PM Modi Meloni candid conversation G20 2025: दुनिया की शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं का मंच G20 सिर्फ औपचारिक घोषणाओं या संयुक्त बयान का मंच नहीं होता। इसकी असल राजनीति उन पलों में छिपी होती है, जो कैमरे अनजाने में कैद कर लेते हैं। जो पल स्क्रिप्ट में नहीं होते, लेकिन कूटनीति के सबसे गहरे संदेश वहीं छिपे होते हैं। जोहान्सबर्ग में चल रहे G20 समिट 2025 में ठीक ऐसा ही एक दृश्य देखने को मिला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी की बेहद सहज, आत्मीय और मुस्कुराती बातचीत, जिसने न सिर्फ सोशल मीडिया बल्कि पूरे अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक विमर्श का ध्यान अपनी ओर खींच लिया।
भारत–इटली समीकरण की नई भाषा, अनौपचारिक, आत्मीय और भरोसे वाली
विश्लेषक मानते हैं कि मोदी और मेलोनी की यह ‘कैंडिड कन्वर्सेशन’ भारत–इटली संबंधों के बीच बन चुके विश्वास के पुल को और मजबूत करती है। आम तौर पर कूटनीति में दृश्यमान निकटता अघोषित संकेत होती है—और यहां संकेत स्पष्ट था कि दिल्ली और रोम एक नई साझेदारी की ओर बढ़ रहे हैं। यदि इसे समझें तो यह सिर्फ मुस्कुराहटों की अदला-बदली नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय शक्ति-संतुलन की पुनर्स्थापना का दृश्य था—जहाँ दो लोकतांत्रिक राष्ट्र वैश्विक दक्षिण (Global South) की राजनीति को नए फॉर्मेट में पुनर्परिभाषित कर रहे थे।
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क्यों चर्चा में रही यह बातचीत?
पहला कारण यह पूरी तरह अनौपचारिक थी। न कोई प्रोटोकॉल, न कोई तैयार बयान, न कोई आधिकारिक ब्रिफिंग। दूसरा मेलोनी की सहजता और मोदी की आत्मीयता ने इस दौरान बनी बॉडी लैंग्वेज को प्रभावशाली बना दिया। तीसरा G20 के कठोर भू-राजनीतिक एजेंडे के बीच यह दृश्य ‘राजनीति में मानवीय स्पेस’ की याद दिलाता है। भारत की बढ़ती वैश्विक भूमिका और इटली का यूरोपीय नेतृत्व दोनों को जोड़ती यह तस्वीर आने वाले समय की कूटनीति की दिशा बताती है।
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‘फोटो-ऑप नहीं, संकेत-ऑपरेशन’
यहां सबसे अहम प्रश्न उठता है—क्या यह वास्तव में सिर्फ एक क्षण था, या राजनीतिक संकेत से भरा हुआ एक ‘डिप्लोमैटिक ऑपरेशन’? विश्लेषणात्मक तरीके में देखें तो यह नजारा भारत की बदलती कूटनीति का प्रमाण है, जहां प्रधानमंत्री वैश्विक मंचों पर महज़ सहभागी नहीं, बल्कि वातावरण के नैरेटिव पर कब्ज़ा करने वाले नेता की भूमिका निभा रहे हैं। इटली जिसने हाल के वर्षों में हिंद-प्रशांत (Indo-Pacific) और रक्षा सहयोग पर भारत के साथ मजबूत कदम बढ़ाए हैं—इन पलों को सिर्फ ‘दोस्ती’ का रंग नहीं देता। यह साझेदारी रणनीतिक भी है और भावनात्मक भी। इस बातचीत में न दिखा तो बस वही जो कूटनीति हमेशा छिपा कर रखती है भविष्य की योजनाएं।
ग्लोबल साउथ की राजनीति का नया फ्रेम
G20 दक्षिण अफ्रीका में हो रहा है, और यह संयोग नहीं कि भारत और इटली—दोनों—ग्लोबल साउथ के मुद्दों को आगे बढ़ाने के बड़े दावेदार हैं। मोदी की यह मुस्कुराती बातचीत वस्तुत यह संदेश भी देती है कि दुनिया की राजनीति ‘ब्लॉक पॉलिटिक्स’ से आगे बढ़कर व्यक्तित्व आधारित कूटनीति की ओर जा रही है। जहां नेता एक-दूसरे को समझते हैं, और देशों के बीच संवाद इंसानी रिश्तों के सहारे भी आगे बढ़ते हैं। इस 10–15 सेकंड की बातचीत से यह स्पष्ट है, भारत अब वैश्विक राजनीति में ‘प्रतिक्रियात्मक’ नहीं, बल्कि ‘नैरेटिव सेट करने वाला’ देश बन चुका है। मेलोनी और मोदी का यह सहज क्षण आने वाले वर्षों में भारत–इटली साझेदारी की गहराई का आधार बन सकता है। G20 की बड़ी घोषणाएं तो बाद में भी पढ़ी जाएंगी- लेकिन यह दृश्य, यह बातचीत, यह मुस्कुराहट, कूटनीति की उस भाषा को चिह्नित करती है जो दस्तावेज़ों में नहीं, इतिहास में दर्ज होती है।
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