UN Climate Summit in Brazil: हर साल संयुक्त राष्ट्र (UN) का जलवायु सम्मेलन दुनिया को जलवायु संकट से बचाने के प्रयासों पर चर्चा के लिए एक बड़ा मंच बनता है। इस साल का सम्मेलन COP30 सोमवार से ब्राजील के अमेज़न वर्षावन शहर बेलेम (Belem) में शुरू हो रहा है। यह सम्मेलन इसलिए भी खास है क्योंकि यह उस स्थान के नजदीक हो रहा है जहां से वैश्विक जलवायु आंदोलन की शुरुआत मानी जाती है।
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- COP क्या है?
COP का पूरा नाम है Conference of the Parties, यानी उन देशों का सम्मेलन जिन्होंने 1992 में संयुक्त राष्ट्र के जलवायु समझौते (UN Framework Convention on Climate Change – UNFCCC) पर हस्ताक्षर किए थे।
इस समझौते में देशों ने माना था कि जलवायु परिवर्तन एक ऐसी समस्या है जिससे सभी देश प्रभावित हैं और इसे मिलकर हल करना ही बेहतर रास्ता है। इसमें एक सिद्धांत तय किया गया साझी लेकिन अलग-अलग जिम्मेदारी (Common but Differentiated Responsibilities) जिसके तहत अमीर देशों को, जो ज्यादा कार्बन उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार हैं, समाधान में बड़ी भूमिका निभानी होगी।
- COP30 इस साल क्यों खास है?
यह सम्मेलन एक तरह से पूर्ण चक्र जैसा है। ब्राजील ही वह देश है जहां 1992 में रियो अर्थ समिट में यह जलवायु संधि हुई थी, और अब 33 साल बाद वही देश COP30 की मेज़बानी कर रहा है। ब्राजील ने इस बार यह स्पष्ट किया है कि वह नई घोषणाओं के बजाय पुराने वादों को पूरा करने पर ज़ोर देगा जैसे COP28 में जीवाश्म ईंधन (fossil fuels) को धीरे-धीरे समाप्त करने की प्रतिज्ञा। साथ ही, यह पहला COP सम्मेलन है जो यह स्वीकार कर रहा है कि दुनिया 1.5°C वार्मिंग सीमा को रोकने के लक्ष्य में असफल रही है। बेलेम को इसलिए चुना गया ताकि दुनिया को याद दिलाया जा सके कि अमेज़न जंगल और विश्व के वन जलवायु संतुलन के लिए कितने जरूरी हैं।
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- सम्मेलन में कौन-कौन होंगे शामिल?
हर देश अपनी टीम के साथ आता है, और कई बार समान हित वाले देश एक समूह में बोलते हैं। Alliance of Small Island States वे देश जो बढ़ते समुद्री स्तर से खतरे में हैं। G77 + China — विकासशील देशों का बड़ा समूह। Africa Group और BASIC (Brazil, South Africa, India, China) भी प्रभावशाली गुट हैं। पहले अमेरिका जलवायु नेतृत्व में आगे रहता था, लेकिन अब चीन और ब्राजील जैसे देश अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं।
- दो हफ्तों तक क्या होता है COP में?
COP का कैंपस एक छोटे शहर जैसा होता है, जहां हजारों लोग जुटते हैं । पर्यावरण कार्यकर्ता अपनी मांगें उठाते हैं, कंपनियां नीति परिवर्तन और निवेश के लिए लॉबिंग करती हैं,कई बैठकें और प्रेस कॉन्फ्रेंसें होती हैं। इस बार कुछ अलग है वित्तीय बैठकें साओ पाउलो, स्थानीय नेता रियो डी जनेरियो में जुटे, जबकि मुख्य सम्मेलन बेलेम में 10 से 21 नवंबर तक होगा। पहले हफ्ते में देश अपनी प्राथमिकताएं बताते हैं, और दूसरे हफ्ते में मंत्री शामिल होकर अंतिम फैसलों पर बातचीत करते हैं। अक्सर रात भर चलने वाली बैठकें और कड़े मोलभाव देखने को मिलते हैं।
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- क्या फैसले आसानी से हो जाते हैं?
बिलकुल नहीं। COP की चर्चाएं अक्सर तनावपूर्ण होती हैं। हर देश अपने हितों की रक्षा में खड़ा रहता है। कई बार सम्मेलन आखिरी पलों तक खिंच जाता है। समझौते सर्वसम्मति (consensus) से होते हैं, यानी सभी देशों को मानना होता है। अंत में जब गवेल की आवाज़ गूंजती है, तो सम्मेलन खत्म होने की घोषणा होती है, लेकिन अक्सर यह कई दिन देरी से होता है। COP30 सिर्फ एक सम्मेलन नहीं, बल्कि यह दुनिया के लिए एक मौका है पिछली गलतियों से सीखकर ठोस कदम उठाने का। अमेज़न के बीच से उठती यह आवाज़ याद दिलाती है कि धरती का भविष्य हमारे फैसलों पर निर्भर है।
