भारत का दिल इस समय धड़क रहा है और हर धड़कन कह रही है अबकी बार हमारी बारी! रविवार, 2 नवंबर को नवी मुंबई के डीवाई पाटिल स्टेडियम में इतिहास बनने वाला है। आईसीसी महिला वर्ल्ड कप 2025 का फाइनल भारत बनाम साउथ अफ्रीका दो ऐसी टीमें जिनके लिए यह मुकाबला सिर्फ जीत या हार नहीं, बल्कि सपनों की पराकाष्ठा है।
हरमनप्रीत कौर की आंखों में अब सिर्फ एक चमक है ट्रॉफी की रौशनी में भारत का नाम जगमगाना। प्रेस कॉन्फ्रेंस में उनकी आवाज़ में आत्मविश्वास झलक रहा था। ‘हम हार का दर्द कई बार झेल चुके हैं, अब जीत का स्वाद चखने का वक्त है,’ उन्होंने कहा। यह सिर्फ कप्तान का बयान नहीं था, बल्कि एक वादा था करोड़ों भारतीय दिलों से किया गया वादा।
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इस टीम ने हार को अपनी ताकत बनाया है। 2005 में ऑस्ट्रेलिया से मिली हार, 2017 में इंग्लैंड के खिलाफ 9 रन से छूटी जीत, 2022 के कॉमनवेल्थ फाइनल में टूटा सपना ये सभी दर्द अब ईंधन बन चुके हैं। हरमनप्रीत और उनकी टीम ने तय कर लिया है कि इस बार न हार की गूंज होगी, न निराशा की छाया सिर्फ विजय का शंखनाद होगा।
टीम इंडिया तीसरी बार वर्ल्ड कप फाइनल खेल रही है, लेकिन इस बार हालात अलग हैं। यह भारत की धरती है, अपने लोगों की जयकार है, अपनी मिट्टी की खुशबू है। स्टेडियम का हर कोना ‘भारत माता की जय’ से गूंजेगा, और हर खिलाड़ी को यह एहसास दिलाएगा कि वे सिर्फ 11 नहीं, बल्कि 140 करोड़ सपनों की सेना हैं।
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हरमनप्रीत का कहना है कि टीम की सबसे बड़ी ताकत है। एकता और विश्वास। ‘हर खिलाड़ी एक-दूसरे के लिए खेल रही है उन्होंने कहा। यही भावना टीम को आगे बढ़ा रही है। पिछले कुछ महीनों में खिलाड़ियों ने पसीना बहाकर आत्मविश्वास कमाया है — कोई डर नहीं, सिर्फ खेल का आनंद और जीत की ललक।
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सेमीफाइनल की जीत ने माहौल बदल दिया। वह जीत सिर्फ स्कोरबोर्ड पर नहीं, बल्कि मानसिक रूप से भी निर्णायक थी। अब भारतीय टीम जानती है कि वह किसी को भी मात दे सकती है। हरमनप्रीत, स्मृति मंधाना, दीप्ति शर्मा, रिचा घोष — ये सभी अब एक कहानी लिखने को तैयार हैं, जो पीढ़ियों तक सुनाई जाएगी।
दिलचस्प यह भी है कि इस बार फाइनल में ऑस्ट्रेलिया या इंग्लैंड नहीं हैं। दो नई टीमें, दो नए सपने। हरमनप्रीत ने कहा, “यह महिला क्रिकेट के लिए शानदार संकेत हैं। जब नई टीमें उभरती हैं, तो खेल में नई ऊर्जा आती है।” वाकई, यह फाइनल सिर्फ दो देशों के बीच नहीं, बल्कि महिला क्रिकेट के नए युग की शुरुआत है।
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भारत की इस यात्रा में उतार-चढ़ाव बहुत रहे कभी आखिरी ओवर में सांसें थम गईं, कभी रन की लड़ाई में दिल धड़कने लगा। लेकिन हर बार यह टीम उठ खड़ी हुई। यही ‘राइज़िंग स्पिरिट’ अब उसके साथ मैदान पर होगी।
2 नवंबर की शाम जब सूरज ढलेगा, और नवी मुंबई का आसमान नारंगी होगा, तब पूरा देश एक ही तस्वीर देखना चाहेगा हरमनप्रीत कौर के हाथों में वर्ल्ड कप ट्रॉफी, उनके चेहरे पर आंसुओं के साथ मुस्कान, और स्टेडियम में गूंजता एक स्वर
भारत चैंपियन है!
यह सिर्फ क्रिकेट नहीं, यह एक भावनात्मक महाकाव्य बनने जा रहा है । जहां हर बॉल, हर रन, और हर जश्न एक नए इतिहास की इबारत लिखेगा। भारत तैयार है… अब वक्त है सपनों को साकार करने का।
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