ISKP Terror Module Gujarat: गुजरात ATS ने एक ऐसी आतंकी साजिश का भंडाफोड़ किया है जिसने पूरे देश की सुरक्षा एजेंसियों को अलर्ट कर दिया है। चीन से MBBS कर चुके हैदराबाद निवासी डॉक्टर अहमद मोहिउद्दीन सैयद समेत तीन आतंकियों को गिरफ्तार किया गया है। ये सभी इस्लामिक स्टेट खुरासान प्रांत (ISKP) के संपर्क में थे और भारत में एक बड़े रासायनिक हमले (Chemical Attack) की साजिश रच रहे थे।
अहमद के साथ दो अन्य आरोपी मोहम्मद सुहेल और आजाद सैफी को भी पकड़ा गया है। ATS ने उनके पास से हथियार, दस्तावेज़ और एक खतरनाक लिक्विड ‘रिसिन’ बरामद किया है, जो सायनाइड से कई गुना ज़हरीला बताया जा रहा है। यह मॉड्यूल अहमदाबाद, लखनऊ और दिल्ली में केमिकल वारफेयर जैसी तबाही फैलाने की तैयारी में था।

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डॉक्टर से कट्टरपंथी बना अहमद मोहिउद्दीन
ATS के DIG सुनील जोशी ने बताया कि अहमद मोहिउद्दीन 35 वर्षीय मेडिकल प्रोफेशनल है, जिसने चीन से MBBS की डिग्री हासिल की थी। भारत लौटने के बाद उसने कुछ ऑनलाइन कट्टरपंथी ग्रुप्स से संपर्क किया और धीरे-धीरे ISKP नेटवर्क से जुड़ गया।जांच में खुलासा हुआ है कि विदेश में बैठे ISKP के हैंडलर्स ने अहमद को ‘केमिकल अटैक मिशन’ का जिम्मा सौंपा था। उसके मेडिकल बैकग्राउंड का इस्तेमाल इस घातक पदार्थ को तैयार करने में किया गया। अहमद ने सोशल मीडिया और डार्क वेब के जरिए विदेशी जिहादी तत्वों से संपर्क बनाए रखा था।
रिसिन: सायनाइड से भी ज़्यादा खतरनाक जहर ATS की जांच में पाया गया कि तीनों आरोपी रिसिन (Ricin) नामक एक रासायनिक पदार्थ तैयार कर रहे थे। यह इंसान के शरीर में जाते ही कोशिकाओं को नष्ट कर देता है, जिससे कुछ ही मिनटों में मौत हो सकती है। रिसिन पौधे के बीज कैस्टर (अरण्ड) से निकाला जाता है और इसे दुनिया के सबसे खतरनाक जैविक हथियारों में गिना जाता है। यह हवा, पानी या भोजन के ज़रिए भी फैल सकता है। ATS का मानना है कि आरोपियों की योजना भीड़भाड़ वाले इलाकों में इसे फैलाने की थी ताकि ज्यादा से ज्यादा नुकसान हो।
हनुमानगढ़ से आए हथियार, दिल्ली-लखनऊ तक फैला नेटवर्क पूछताछ में अहमद ने बताया कि हथियार राजस्थान के हनुमानगढ़ से मंगवाए गए थे। वह उन्हें गुजरात के संपर्कों को देने आया था और फिर हैदराबाद लौटने की योजना बना रहा था। अब एजेंसियां यह पता लगाने में जुटी हैं कि यह नेटवर्क कहां-कहां तक फैला है और हथियारों की सप्लाई किस रास्ते से हुई।
ATS को शक है कि इस मॉड्यूल के कुछ साथी दिल्ली और लखनऊ में भी सक्रिय हैं। वहां उन्होंने ग्राउंड रेकी भी की थी। एजेंसियां CCTV फुटेज और कॉल डिटेल्स के जरिए इनकी हर गतिविधि ट्रेस कर रही हैं।

एक साल की निगरानी के बाद बड़ा ऑपरेशन
