Dhirendra Krishna Shastri Yamuna Aarti Uttarkashi: उत्तराखंड के बारकोट में यमुना नदी के पवित्र तट पर बाबा बागेश्वर धाम के प्रमुख पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने विशेष पूजन-अर्चना की। इस दौरान वातावरण मंत्रोच्चार से गूंज उठा। श्रद्धालुओं ने ‘जय श्री राम’ और ‘बागेश्वर धाम सरकार की जय’ के उद्घोषों से पूरा क्षेत्र धर्ममय कर दिया। शास्त्री जी ने विधि-विधान से मां यमुना की पूजा कर जल को आशीर्वादस्वरूप माना और कहा, ‘यमुना केवल नदी नहीं, भारत की संस्कृति और जीवन का आधार हैं।’
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पूजन के दौरान ‘गणेश शांति पाठ’ से कार्यक्रम की शुरुआत हुई। पंडितों ने वेदिक मंत्रों का उच्चारण किया और धीरेंद्र शास्त्री ने अपने कर कमलों से दीप प्रज्ज्वलित कर आरती आरंभ की। आरती के दृश्य इतने मनोहारी थे कि उपस्थित भक्तों ने भावविभोर होकर आरती में सहभागिता की। कई भक्तों की आंखें श्रद्धा से नम हो गईं।

पूजन के दौरान शास्त्री जी ने ‘वंदे भारत’ का उद्घोष कर राष्ट्रप्रेम और अध्यात्म का सुंदर संगम प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि ‘भारत भूमि केवल भूगोल नहीं, यह आस्था, संस्कार और शक्ति की भूमि है। जब तक हमारी संस्कृति जिंदा है, तब तक भारत विश्व गुरु रहेगा।‘ उन्होंने यह भी कहा कि नदी, पर्वत और मंदिर ये केवल धार्मिक प्रतीक नहीं बल्कि भारत की आत्मा हैं।
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कार्यक्रम में स्थानीय साधु-संतों, आचार्यों और यजमानों की बड़ी संख्या मौजूद रही। कई श्रद्धालु दूरदराज के गांवों से सिर्फ बाबा बागेश्वर धाम के दर्शन के लिए पहुंचे थे। उन्होंने शास्त्री जी से आशीर्वाद प्राप्त किया और अपने परिवार की मंगलकामना की। स्थानीय निवासी देवदत्त ने कहा, “पहली बार हमारे गांव में इतने बड़े संत का आगमन हुआ है, ये सौभाग्य की बात है।
यमुना तट का प्राकृतिक सौंदर्य और सुबह की हल्की ठंडक में पूजन का दृश्य बेहद दिव्य प्रतीत हो रहा था। शास्त्री जी ने कहा कि उत्तराखंड की धरती देवभूमि है, यहां हर कदम पर ईश्वर की अनुभूति होती है। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण का संदेश देते हुए कहा कि “नदियों की पूजा का अर्थ है, प्रकृति की रक्षा का संकल्प।
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धीरेंद्र शास्त्री ने अपने प्रवचन में बताया कि सच्ची पूजा वही है, जो दूसरों के हित में हो। उन्होंने युवाओं से आग्रह किया कि वे धर्म को केवल अनुष्ठान नहीं, बल्कि आचरण बनाएं। उन्होंने समाज में भाईचारा, सद्भाव और सेवा की भावना को ही सनातन धर्म का सार बताया।
पूजन के दृश्य मीडिया के माध्यम से देशभर में प्रसारित हुए। हजारों भक्त ऑनलाइन माध्यमों से भी इस आयोजन से जुड़े रहे। यमुना आरती के इस आयोजन के दौरान स्थानीय प्रशासन ने सुरक्षा और व्यवस्था का विशेष ध्यान रखा।
बारकोट, उत्तरकाशी में धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का यह पूजन केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि संस्कृति, आस्था और पर्यावरण संरक्षण का संदेश लेकर आया। यमुना तट पर गूंजते मंत्रों ने यह एहसास कराया कि सनातन धर्म की शक्ति उसकी निरंतरता और समरसता में है।
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