Bihar Election 2025 Turnout and NDA Exit Poll: बिहार ने इतिहास रच दिया है, इस बार सिर्फ मतपेटियों में नहीं, बल्कि लोकतंत्र की चेतना में भी। दूसरे और अंतिम चरण की वोटिंग में 67.14% की रिकॉर्ड भागीदारी दर्ज की गई। यह आज़ादी के बाद से अब तक की सबसे बड़ी संख्या है। और जैसे-जैसे ये आंकड़े सामने आए, वैसे-वैसे बिहार की गलियों में यह फुसफुसाहट तेज़ हो गई ‘क्या नीतीश कुमार एक बार फिर सत्ता में लौटने वाले हैं?’
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लोकतंत्र का पर्व, जनता का फैसला
मुख्य निर्वाचन अधिकारी दफ्तर से निकला यह आंकड़ा सिर्फ एक प्रतिशत नहीं, बल्कि जनता की राजनीतिक जागरूकता का उत्सव है। यह वही बिहार है जहाँ कभी मतदाता बूथों से दूरी बनाते थे, पर अब वही जनता घंटों कतारों में खड़ी होकर अपने भविष्य का निर्णय लिख रही है। पहले चरण में 65.08% मतदान ने ही संकेत दे दिए थे कि जनता उत्साहित है, और अब दूसरे चरण में 67% से ऊपर जाकर बिहार ने पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए।
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एग्ज़िट पोल का गणित और सियासी रसायन
सभी प्रमुख एग्ज़िट पोल IANS-Matrize, P-Marq और अन्य ने एक स्वर में एनडीए की जीत की भविष्यवाणी की है।
IANS-Matrize: NDA को 147-167 सीटें, महागठबंधन को 70-90
P-Marq: NDA को 142-162, महागठबंधन को 80-98
यानि कि बहुमत का आंकड़ा 122 अब सिर्फ आंकड़ा नहीं, बल्कि एनडीए के पक्ष में संभावित हकीकत बन चुका है। प्रशांत किशोर की नई पार्टी ‘जन सुराज’ फिलहाल आंकड़ों में नहीं टिक पाई दहाई अंक तक भी पहुँचने की संभावना नहीं दिखी।
क्षेत्रवार वोटिंग, सीमांचल ने रचा इतिहास
बिहार के हर कोने ने इस बार लोकतंत्र में अपनी भूमिका निभाई, लेकिन सबसे चमकदार प्रदर्शन रहा सीमांचल का।
किशनगंज: 76.26%
कटिहार: 75.23%
पूर्णिया: 73.79%
अररिया: 67.79%
यानि मुस्लिम-बहुल इलाका होने के बावजूद सीमांचल ने रिकॉर्ड तोड़ा, जो अपने आप में एक संदेश है यह चुनाव पहचान का नहीं, परिवर्तन का था। चंपारण में भी जोश कम नहीं रहा 69.17% मतदान दर्ज हुआ। अंग क्षेत्र (भागलपुर, बांका, जमुई) ने औसतन 67.58%, जबकि मिथिलांचल ने 66.77% के साथ अपनी आवाज बुलंद की। सबसे कम मतदान मगध (63.30%) और शाहाबाद (63.96%) में हुआ जो परंपरागत रूप से महागठबंधन के गढ़ माने जाते हैं।
नया वोटर, नई सूची और नई सोच
चुनाव आयोग ने इस बार एक बड़ा कदम उठाया 65 लाख से अधिक फर्जी या मृत नामों को सूची से हटाया गया। इस सफाई ने न केवल सूची को सही बनाया बल्कि विश्वास भी बढ़ाया। एक अधिकारी ने बताया, “मतदाता सूची की शुद्धि और जागरूकता अभियानों ने लोगों को मतदान के लिए प्रेरित किया।’ यानि कि मतदाता सूची से निकले नामों ने वोटिंग प्रतिशत को नहीं घटाया, बल्कि लोकतंत्र को और जीवंत कर दिया।
सुरक्षा, तकनीक और प्रशासन की निगरानी
दूसरे चरण में 20 जिलों के 122 विधानसभा क्षेत्रों में मतदान हुआ। 1,500 CAPF कंपनियाँ, 50 बिहार मिलिट्री पुलिस यूनिट्स, और 45,000 पुलिसकर्मी तैनात रहे। हर 45,399 मतदान केंद्र पर लाइव वेबकास्टिंग चुनाव आयोग ने इस बार टेक्नोलॉजी को लोकतंत्र के प्रहरी में बदला। नेपाल सीमा सील, 459 चेकपोस्ट सक्रिय, ड्रोन, सैटेलाइट फोन, नावें सबकुछ तैनात। दिल्ली ब्लास्ट के बाद जो भय का माहौल था, उसे बिहार ने सुरक्षा और संयम से शांत कर दिया।
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बिहार ने दिल से मतदान किया
2020 में जब बिहार की कुल वोटिंग 57.29% थी, तब किसी ने नहीं सोचा था कि पाँच साल में यह राज्य लोकतंत्र का आदर्श बन जाएगा।
इस बार बिहार ने सिर्फ वोट नहीं डाला, बल्कि व्यवस्था को आईना दिखाया। जहाँ राजनीतिक समीकरण रोज़ बदलते हैं, वहाँ जनता ने एक स्थायी संदेश दिया है ‘हम बदलाव चाहते हैं, पर स्थिरता के साथ।’
अब सबकी निगाहें 14 नवंबर की गिनती पर हैं। क्योंकि उस दिन तय होगा कि नीतीश कुमार का अनुभव भारी पड़ता है या तेजस्वी यादव का उत्साह। पर एक बात तय है बिहार की जनता अब सिर्फ दर्शक नहीं, बल्कि लोकतंत्र की सबसे बड़ी पटकथा लेखक बन चुकी है।
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