Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियों के बीच राज्य भर में सुरक्षा और निगरानी बढ़ा दी गई है। लेकिन इस सख्त चौकसी के बीच कटिहार जिले के बारसोई से सामने आई एक घटना ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। एक वायरल वीडियो में पुलिसकर्मी द्वारा एक युवक और युवती से रेस्तरां में की गई कथित अभद्रता ने जनता में रोष फैला दिया है।
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घटना कैसे हुई, वायरल वीडियो ने मचाया बवाल
बारसोई के एक स्थानीय रेस्तरां का सीसीटीवी फुटेज सोशल मीडिया पर तेजी से फैल गया। वीडियो में एक पुलिस अधिकारी ग्राहकों से उनके नाम और पते पूछते दिखाई दे रहे हैं। बताया गया कि अधिकारी को सूचना मिली थी कि “कुछ असामाजिक तत्व” रेस्तरां में मौजूद हैं। जब अधिकारी ने एक युवक यश अग्रवाल से साथ बैठी युवती के बारे में पूछा, तो यश ने जवाब दिया ‘बहन है मेरी।’ इसके बाद माहौल अचानक गर्म हो गया। वीडियो में अधिकारी का लहजा आक्रामक होता दिखता है, और मामला चार मिनट से ज़्यादा तक चला।
परिवारिक डिनर बना विवाद का केंद्र
यश अग्रवाल ने सोशल मीडिया पर वीडियो साझा करते हुए लिखा,
“कल रात जब हम परिवार के साथ डिनर के लिए बारसोई गए थे, तब पुलिस ने हमें रोक लिया। क्या अब चुनाव के समय हम अपनी बहन के साथ भी खाना खाने नहीं जा सकते?”
इस पोस्ट के बाद वीडियो वायरल हो गया। सोशल मीडिया पर लोगों ने पुलिस की इस कार्रवाई को “अनुचित” और “मानवीय मर्यादा के खिलाफ” बताया।
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पुलिस की सफाई – ‘रूटीन जांच थी’
कटिहार पुलिस ने बयान जारी कर कहा कि 24 अक्टूबर को विधानसभा चुनावों की तैयारियों के तहत होटल और लॉजों में नियमित जांच अभियान चलाया जा रहा था। पुलिस के अनुसार, जांच का उद्देश्य असामाजिक तत्वों की पहचान करना था, किसी व्यक्ति को परेशान करना नहीं।
कटिहार के पुलिस उपाधीक्षक (मुख्यालय) ने इस मामले की जांच के आदेश दिए हैं और कहा है कि “वीडियो की सत्यता और पुलिसकर्मियों के आचरण की समीक्षा की जा रही है।”
जनता में गुस्सा और सवाल
इस घटना ने जनता में गहरा असंतोष पैदा किया है। सोशल मीडिया पर लोग सवाल उठा रहे हैं कि सुरक्षा जांच के नाम पर नागरिकों की निजता का हनन क्यों किया जा रहा है। कई यूज़र्स ने लिखा कि “सतर्कता जरूरी है, लेकिन संवेदना भी उतनी ही अहम है।’
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चुनावी चौकसी बनाम नागरिक अधिकार
बिहार में जैसे-जैसे चुनाव नज़दीक आ रहे हैं, प्रशासन की सख्ती बढ़ रही है। पर बारसोई जैसी घटनाएं यह याद दिलाती हैं कि चौकसी और नागरिक स्वतंत्रता के बीच संतुलन बनाए रखना बेहद ज़रूरी है। सुरक्षा जांच आवश्यक है, लेकिन पुलिस की भूमिका केवल कानून लागू करने की नहीं बल्कि जनता के विश्वास को बनाए रखने की भी है।
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