गुजरात ATS और केंद्रीय एजेंसियां पिछले एक साल से इस नेटवर्क पर नजर रख रही थीं। अहमद और उसके साथियों की गतिविधियां लगातार मॉनिटर की जा रही थीं। दो दिन पहले अडालज टोल प्लाजा के पास जब यह समूह कार से गुजर रहा था, तब ATS ने ऑपरेशन चलाकर तीनों को गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी के बाद बरामद सामानों में रिसिन सैंपल, हथियार, लैपटॉप, विदेशी ट्रांजेक्शन रिकॉर्ड और ISKP प्रचार सामग्री मिली है। ATS ने कहा कि अगर वक्त रहते यह ऑपरेशन न होता, तो देश के कई शहरों में एक बड़ी तबाही हो सकती थी।
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केंद्रीय एजेंसियों की संयुक्त जांच जारी
अब यह मामला NIA (राष्ट्रीय जांच एजेंसी), IB (इंटेलिजेंस ब्यूरो) और RAW (रिसर्च एंड एनालिसिस विंग) के पास है। शुरुआती रिपोर्ट बताती है कि यह मॉड्यूल भारत में ISKP का “मेडिकल विंग” बनाने की कोशिश में था। इसका उद्देश्य डॉक्टरों, इंजीनियरों और तकनीकी युवाओं को जिहादी विचारधारा से जोड़ना और उन्हें आतंकी मिशनों में शामिल करना था। सूत्रों के अनुसार, इस मॉड्यूल की फंडिंग विदेशी खातों के जरिए की जा रही थी। जांच में कुछ क्रिप्टो ट्रांजेक्शन्स और एन्क्रिप्टेड चैट्स का भी पता चला है, जिन्हें डिक्रिप्ट कर एजेंसियां कड़ियों को जोड़ रही हैं।
भारत में ISKP की नई रणनीति पर सुरक्षा एजेंसियों की नजर
विशेषज्ञों का मानना है कि अफगानिस्तान और पाकिस्तान में कमजोर पड़ने के बाद ISKP (Islamic State Khorasan Province) अब भारत में नई भर्ती रणनीति पर काम कर रहा है। ये लोग उच्च शिक्षित युवाओं, खासकर मेडिकल और टेक्निकल प्रोफेशनल्स, को टारगेट कर रहे हैं ताकि उन्हें ‘साइंटिफिक जिहाद’ जैसे मिशनों में इस्तेमाल किया जा सके। गुजरात ATS की इस कार्रवाई से साफ है कि देश की एजेंसियां इस नए खतरे को लेकर पूरी तरह सतर्क हैं और साइबर स्पेस से लेकर ग्राउंड नेटवर्क तक की निगरानी बढ़ाई गई है।
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देश में बड़ी साजिश नाकाम, कई और गिरफ्तारियां संभव
DIG सुनील जोशी ने कहा कि अहमद मोहिउद्दीन और उसके साथियों से पूछताछ जारी है और आने वाले दिनों में कुछ और गिरफ्तारी हो सकती है। ATS को उम्मीद है कि जांच के दौरान विदेशी हैंडलर्स और फंडिंग चैनल से जुड़ी कई नई जानकारियां सामने आएंगी। फिलहाल, इन तीनों आरोपियों को कोर्ट में पेश कर रिमांड पर लिया गया है ताकि रासायनिक पदार्थ की उत्पत्ति, आपूर्ति चैन और आतंकियों के संपर्कों की गहराई से जांच की जा सके।
डॉक्टर से आतंकी बनने तक की खतरनाक कहानी
यह मामला इस बात की सख्त चेतावनी है कि कट्टरपंथ और ऑनलाइन ब्रेनवॉशिंग की जड़ें अब उच्च शिक्षित वर्ग तक भी फैल चुकी हैं। एक डॉक्टर जिसने इंसानों की जान बचाने की शपथ ली थी, वही जब आतंकी मानसिकता के प्रभाव में आकर ‘रिसिन’ जैसे ज़हर से निर्दोषों को मारने की योजना बनाए तो यह सिर्फ कानून नहीं, बल्कि इंसानियत पर भी हमला है। गुजरात ATS और केंद्रीय एजेंसियों की समय रहते की गई कार्रवाई ने देश को एक बड़ी ‘केमिकल डिजास्टर’ से बचा लिया है। यह सफलता आतंकवाद के खिलाफ भारत की मजबूत इच्छाशक्ति का उदाहरण है।
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