बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में एनडीए का पलड़ा भारी दिख रहा है। पहले चरण के मतदान से पहले जारी हुए दो बड़े ओपिनियन पोल पोलस्ट्रैट और चाणक्य दोनों में भाजपा नीत एनडीए को स्पष्ट बहुमत का अनुमान लगाया गया है। एक तरफ विपक्ष बेरोज़गारी और पलायन जैसे मुद्दों को लेकर मैदान में है, वहीं एनडीए को जनता विकास योजनाओं और संगठनात्मक मजबूती का श्रेय देती दिख रही है।
‘पोलस्ट्रैट’ के ओपिनियन पोल के अनुसार, बिहार में एनडीए गठबंधन को 133 से 143 सीटें मिलने का अनुमान है।
- भाजपा को अकेले 70 से 72 सीटें
- जदयू को 53 से 56 सीटें
- लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को 10 से 12 सीटें
- जबकि हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेकुलर) को 0-2 सीटें मिलने की संभावना जताई गई है।
राज्य में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभर सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि केंद्र और राज्य सरकार की कल्याणकारी योजनाएं, जैसे प्रधानमंत्री आवास योजना, उज्ज्वला गैस योजना, और कृषि सब्सिडी, ने ग्रामीण वोटरों के बीच एनडीए की पकड़ को और मजबूत किया है।महागठबंधन’ को इस ओपिनियन पोल में 93 से 102 सीटें मिल सकती हैं। इसमें
- राजद को 69-72 सीटें
- कांग्रेस को 10-13 सीटें
- वीआईपी (विकासशील इंसान पार्टी) को 1-2 सीटें
- आईआईपी (इंडियन इंक्लूसिव पार्टी) को 0-1 सीट मिलने की संभावना जताई गई है।
हालांकि, युवा वर्ग में बेरोज़गारी सबसे बड़ा मुद्दा है। 18 से 25 वर्ष के युवाओं में से लगभग 38% ने बेरोज़गारी को अपनी प्रमुख चिंता बताया है। यही कारण है कि युवा मतदाताओं में महागठबंधन को थोड़ी बढ़त दिखाई दे रही है।
प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी को इस बार 1 से 3 सीटें मिल सकती हैं। वहीं, एआईएमआईएम को 2 से 3 सीटें और जनशक्ति जनता दल को 1 सीट मिलने की संभावना जताई गई है। स्वतंत्र प्रत्याशियों के खाते में भी 1 से 2 सीटें जा सकती हैं। पोलस्ट्रैट’ के अनुसार,
- एनडीए का वोट प्रतिशत 44.80% है,
- जबकि महागठबंधन का वोट प्रतिशत 38.60% पर ठहरता है।
26 से 40 वर्ष के आयु वर्ग के लोगों में एनडीए के समर्थन में 43.18% वोट, जबकि 41 से 59 वर्ष के मतदाताओं में यह समर्थन और भी मजबूत हुआ है। यह आयु वर्ग सरकार की योजनाओं और स्थिरता के पक्ष में अधिक झुका दिखता है।
‘चाणक्य’ ओपिनियन पोल में भी एनडीए को बहुमत का अनुमान है। इस सर्वे में
- एनडीए को 128 से 134 सीटें
- महागठबंधन को 102 से 108 सीटें
- जीडीए गठबंधन (एआईएमआईएम वाला) को 3 से 6 सीटें
- और अन्य दलों को 2 से 3 सीटें मिलने की संभावना जताई गई है।
इस तरह दोनों सर्वे स्पष्ट रूप से संकेत देते हैं कि 2025 में बिहार की सत्ता एनडीए के हाथों में जा सकती है।
जहां एनडीए की लोकप्रियता योजनाओं और संगठन के बूते पर टिकी है, वहीं महागठबंधन बेरोज़गारी, महंगाई और पलायन को चुनावी मुद्दा बना रहा है। पोलस्ट्रैट रिपोर्ट बताती है कि 37.99% युवाओं ने बेरोज़गारी को सबसे बड़ी समस्या बताया है। पलायन, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति को लेकर भी जनता में असंतोष दिख रहा है।
राजनीति में वादे हमेशा बरसात की तरह होते हैं लेकिन बिहार के नौजवानों के लिए यह अब तक ‘सूखा’ ही रहा है। एनडीए के वादों में बिजली, सड़क, पानी की चमक है, तो विपक्ष के भाषणों में नौकरी, हक़ और सम्मान की आग। लेकिन जनता अब सोचने लगी है वादे कौन निभाएगा?
पोलस्ट्रैट’ और ‘चाणक्य’ दोनों सर्वे यह संकेत देते हैं कि बिहार में एनडीए को एक बार फिर सत्ता में वापसी की राह साफ दिख रही है। हालांकि, चुनावी नतीजों तक यह सिर्फ आंकड़ों का खेल है — असली परीक्षा तब होगी जब मतदान केंद्रों पर जनता अपनी उंगली की स्याही से जनादेश लिखेगी।
