Pakistan Cricket Controversy: सोचिए ज़रा… एक साहिबजादा, रन बनाता है… और बल्ले को क्या बना देता है? बल्ला नहीं रहा, AK-47 बन गया। जश्न नहीं रहा, बल्कि वही डरावनी तस्वीर उभर आई… जो कश्मीर की वादियों में आतंक की गूंज के साथ बार-बार दिखती है।
1. खेल या आतंक का प्रदर्शन?
क्रिकेट… जिसे खेल का जश्न कहा जाता है, लेकिन पाकिस्तान के लिए ये खेल नहीं, बल्कि अपनी सोच और अपनी पहचान का आईना है। और यही आईना अब दुनिया के सामने एक बार फिर बेनकाब हुआ।

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2. बल्ला या AK-47?
साहिबजादा नाम के खिलाड़ी ने जब पचासा पूरा किया तो बल्ला हवा में लहराया। लेकिन उस बल्ले से निकलने वाली तस्वीर क्या थी? बल्ला क्रिकेट का नहीं रहा, बल्कि हाथ में AK-47 बन गया। चौका-छक्का नहीं, बल्कि आतंक की नकल। रन का जश्न नहीं, बल्कि बंदूक का प्रदर्शन। और यही तो है पाकिस्तान का असली चेहरा।
3. भारत और पाकिस्तान का फर्क
भारत में जब कोई खिलाड़ी रन बनाता है तो बल्ला हवा में उठता है, देश तिरंगे में डूब जाता है। लेकिन पाकिस्तान में वही बल्ला AK-47 बन जाता है। यही है उस मुल्क की पहचान, जो खेल से ज्यादा आतंक की छाया से जुड़ा है।
4. आतंक की वादियों से मैदान तक
साहिबजादा का बल्ला AK-47 बनते ही भारत समेत पूरी दुनिया को पहलगाम याद आ गया। जहां कभी गोलियों की तड़तड़ाहट और बारूद की गंध ने वादियों को खून से लाल कर दिया था। पहले घाटियों में गोलियां चलती थीं, अब मैदान में बल्ला ही बंदूक की शक्ल ले लेता है।
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5. पाकिस्तान का DNA – खेल नहीं, आतंक
पाकिस्तान का DNA ही ऐसा है। वहाँ बच्चे स्कूल में किताब से कम और कट्टरपंथ से ज्यादा सीखते हैं। क्रिकेटर बल्लेबाज़ी से ज्यादा आतंक का प्रदर्शन करते हैं। और नेता अंतरराष्ट्रीय मंचों पर शांति की बातें करते हैं लेकिन परोक्ष रूप से आतंकियों को पनाह देते हैं।
6. दुनिया कब पहचानेगी असलियत?
क्या दुनिया इस चेहरे को पहचान नहीं रही? या पहचान कर भी अनदेखा कर रही है? क्योंकि आतंक जब घाटियों में दिखता है तो दुनिया खामोश रहती है। और जब वही आतंक क्रिकेट के मैदान में नाचता है तो दुनिया इसे महज़ ‘जश्न’ कहकर छोड़ देती है।
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7. खेल की आड़ में आतंक
भारत में बल्ला रन बनाता है। पाकिस्तान में बल्ला बंदूक बन जाता है। भारत में चौका-छक्का उत्सव होता है। पाकिस्तान में चौका-छक्का, आतंक का प्रदर्शन बन जाता है। यही फर्क है उस मुल्क और इस मुल्क में।
8. पाकिस्तान का असली चेहरा
पाकिस्तान चाहे राजनीति करे या खेल खेले, उसकी रगों में आतंक ही दौड़ता है। और ये तस्वीर, ये बल्ला और ये जश्न, उस पाकिस्तान की पहचान है… जो दुनिया में कभी खेल भावना से नहीं, बल्कि आतंक की भावना से याद किया जाता है।
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