भारत के इंडस्ट्रियल एवं लॉजिस्टिक्स-रियल एस्टेट क्षेत्र में तीसरी तिमाही 2025 में लेकर एब्ज़ॉर्प्शन (लीजिंग) में साल-दर-साल लगभग 16 % की वृद्धि दर्ज की गई है इस अवधि में कुल लगभग 17.1 मिलियन स्क्वायर फीट स्पेस ली गई। साथ ही इस तिमाही तक (9 महीनों तक) पूरे वर्ष-घटित हिसाब से (YTD) लीजिंग गतिविधि 49.2 मिलियन स्क्वायर फीट तक पहुंच चुकी है, जो पिछले वर्ष के समान अवधि से लगभग 32 % अधिक है।
इस उछाल के पीछे मुख्य तीन-चार मोटे कारण हैं। सबसे पहले, मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर (FMCG/ FMCD को छोड़कर) ने इस लीजिंग को मुख्य गति दी इस तिमाही में कुल लेन-देनों का लगभग 44 % हिस्सा इस सेक्टर ने लिया और वर्ष-तो-तारीख हिस्से में यह लगभग 45 % रहा।
दूसरा, 3PL (थर्ड-पार्टी लॉजिस्टिक्स) व ई-कॉमर्स कंपनियों की मांग भी बढ़ी है। हाइलाइट यह है कि ई-कॉमर्स सेक्टर ने इस तिमाही में लगभग 2.5 मिलियन स्क्वायर फीट स्पेस ली, जो साल-दर-साल करीब 137 % वृद्धि दर्शाता है। Passionate in Marketing तीसरा, ऑक्यूपायर्स अब “ग्रेड-ए” वेयरहाउसिंग स्पेस की ओर तेजी से रुख कर रहे हैं: 2025 की शुरुआत से अब तक ली गई स्पेस में ग्रेड-ए का हिस्सा लगभग 61 % हो गया है, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में यह 58 % था।
स्थान-वार भी इस वृद्धि का असर स्पष्ट दिख रहा है उदाहरण के लिए मुंबई क्षेत्र ने Q3 में साल-दर-साल दोहरे अंक से बढ़त दर्ज की है, एनसीआर, चेन्नई, पुणे जैसे प्रमुख लॉजिस्टिक हब्स में भी मैन्युफैक्चरिंग-आधारित मांग ने जोर पकड़ा है। हालाँकि, सप्लाई-साइड (नई आपूर्ति) व टीम्पररी रिक्तता-दर (वैकेंसी) में कुछ सावधानी व्यंजक संकेत भी मिल रहे हैं। उदाहरण के रूप में अन्य स्रोत बताते हैं कि इस तिमाही में नई आपूर्ति ने मांग को थोड़ा पीछे छोड़ा है और रिक्तता दर थोड़ी बढ़ी है।
कुल मिलाकर, भारत का वेयरहाउसिंग-और-लॉजिस्टिक्स इंफ्रास्ट्रक्चर डायवर्सिफिकेशन, मेकर इन इंडिया, सप्लाई-चेन रीशोरिंग जैसे प्रयासों के बीच एक सशक्त ट्रैक पर है। लेज़िंग गतिविधि, नए ग्रेड-ए प्रोजेक्ट्स व मैन्युफैक्चरिंग एवं ई-कॉमर्स कंपनियों की भूख ने इस तिमाही को विशेष रूप से उत्साहवर्धक बना दिया है।
मुख्य बिंदु-सार
- Q3 2025: ~17.1 मिलियन स्क्वायर फीट लीजिंग → 16 % YoY वृद्धि।
- YTD 2025: ~49.2 मिलियन स्क्वायर फीट → ~32 % YoY वृद्धि।
- मैन्युफैक्चरिंग: Q3 में ~44 % ट्रांज़ैक्शन हिस्सेदारी।
- ई-कॉमर्स: Q3 में ~137 % वृद्धिदर।
- ग्रेड-ए स्पेस का बढ़ता प्रभुत्व: ~61 % हिस्सा।
- प्रमुख शहरों में मुम्बई, एनसीआर, चेन्नई आदि में तेज गतिविधि।
इस विकास-प्रवाह के मद्देनज़र, आगामी तिमाहियों में यदि नीति-स्थिरता, इंफ्रास्ट्रक्चर-इन्वेस्टमेंट और टेक्नोलॉजी इंफ्यूजन कायम रहा, तो यह सेक्टर 2025 में – शायद पिछले वर्ष के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ते हुए नया उच्च-स्तर स्पर्श कर सकता है।
