Pawan Singh BJP: भोजपुरी फिल्मों के सुपरस्टार और गायक पवन सिंह राजनीति में भी लगातार सुर्खियों में बने हुए हैं। बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले उनकी बीजेपी नेताओं से हुई मुलाकात ने बड़ी हलचल पैदा की। दरअसल, पवन सिंह और बीजेपी के रिश्ते लोकसभा चुनाव 2024 में बिगड़ गए थे, लेकिन अब नाराज़गी दूर होती दिख रही है। आइए जानते हैं कि विवाद की असली वजह क्या थी और कैसे सुलझा।
क्यों बिगड़े थे रिश्ते?
लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान बीजेपी ने पवन सिंह को पश्चिम बंगाल की आसनसोल सीट से टिकट दिया था। लेकिन अचानक ही उन्होंने नाम वापस ले लिया। इसके बाद उन्होंने बागी तेवर दिखाते हुए बिहार की काराकाट सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया।
समस्या यह थी कि काराकाट सीट पहले ही एनडीए सहयोगी और पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा को दी गई थी। पवन सिंह का चुनाव मैदान में उतरना सीधे-सीधे एनडीए के खिलाफ जाना था। नतीजतन, बीजेपी ने उनसे किनारा कर लिया और रिश्तों में खटास आ गई।

उपेंद्र कुशवाहा का बिगड़ा खेल
पवन सिंह के निर्दलीय उम्मीदवार बनने से काराकाट सीट पर मुकाबला पूरी तरह बदल गया।
- पवन सिंह को मिले 2,74,723 वोट
- एनडीए प्रत्याशी उपेंद्र कुशवाहा को मिले 2,53,876 वोट
- सीपीआई(एम-एल) उम्मीदवार राज राम सिंह को मिले 3,80,581 वोट
इन नतीजों से साफ दिखा कि पवन सिंह खुद तो जीत नहीं पाए, लेकिन एनडीए प्रत्याशी कुशवाहा भी हार गए। विरोधियों को फायदा मिला और बीजेपी को बड़ा झटका लगा। यहीं से पवन सिंह और पार्टी के बीच गहरी दूरी बन गई।
पिघली बर्फ, कम हुई नाराजगी
समय बीतते-बीतते पवन सिंह और बीजेपी के बीच वार्ता का रास्ता खुला। विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने पहले उपेंद्र कुशवाहा से मिलकर रिश्तों में आई खटास को दूर किया। इसके बाद उन्होंने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से भी मुलाकात की। इस मुलाकात ने साफ कर दिया कि अब पुराने मतभेद खत्म हो चुके हैं।
बीजेपी के बिहार प्रभारी विनोद तावड़े ने भी बयान दिया कि “पवन सिंह बीजेपी में थे, हैं और आगे भी रहेंगे। वे बिहार चुनाव में एनडीए के लिए प्रचार करेंगे।”
अब आरा से चुनाव की चर्चा
पवन सिंह की राजनीति में वापसी के बीच अब यह चर्चा तेज हो गई है कि उन्हें बिहार की आरा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ाया जा सकता है। अगर ऐसा हुआ तो यह बीजेपी और एनडीए की रणनीति में बड़ा बदलाव साबित होगा। भोजपुरी बेल्ट में पवन सिंह की लोकप्रियता पार्टी के लिए चुनावी फायदे का सौदा बन सकती है।
क्या होगा आगे?
- पवन सिंह अगर आरा से टिकट पाते हैं तो उनकी स्टार पावर एनडीए के लिए बड़ा हथियार होगी।
- बीजेपी का मकसद पवन सिंह के वोटबैंक को एनडीए के पक्ष में मोड़ना है।
- पहले के विवाद पर अब दोनों ही पक्ष पर्दा डालते दिख रहे हैं।
पवन सिंह और बीजेपी का विवाद अब पीछे छूटता दिख रहा है। नाराज़गी भुलाकर वे फिर से एनडीए कैंप में लौट आए हैं। अब सभी की नज़र इस बात पर टिकी है कि क्या सचमुच पवन सिंह आरा से मैदान में उतरेंगे और बिहार विधानसभा चुनाव में क्या नया मोड़ आएगा।
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