Vrindavan News: सेवाकुंज-इमलीतला क्षेत्र स्थित श्री आचार्य पीठ में श्रीमद्भागवत सेवा संस्थान (रजि.) के तत्वावधान में चल रहे 51वें अष्टदिवसीय श्रीमद्भागवत जयंती एवं श्रीराधा जन्म महोत्सव के अंतर्गत विराट संत-विद्वत सम्मेलन का आयोजन बड़े ही उत्साह और आध्यात्मिक गरिमा के साथ सम्पन्न हुआ।
आचार्य पीठ के पीठाधीश्वर श्री यदुनन्दन आचार्य जी ने बताया कि इस महोत्सव की परम्परा श्रीरामानुज सम्प्रदायाचार्य बैकुंठवासी स्वामी किशोरी रमणाचार्य महाराज द्वारा प्रारम्भ की गई थी। तभी से प्रत्येक वर्ष यह आयोजन ब्रजभूमि में भक्ति, भजन और शास्त्रचर्चा की अनुपम धारा प्रवाहित करता आ रहा है।

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संत-विद्वानों का आशीर्वचन
सम्मेलन में देश के अनेक प्रतिष्ठित संतों और विद्वानों ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से अपने विचार प्रकट किए। इसमें निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि महाराज (हरिद्वार), जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज, तुलसी पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामभद्राचार्य महाराज, बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पण्डित धीरेन्द्र शास्त्री, जगद्गुरु स्वामी राघवाचार्य महाराज, और जगद्गुरु कार्ष्णि स्वामी गुरु शरणानंद महाराज प्रमुख रहे। सभी ने भक्तिभाव और वैष्णव परम्परा की महत्ता पर बल देते हुए कहा कि श्रीमद्भागवत और श्रीराधा जन्मोत्सव सनातन धर्म के जीवंत प्रतीक हैं।
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महोत्सव की अध्यक्षता और वैष्णव धर्म की व्याख्या
इस अवसर पर अध्यक्षता करते हुए श्रीरामानुज सम्प्रदाचार्य जगद्गुरु स्वामी अनिरुद्धाचार्य महाराज एवं श्रीनाभापीठाधीश्वर श्रीमज्जगद्गुरु स्वामी सुतीक्ष्णदास देवाचार्य महाराज ने कहा कि वैष्णव धर्म की आधारशिला भगवान नारायण की परमोपासना है। भक्ति के माध्यम से ही जीव भगवान् के सान्निध्य को प्राप्त कर सकता है। इसी संदेश को पीढ़ी दर पीढ़ी आचार्य पीठ आगे बढ़ा रहा है।

भागवत महापुराण का महत्व
गौरी गोपाल आश्रम के संस्थापक अनिरुद्धाचार्य महाराज और वानप्रस्थ धाम के संस्थापक डॉ. चतुर नारायण पाराशर महाराज ने अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि श्रीमद्भागवत महापुराण ऐसा ग्रंथ है जिसका श्रवण, वाचन और अध्ययन तीनों ही जीव के कल्याण के लिए अनिवार्य हैं। इसका जयंती महोत्सव मनाना धर्म और समाज के उत्थान के लिए मंगलकारी है।
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श्रीराधा रानी का गौरव
भागवत प्रवक्ता आचार्य रामविलास चतुर्वेदी एवं आचार्य नागेंद्र गौड़ ने कहा कि ब्रज के रसिक संतों की वाणियों में श्रीराधा रानी को अखिल ब्रह्मांड की आल्हादिनी शक्ति बताया गया है। सम्पूर्ण ब्रजमंडल उन्हीं के अधीन है और वही ब्रजवासियों की प्राणाधार हैं।
संगीतमय प्रस्तुति और सम्मान
कार्यक्रम के प्रारम्भ में संगीताचार्य पण्डित देवकी नंदन शर्मा ने श्रीराधा जन्म की बधाईयों का संगीतमय गायन प्रस्तुत कर समूचे वातावरण को भक्तिमय बना दिया।
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इसके उपरान्त आचार्य पीठ के युवराज श्री वेदान्त आचार्य ने सभी आगंतुक संतों और विद्वानों का सम्मान किया। मंच संचालन आचार्य यशोदानन्दन शास्त्री (लालजी महाराज) ने किया।
अन्य संतों और विद्वानों की उपस्थिति
महोत्सव में श्रीमहंत लाड़िली शरण देवाचार्य महाराज, श्रीकृष्ण काली पीठाधीश्वर डॉ. केशवाचार्य महाराज, रंग पुरोधा आचार्य पं. विनोद मिश्र, डॉ. राधाकांत शर्मा, धर्मवीर शास्त्री, पूर्व प्राचार्य डॉ. रामसुदर्शन मिश्र, डॉ. रामकृपालु त्रिपाठी, आचार्य नन्दकुमार शास्त्री, संत रामकृपालु दास, अनन्त रामानुज दास, सर्वेश्वरी दासी, पण्डित जयदेव श्रोत्रीय और प्रमुख समाजसेवी पिंकी द्विवेदी सहित अनेक संतों एवं भक्तजनों ने अपने विचार रखे।
आभार और अभिनंदन
अंत में युवराज वेदान्त आचार्य महाराज ने महोत्सव में पधारे सभी संतों, विद्वानों एवं आगंतुकों का पटुका ओढ़ाकर एवं ठाकुरजी का प्रसाद एवं दक्षिणा भेंट कर अभिनंदन किया।
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