Mathili Thakur Voice of Progress: बिहार की धरती पर जब लोकगीत गूंजते हैं, तो उसमें भावनाओं की गहराई और जनजीवन की सच्चाई दोनों झलकती हैं। कुछ ऐसा ही स्वर हाल ही में गूंजा जब लोकगायिका मैथिली ठाकुर ने अपने गीतों के जरिए बिहार की नई तस्वीर पेश की — एक ऐसा बिहार जो अब विकास की रफ्तार पकड़ चुका है। उन्होंने कहा, ‘जनता का जोश ही विकास का आधार है, और यही जोश आज बिहार को नई ऊंचाइयों की ओर ले जा रहा है।’

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मैथिली ठाकुर सिर्फ एक गायिका नहीं, बल्कि बिहार की संस्कृति, मेहनत और आशाओं की प्रतिनिधि हैं। मिथिला की इस बेटी ने अपनी आवाज़ से देशभर में लोकसंस्कृति का झंडा बुलंद किया है। अब वे सिर्फ लोकगीतों में नहीं, बल्कि समाज के विकास और राज्य की सकारात्मक छवि को लेकर भी लोगों में जागरूकता फैला रही हैं। उनका कहना है कि बिहार ने लंबे संघर्ष के बाद अब विकास की राह पकड़ ली है। यहां के युवाओं में ऊर्जा है, महिलाओं में आत्मविश्वास है और किसानों में उम्मीद की नई किरण।
आज बिहार के छोटे-छोटे गांवों में भी सड़क, बिजली, और इंटरनेट की सुविधाएं पहुंच चुकी हैं। सरकारी योजनाओं के साथ-साथ स्थानीय लोगों की भागीदारी ने भी इसमें अहम भूमिका निभाई है। मैथिली ठाकुर कहती हैं ‘जब गांवों के बच्चे मोबाइल पर पढ़ाई करने लगे हैं, जब किसान अपने उत्पाद ऑनलाइन बेचने लगे हैं, तो ये अपने आप में विकास का बड़ा संकेत है।’ यानी अब बिहार सिर्फ पलायन की कहानियों के लिए नहीं, बल्कि प्रगति के नए उदाहरणों के लिए जाना जा रहा है।

बिहार के युवा हमेशा से मेधावी रहे हैं। लेकिन अब यह मेधा सिर्फ प्रतियोगी परीक्षाओं तक सीमित नहीं, बल्कि तकनीक, कला, खेल और उद्यमिता के क्षेत्र में भी चमक रही है। मैथिली ठाकुर मानती हैं कि ‘बिहार का युवा अब नौकरी मांगने वाला नहीं, बल्कि रोजगार देने वाला बन रहा है।’ युवाओं की यह सोच ही राज्य को आत्मनिर्भर बना रही है और यही ऊर्जा आगे आने वाले दशक में बिहार को देश के अग्रणी राज्यों में शामिल करेगी।
बिहार की पहचान हमेशा से अपनी संस्कृति, लोकगीतों, त्योहारों और परंपराओं से रही है। मैथिली ठाकुर का मानना है कि जब संस्कृति और विकास एक साथ चलते हैं, तभी समाज मजबूत होता है। वे अक्सर अपने कार्यक्रमों में लोकगीतों के साथ बिहार की प्रगति की झलक भी दिखाती हैं। चाहे छठ पूजा हो या लोक उत्सव हर मंच पर वे यह संदेश देती हैं कि बिहार की परंपरा ही उसकी ताकत है।

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आज का बिहार आत्मविश्वास से भरा है। शिक्षा, स्वास्थ्य, उद्योग और पर्यटन हर क्षेत्र में बदलाव की बयार बह रही है। मैथिली ठाकुर के शब्दों में हमारा बिहार अब पीछे देखने वाला नहीं, बल्कि आगे बढ़ने वाला राज्य बन चुका है। जनता का जोश, विकास का आधार बन गया है।’
मैथिली ठाकुर के शब्द और गीत दोनों बिहार के बदलते चेहरे का प्रतिबिंब हैं। यह वही राज्य है जिसने संघर्ष से सीखा, और अब सफलता की कहानी लिख रहा है। जनता के जोश, युवाओं की ऊर्जा और संस्कृति की मजबूती से बिहार वाकई रफ्तार पकड़ चुका है और यही रफ्तार आने वाले कल को रोशन करेगी।
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