Lalu Yadav Latest News: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का माहौल पूरी तरह गरमा चुका है। पटना की गलियों से लेकर दिल्ली के पावर कॉरिडोर तक सीटों के बंटवारे और रणनीति की बैठकों ने राजनीतिक तापमान बढ़ा दिया है। एनडीए और महागठबंधन-दोनों ही प्रमुख गठबंधन अपने-अपने घटक दलों को साधने में जुटे हैं, लेकिन सीट शेयरिंग पर सहमति अब भी धुंधली है। मनपसंद सीटों को लेकर घटक दलों में खींचतान जारी है, और भाजपा से लेकर राजद तक हर पार्टी अपने हिस्से की ज़मीन मजबूत करने में लगी हुई है।सूत्रों के मुताबिक, भाजपा की पहली उम्मीदवार सूची आज देर शाम तक जारी हो सकती है। वहीं, जदयू, लोजपा (रामविलास) और हम जैसी सहयोगी पार्टियाँ अपने-अपने मजबूत प्रत्याशियों को लेकर मोलभाव कर रही हैं।

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महागठबंधन में भी अंदरूनी खींचतान
तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाले महागठबंधन में भी स्थिति बहुत अलग नहीं है। सीट बंटवारे को लेकर अभी तक गठबंधन कोई औपचारिक घोषणा नहीं कर सका है। इसी बीच, रविवार को तेजस्वी यादव, अपने पिता लालू प्रसाद यादव और मां राबड़ी देवी के साथ दिल्ली रवाना हुए हैं। आधिकारिक रूप से कारण “अदालती पेशी” बताया गया है, लेकिन राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि यह दिल्ली यात्रा कांग्रेस हाईकमान के साथ रणनीतिक वार्ता के लिए भी महत्वपूर्ण है।
कांग्रेस नेता अखिलेश प्रसाद सिंह ने बयान दिया है कि महागठबंधन में सबकुछ ठीक है और “ऑल इज़ वेल” संदेश देने की कोशिश की है। वहीं, पार्टी के वरिष्ठ नेता तारिक अनवर ने कहा कि उम्मीदवारों के चयन में इस बार ऐसे प्रत्याशियों को प्राथमिकता दी जाएगी, जिन्होंने पिछले चुनावों में अच्छा प्रदर्शन किया हो।

राजद को झटका, दो विधायकों ने दिया इस्तीफ़ा
इसी बीच, राजद को बड़ा राजनीतिक झटका लगा है। नवादा की विधायक विभा देवी और रजौली के विधायक प्रकाशवीर ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। माना जा रहा है कि ये दोनों विधायक बहुत जल्द भाजपा में शामिल हो सकते हैं। यह घटनाक्रम उस समय हो रहा है जब महागठबंधन पहले से ही सीट शेयरिंग के असमंजस से गुज़र रहा है। राजद खेमे में इन इस्तीफ़ों ने असहज स्थिति पैदा कर दी है और संकेत मिले हैं कि संगठनात्मक ढांचे में बदलाव और प्रत्याशियों की समीक्षा की जा रही है।
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अमित शाह के आवास पर एनडीए की रणनीतिक बैठक
दिल्ली में गृहमंत्री अमित शाह के आवास पर आज एनडीए नेताओं की एक बड़ी बैठक हो रही है। इस बैठक में जदयू की ओर से राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह और संजय झा मौजूद हैं। माना जा रहा है कि बैठक में सीटों के बंटवारे का फ़ॉर्मूला अंतिम दौर में पहुंच गया है। जदयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा ने कहा कि विपक्ष को पहले से ही मालूम है कि जनता मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ खड़ी है। उन्होंने भरोसा जताया कि जल्द ही एनडीए के भीतर सीट बंटवारे का फ़ॉर्मूला सार्वजनिक कर दिया जाएगा। भाजपा की ओर से भी संकेत दिए गए हैं कि 125 में से लगभग 60 सीटों पर नाम तय कर लिए गए हैं। बाकी सीटों को लेकर दिल्ली में अंतिम मंथन जारी है।
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विपक्ष पर तीखे हमले
भाजपा सांसद जगदंबिका पाल ने विपक्ष पर तीखा वार करते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का संकल्प है—भारत से घुसपैठियों को बाहर करना। उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्ष “वोट की राजनीति” के लिए रोहिंग्या और बांग्लादेशी नागरिकों के हक में बोल रहा है।
उन्होंने सीधे तौर पर राहुल गांधी, ममता बनर्जी, और तेजस्वी यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि ये लोग “भारत की संपत्ति और योजनाओं पर बाहरी लोगों का अधिकार” चाहते हैं, जबकि केंद्र सरकार दृढ़ है कि भारत की सुविधाएँ सिर्फ भारतीय नागरिकों के लिए हैं।
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कांग्रेस नेताओं की दिल्ली बैठक
दिल्ली में आज कांग्रेस के शीर्ष नेता भी बिहार चुनाव को लेकर बैठक कर रहे हैं। इस बैठक में बिहार प्रभारी और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष तारिक अनवर सहित कई वरिष्ठ नेता शामिल होंगे। एजेंडे में मुख्य रूप से सीटों के बंटवारे, उम्मीदवार चयन और महागठबंधन के भीतर सामंजस्य की तैयारी पर चर्चा है।
तीसरा मोर्चा सिर उठाता हुआ
इस चुनावी दौड़ में, जब एनडीए और महागठबंधन दोनों ही सीट शेयरिंग में उलझे हैं, तीसरे मोर्चे का स्वरूप धीरे-धीरे साफ़ होता दिख रहा है। कई छोटे दल और असंतुष्ट नेता, जो दो प्रमुख गठबंधनों से टिकट न मिलने की स्थिति में हैं, एक वैकल्पिक मोर्चे की तलाश में हैं।

