिवार की तीन महिलाओं समेत कुल 14 लोगों के खिलाफ हत्या और छेड़छाड़ के गंभीर आरोपों में केस दर्ज किया है।
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राजनीतिक बयानबाजी और कांग्रेस का हमला
घटना के बाद प्रदेश में राजनीतिक तापमान भी बढ़ गया है। बमोरी विधायक ऋषि अग्रवाल ने इस घटना को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा—
“यह घटना बताती है कि मोहन सरकार में बीजेपी नेताओं का आतंक चरम पर है। जब सत्ता के संरक्षण में दबंगई को इनाम मिलता है, तो न्याय की उम्मीद कमजोर हो जाती है।”
कांग्रेस ने इस घटना को लेकर बीजेपी पर ‘शासन को अपराधियों का कवच बनाने’ का आरोप लगाया है। वहीं ग्रामीणों ने मांग की है कि आरोपी महेंद्र नागर को जल्द से जल्द गिरफ्तार किया जाए और पीड़ित परिवार को सुरक्षा दी जाए।
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गांव में दहशत, न्याय की पुकार
घटना के बाद गणेशपुरा गांव में तनावपूर्ण माहौल है। पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। ग्रामीणों में भय इतना गहरा है कि कोई भी खुलकर बयान देने को तैयार नहीं। पीड़ित परिवार का कहना है कि,
“हमारे पिता ने अत्याचार का विरोध किया, इसलिए उन्हें कुचल दिया गया। अब हमें न्याय चाहिए, वरना यह अत्याचार हर किसान के दरवाजे तक पहुंचेगा।”
सत्ता की छाया में अपराध की बढ़ती जड़ें
यह मामला केवल एक किसान की हत्या नहीं, बल्कि सत्ता और अपराध के गठजोड़ की भयावह तस्वीर है। जब जनता की आवाज़ को कार के पहियों तले कुचल दिया जाता है, तो लोकतंत्र की बुनियाद हिलती है। सवाल यह है कि क्या बीजेपी नेतृत्व अब भी ऐसे नेताओं की ढाल बना रहेगा या फिर न्याय के लिए कठोर कदम उठाएगा?
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