Bihar Nitish Cabinet 2025: बिहार की राजनीति में गुरुवार एक ऐसा दिन रहा जिसने सिर्फ सत्ता परिवर्तन का नहीं, बल्कि सत्ता संतुलन के नए अध्याय का आरंभ दर्ज किया। नितीश कुमार ने रिकॉर्ड 10वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और इसी के साथ 26 मंत्रियों के साथ नई कैबिनेट आकार ले चुकी है। लेकिन इस बार दिलचस्प यह नहीं कि नितीश मुख्यमंत्री बने बल्कि, यह है कि उनके चारों ओर खड़ी टीम के चेहरे बताती है कि बिहार में राजनीतिक स्थिरता और गठबंधन राजनीति के बीच भरोसे की नई रेखाएँ खिंची जा रही हैं। यहां नए चेहरों से ज्यादा पुराने और परखे हुए नेताओं को तवज्जो दी गई है। यह संदेश साफ है बदलते चुनावी समीकरणों के बीच नितीश कुमार अनुभव पर दांव लगा रहे हैं, और भाजपा संगठनात्मक ताकत के विस्तार पर।
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1. सत्ता के दो स्तंभ: सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा
चाहे राजनीति की गलियों में चर्चा हो या जनता के बीच की बातचीत स्पष्ट दिखता है कि सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा अब बिहार की सत्ता के दो सबसे मजबूत चेहरे हैं।
सम्राट चौधरी, दूसरी बार डिप्टी सीएम, टारापुर से जीतकर आए। भाजपा के भीतर उनकी बढ़ती पकड़ और आक्रामक राजनीतिक शैली उन्हें नितीश सरकार में निर्णायक भूमिका देती है।
विजय कुमार सिन्हा, लगातार दूसरी बार डिप्टी सीएम बने। लखीसराय से जीतकर आने वाले सिन्हा भाजपा का वह चेहरा हैं जो संगठन और सत्ता दोनों में समान रूप से स्वीकार्य हैं। दोनों की जोड़ी साफ करती है कि भाजपा बिहार में अब केवल सहयोगी दल नहीं बल्कि सत्ता संचालन में बराबर की हिस्सेदार है।
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2. भाजपा की बड़ी हिस्सेदारी14 मंत्री और साइलेंट मेसेज
इस बार मंत्रिपरिषद में भाजपा के 14 मंत्री शामिल किए गए हैं। इसमें दिलीप जायसवाल, मंगल पांडे, नितिन नवीन, संजय सिंह टाइगर, अरुण शंकर प्रसाद जैसे वे चेहरे हैं जिन्हें संगठन और सरकार दोनों में ठोस अनुभव है। मंगल पांडे फिर से संभावनाओं के केंद्र में हैं। नितिन नवीन की वापसी शहरी राजनीति के महत्व को दिखाती है। रामकृपाल यादव की एंट्री बताती है कि भाजपा हारने वाले चेहरे को भी वापसी का मौका देती है यह सूची भाजपा की रणनीति का संकेत है अनुभव + जातीय संतुलन + संगठन का प्रतिनिधित्व।
3. जेडीयू के पुराने चेहरे और नितीश की स्थिरता की राजनीति
जेडीयू से आए चेहरे बिहार की राजनीति का परिचित फ्रेम यें तैयार करते हैं,
- विजय कुमार चौधरी
- बिजेंद्र प्रसाद यादव
- मदन सहनी
- लेशी सिंह
- श्रवण कुमार
- जमा खान
ये सभी मंत्री इस बात के प्रतीक हैं कि नितीश कुमार नई सरकार में प्रयोग नहीं, बल्कि स्थिरता और भरोसे का मॉडल लेकर चल रहे हैं।
जमा खान का शामिल होना सामाजिक संतुलन की राजनीति को मजबूती देता है।
4. युवा चेहरों का उदयश्रेयासी सिंह और नए नेताओं का प्रवेश
खेल से राजनीति की पारी खेलने वाली श्रेयासी सिंह को दोबारा मौका मिला है। यह संदेश है कि भाजपा महिलाओं और युवा चेहरे की राजनीति को मजबूती के साथ आगे बढ़ा रही है।
इसके अलावा,
- दीपक प्रकाश कुशवाहा का एमएलसी बनने से पहले मंत्री बनना
- रामा निषाद जैसी नई महिला नेता का पहला ही चुनाव जीतकर कैबिनेट में प्रवेश
ये सभी संकेत हैं कि नई पीढ़ी को सत्ता के केंद्र में लाया जा रहा है।
5. छोटे दलों की भूमिका NDA का सामाजिक विस्तार
HAM के संतोष सुमन की वापसी
LJP(RV) के दो चेहरे
RLM का प्रतिनिधित्व
यह दिखाता है कि NDA अब सिर्फ भाजपा-जेडीयू का गठबंधन नहीं, बल्कि विस्तृत सामाजिक राजनीतिक गठजोड़ बन चुका है। हर जाति, प्रत्येक क्षेत्र और विविध सामाजिक समूहों को प्रतिनिधित्व देने का प्रयास साफ दिखता है।
6. नितीश कुमार का 10वां कार्यकालनिरंतरता और बदलती हवा दोनों का संकेत
10वीं बार मुख्यमंत्री बनना सिर्फ संयोग नहीं यह बताता है कि बिहार की राजनीति में नितीश कुमार एक स्थायी समीकरण हैं। उनकी राजनीति व्यावहारिक है बदलते हालात, बदलते गठजोड़, लेकिन उद्देश्य एक सत्ता में स्थिरता और प्रशासनिक नियंत्रण।
इस बार की कैबिनेट बताती है कि,
- भाजपा के आक्रामक विस्तार
- जेडीयू की अनुभवी टीम
- छोटे दलों का रणनीतिक उपयोग
- युवाओं और महिलाओं की एंट्री
मिलकर बिहार में NDA मॉडल का नया चेहरा तैयार कर रहे हैं।
अनुभव और प्रयोग दोनों का मेल
इस मंत्रिमंडल में चमक नए चेहरों की हो सकती है, लेकिन असली ताकत पुराने अनुभवी नेताओं के हाथों में है।यह मंत्रिपरिषद सबसे पहले स्थिरता पर जोर देती है और उसके बाद संगठनात्मक मजबूती व सामाजिक संतुलनपर। बिहार की नई राजनीति की शुरुआत हो चुकी है। अब देखने वाली बात यह होगी कि ये टीम बिहार को नई दिशा दे पाएगी या नहीं, लेकिन इतना तय है कि नितीश कुमार की 10वीं पारी अनुभव की राजनीति की सबसे बड़ी मिसाल है।
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