सबसे पहले, एआईएमआईएम ने बिहार के 16 जिलों की 32 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। ओवैसी की पार्टी सीमांचल क्षेत्र में परंपरागत वोट बैंक पर दोबारा पकड़ बनाने की तैयारी में है।
इसी लाइन में, झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने भी दबाव बनाया है कि अगर 14 अक्टूबर तक इंडिया गठबंधन में सम्मानजनक सीटें न दी गईं, तो पार्टी “अपना रास्ता खुद चुनेगी।” झामुमो कम से कम 12 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है।
तेज प्रताप यादव का “बड़ा ऐलान”
इन सब घटनाक्रमों के बीच, बिहार की राजनीति में नया शोर उठा है—तेज प्रताप यादव और उनकी नवगठित पार्टी जनशक्ति जनता दल की गतिविधियाँ तेज हो गई हैं। उन्होंने घोषणा की है कि 13 अक्टूबर को वे बड़ी घोषणा करेंगे, जिसमें यह स्पष्ट करेंगे कि उनकी पार्टी कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगी और किन प्रत्याशियों को मैदान में उतारेगी।
तेज प्रताप ने दावा किया कि उनकी पार्टी के प्रति जनता का रुझान लगातार बढ़ रहा है और युवाओं में उनकी विचारधारा को लेकर उत्साह दिख रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि तेज प्रताप का यह कदम महागठबंधन के कुछ पारंपरिक वोट बैंक में हलचल पैदा कर सकता है।
पप्पू यादव के रहस्यमय संकेत
बिहार की राजनीति में हमेशा अपने बयान और शैली से हलचल मचाने वाले पप्पू यादव ने भी सोशल मीडिया पर हलचल मचा दी है। उन्होंने ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “यही रात अंतिम… यही रात भारी।” इस रहस्यमय पोस्ट ने राजनीतिक गलियारों में अटकलों का तूफ़ान खड़ा कर दिया है। क्या वे किसी नए गठबंधन की घोषणा करने वाले हैं या किसी मोर्चे में शामिल होने जा रहे हैं—इस पर फिलहाल सस्पेंस बरकरार है।
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दल-बदल का सिलसिला जारी
चुनाव की घोषणा के साथ ही बिहार में दल-बदल का दौर भी तेज हो गया है। पूर्व सांसद अरुण कुमार ने अपने बेटे ऋतुराज कुमार के साथ जदयू की सदस्यता ग्रहण की। पटना स्थित जदयू कार्यालय में आयोजित इस समारोह में संजय झा और ललन सिंह भी मौजूद थे। जदयू इस नए शामिल होने को अपनी राजनीतिक ताकत के विस्तार के रूप में देख रही है, जबकि विपक्ष इसे “पहले से तय स्क्रिप्ट” करार दे रहा है।
विश्लेषण: सीटों की सियासत या रणनीति की कसौटी
बिहार का यह चुनाव सिर्फ राजनीतिक दलों का संघर्ष नहीं, बल्कि विश्वसनीय चेहरों और मजबूत ज़मीनी समीकरणों की परीक्षा है।
हर पार्टी जानती है कि सीटों का सिर्फ गणित नहीं चलता—यह समीकरण समाजिक ताने-बाने, जातीय संतुलन और जनभावनाओं से जुड़ा है।
“बिहार की राजनीति में इस वक़्त सिर्फ एक सवाल गूंज रहा है… कौन बनाएगा पटना की गद्दी पर अपनी मंशा की कहानी? एक ओर नीतीश कुमार के भरोसे का दावा है, दूसरी ओर तेजस्वी यादव का जोश। बीच में जनता का गणित वही पुराना किस पर भरोसा करें, जो वादा निभाए या जो जोश दिखाए?”
नतीजा: उलझन बढ़ी, उत्साह कायम
बिहार चुनाव 2025 के लिए अब तस्वीर धीरे-धीरे साफ़ हो रही है, लेकिन सस्पेंस अभी बाकी है। एनडीए और महागठबंधन दोनों ही “मनमाफिक सीटों” के जाल में उलझे हैं, जबकि तीसरे मोर्चे की तैयारियाँ दिन प्रतिदिन तेज़ हो रही हैं। अब निगाहें टिक गई हैं 13 अक्टूबर पर जब तेज प्रताप यादव अपने “बड़े ऐलान” के साथ इस चुनावी परिदृश्य में नई हलचल मचा सकते हैं।
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