Nitish Kumar resignation Bihar: बिहार की राजनीति में एक और बड़ा मोड़ तब सामने आया जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को राज्यपाल अरिफ मोहम्मद खान से मुलाकात कर अपना इस्तीफा सौंप दिया। यह फैसला उन राजनीतिक परिस्थितियों के बीच आया है, जिनमें राज्य की सत्ता समीकरण लगातार बदलाव के दौर से गुजर रहे थे। नीतीश कुमार के इस्तीफे ने न केवल सूबे की राजनीति में हलचल बढ़ा दी है, बल्कि आने वाले समय की दिशा को लेकर कई चर्चाओं को जन्म दे दिया है।
जानकारी के मुताबिक, नीतीश कुमार तय समय पर राजभवन पहुंचे और राज्यपाल से मुलाकात की। मुलाकात करीब दस मिनट चली, जिसके बाद उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा राज्यपाल को सौंप दिया। माना जा रहा है कि उन्होंने राज्यपाल को वर्तमान राजनीतिक परिस्थिति और गठबंधन की स्थिति के बारे में अवगत कराया। हालांकि मुलाकात के बाद उन्होंने मीडिया से कोई बात नहीं की, लेकिन उनके चेहरे पर साफ झलक रहा था कि यह निर्णय सहज नहीं था।
नीतीश कुमार अपनी व्यावहारिक और रणनीतिक राजनीति के लिए हमेशा जाने जाते रहे हैं। पिछले दो दशकों में वे कई बार राजनीतिक समीकरणों को बदलते हुए सत्ता में वापसी करते रहे हैं। लेकिन इस बार इस्तीफे के बाद सूबे में नई राजनीतिक तस्वीर बनने की संभावनाएं काफी मजबूत हो गई हैं। राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा जोर पकड़ चुकी है कि अगले कदम के रूप में कौन नया समीकरण बनेगा और क्या कोई नया गठबंधन सत्ता की ओर बढ़ेगा।
NDA और महागठबंधन दोनों की नजरें इस समय राजभवन और नीतीश कुमार की अगली चाल पर टिकी हुई हैं। अगर नए गठबंधन की संभावना बनती है तो स्पष्ट है कि बिहार की सत्ता नई दिशा लेगी। वहीं दूसरी ओर, अगर विधानसभा भंग करने या अंतरिम व्यवस्था जैसी स्थिति बनती है, तो राज्य को नई राजनीतिक प्रक्रिया के लिए तैयार होना पड़ सकता है।
नीतीश कुमार ने अपने राजनीतिक सफर में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। वे बिहार की राजनीति के ऐसे नेता रहे हैं, जिन्होंने विकास और सुशासन के मुद्दों को कई बार अपने शासन की पहचान बनाया। परंतु बदलते राजनीतिक समीकरण और सहयोगियों की बदलती रणनीति ने उनकी राह को हमेशा चुनौतीपूर्ण बनाया है। उनके हालिया कदम को भी इसी चुनौतीपूर्ण दौर के एक बड़े फैसले के रूप में देखा जा रहा है।
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इस्तीफे के साथ ही बिहार की राजनीति में अनिश्चितता का दौर शुरू हो गया है। समर्थकों और विरोधियों दोनों की निगाहें अब इस बात पर हैं कि आने वाले दिनों में कौन-सा गठबंधन बनेगा, सरकार किसके हाथों में जाएगी और क्या बिहार एक नई राजनीतिक दिशा में कदम रखेगा। फिलहाल, बिहार की राजनीति एक निर्णायक मोड़ पर खड़ी दिख रही है और हर अगला कदम सूबे के भविष्य को नई परिभाषा दे सकता है।
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