Muzaffarnagar Police pitai: कहते हैं, वर्दी पहनने वाला जब ड्यूटी पर होता है, तो उसका धर्म केवल इंसानियत निभाना होता है। ऐसा ही एक मामला यूपी के मुजफ्फरनगर से सामने आया है, जिसने लोगों का दिल छू लिया। जिस पुलिसकर्मी को कुछ दिन पहले सड़क पर बेरहमी से पीटा गया था, उसी ने अब एक मासूम बच्ची की जान बचाकर सबका दिल जीत लिया।
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मुजफ्फरनगर के ट्रैफिक पुलिस कर्मी जामिन अली शहर के व्यस्त चौराहे पर अपनी ड्यूटी निभा रहे थे। उसी दौरान एक कार सवार युवक ने नो-एंट्री जोन में गाड़ी घुसाने की कोशिश की। जब जामिन अली ने उसे रोका और नियमों का पालन करने को कहा, तो युवक आग-बबूला हो गया। देखते ही देखते उसने और उसके साथियों ने पुलिसकर्मी की सड़क पर ही पिटाई कर दी। वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो पूरे प्रदेश में आक्रोश फैल गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी इस घटना को गंभीरता से लिया और आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के आदेश दिए।
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इस घटना के कुछ ही दिनों बाद, उसी इलाके में एक छोटी बच्ची सड़क पर बेहोश होकर गिर पड़ी। आसपास के लोग घबरा गए, किसी को समझ नहीं आया कि क्या करें। उसी वक्त ट्रैफिक ड्यूटी पर मौजूद जामिन अली ने बिना एक पल गंवाए बच्ची को गोद में उठाया और नज़दीकी अस्पताल ले गए। डॉक्टरों ने बताया कि बच्ची को समय रहते ऑक्सीजन और प्राथमिक उपचार मिलने से उसकी जान बच गई। अस्पताल प्रशासन और स्थानीय लोगों ने जामिन अली की बहादुरी और इंसानियत की सराहना की।
सोशल मीडिया पर जामिन अली के वीडियो और फोटो वायरल हो गए। लोग लिख रहे हैं –
‘जिस पुलिसवाले को पीटा गया, उसने साबित कर दिया कि वर्दी बदले की नहीं, सेवा की प्रतीक है।’
कई लोगों ने #RealHeroJaminAli और #UPPolice जैसे हैशटैग से उनकी तारीफ की। वहीं, मुख्यमंत्री कार्यालय से भी इस घटना पर ट्वीट कर सराहना की गई और जामिन अली को पुरस्कृत करने की अनुशंसा की गई है।
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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा,
‘उत्तर प्रदेश पुलिस के जवान जनता की सुरक्षा के लिए 24 घंटे तत्पर रहते हैं। समाज को चाहिए कि ऐसे कर्मठ पुलिसकर्मियों का सम्मान करे।’
उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि जामिन अली जैसे ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ कर्मचारियों को विशेष प्रशस्ति पत्र और पुरस्कार दिया जाए। यह घटना हमें सिखाती है कि ड्यूटी और इंसानियत एक साथ निभाई जा सकती है। जामिन अली ने दिखा दिया कि सच्चा सिपाही वही है जो दर्द झेलने के बाद भी दूसरों का दर्द समझता है। मुजफ्फरनगर की यह कहानी पूरे देश के लिए प्रेरणा है, कि चाहे हालात जैसे भी हों, फर्ज़ सबसे ऊपर होता है।
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