PM Modi Johannesburg: दक्षिण अफ्रीका की धरती पर पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जोहांसबर्ग में भारतीय मूल के समुदाय नेताओं से मुलाक़ात कर न सिर्फ अपने कूटनीतिक एजेंडे की झलक दिखाई, बल्कि उस भावनात्मक रिश्ते को भी मज़बूती दी जिसे भारतीय प्रवासी दशकों से संजोए हुए हैं। G20 लीडर्स समिट के ठीक पहले हुई यह बातचीत, एक तरह से भारत की सांस्कृतिक ‘सॉफ्ट पावर’ को दुनिया के सामने रखने की कोशिश भी थी और दक्षिण अफ्रीका की ज़मीन पर भारतीय पहचान की अगली परत गढ़ने की दिशा भी।
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यह मुलाक़ात महज़ औपचारिकता नहीं थी यह उन रिश्तों का विस्तार थी, जिनकी जड़ें छह-सात पीढ़ियों से यहां बसे भारतीय परिवारों में फैली हैं। प्रधानमंत्री ने समुदाय से कहा ‘इंडियन कल्चर को साउथ अफ्रीका की जिंदगी में और रचा-बसा बनाइएयोग, आयुर्वेद, संस्कृति और सबसे बढ़कर भारत को जानने की जिज्ञासा बढ़ाइए।‘
संस्कृति, भाषा और पहचान मोदी के तीन संदेश
इस बैठक में तीन अहम मुद्दे उभरकर आए।
पहला भाषा। PM Modi ने पूछा कि क्या भारतीय भाषाओं खासकर वेर्नाकुलर भाषाओं को बचाने और आगे बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं। यह सवाल केवल भाषा को लेकर नहीं, बल्कि उस सांस्कृतिक पहचान को लेकर था, जो प्रवासी समुदाय की अगली पीढ़ियों में कहीं फीकी पड़ती जा रही है।
दूसरा पर्यटन। मोदी का संदेश साफ था ‘1.8 मिलियन भारतीय मूल के लोग अगर भारत पर्यटन का जिम्मा लें, तो बदलाव आप खुद देखेंगे।’ यह सिर्फ इमोशनल कनेक्ट नहीं, बल्कि भारत की अर्थव्यवस्था और वैश्विक साख को बढ़ाने की पॉलिसी ड्राइव भी है।
तीसरा पीढ़ियों का संबंध। छह-सात पीढ़ियों से दक्षिण अफ्रीका में बसे भारतीय जहां अपनी जड़ों से दूर हैं, वहीं मोदी का सपना है कि वे भारत की सांस्कृतिक विरासत के ‘ब्रांड एम्बेसडर’ बनें। यह एक ऐसा राजनीतिक-सामाजिक संदेश है, जिसमें भावनात्मक जुड़ाव और रणनीतिक हित दोनों शामिल हैं।
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विदेश में भारतीयता का उभार और ‘भावनात्मक कूटनीति’
मुलाकात के दौरान स्वामी आचार्य और स्वामी अभेदनंद जी जैसे आध्यात्मिक नेताओं ने भी अपनी प्रतिक्रियाएं साझा कीं। उन्होंने कहा कि बातचीत खुली, सहज और प्रेरणादायक रही। यह बता देती है कि मोदी का यह संवाद एकतरफा भाषण नहीं, बल्कि समुदाय के विचारों को सुनने और समझने की प्रक्रिया भी था।
PM Modi द्वारा साझा किया गया वह कलश-जिसमें भारत और दक्षिण अफ्रीका दोनों की मिट्टी और मिलेट्स शामिल थे—किसी प्रतीक मात्र नहीं, बल्कि सांस्कृतिक संगम का दृश्य था। यह कलश अब डरबन के अन्नपूर्णा देवी मंदिर में स्थापित होगा, जो प्रवासी भारतीय समुदाय के लिए गर्व और भावनात्मक स्वीकृति का प्रतीक बनेगा।
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भारत को जानने की जिज्ञासा ‘Bharat Ko Janiye’ क्विज़ की ताकत
प्रधानमंत्री ने दक्षिण अफ्रीका में आयोजित Bharat Ko Janiye (Know India) Quiz के विजेताओं से भी मुलाक़ात की। उनका कहना था कि यह क्विज़ सिर्फ एक प्रतियोगिता नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और वैचारिक भावना से जुड़ने का माध्यम है। यह पहल प्रवासी भारतीयों की पहचान को मजबूत करने का संवेदनशील प्रयास भी है।
G20 की पृष्ठभूमि में यह संवाद क्यों महत्वपूर्ण?
जब दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाएं जोहांसबर्ग में एक मंच पर आ रही हैं, ऐसे में भारत का यह कदम कई मायने रखता है। यहां PM Modi का समुदाय से संवाद, भारत की वैश्विक भूमिका को केवल आर्थिक या रणनीतिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक शक्ति के रूप में स्थापित करता है। यह बताता है कि भारत सिर्फ अपना भू-राजनीतिक प्रभाव बढ़ाना नहीं चाहता, बल्कि भारतीय विचार और सभ्यता को भी दुनिया के केंद्र में लाने की कोशिश कर रहा है।
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भारत–दक्षिण अफ्रीका रिश्ते की नई पटकथा
मोदी की इस मुलाक़ात ने दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक पुल को और मजबूत किया है। जहां दक्षिण अफ्रीका में भारतीय मूल की आबादी देश की विविधता का अभिन्न हिस्सा है, वहीं भारत भी इस प्रवासी शक्ति को अपने वैश्विक कूटनीतिक ढांचे में केंद्र में रखता है।
आज जोहांसबर्ग में जो दृश्य था वह केवल एक बैठक नहीं, बल्कि इतिहास, भावनाओं और भविष्य की संभावनाओं का संगम था। भारतीय समुदाय ने अपनी आवाज़ रखी, प्रधानमंत्री ने अपना दृष्टिकोण साझा किया, और दोनों मिलकर भारत और दक्षिण अफ्रीका के रिश्तों की एक नई परिभाषा लिखते हुए दिखाई दिए।
यह मुलाक़ात बताती है कि भारत की विदेश नीति अब सिर्फ सीमाओं तक सीमित नहीं, बल्कि प्रवासी भारतीयों की धड़कनों, सपनों और सांस्कृतिक अपनापन से होकर गुजरती है-और यही शायद मोदी की ‘सॉफ्ट पावर डिप्लोमैसी’ का सबसे महत्वपूर्ण सूत्र है।
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