Bihar Election 2025 NDA Lead: लखनऊ से लेकर पटना तक आज राजनीतिक तापमान अपने चरम पर है। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की मतगणना के शुरुआती रुझानों ने जैसे ही NDA को बढ़त दिलाई, वैसे ही सत्ता के गलियारों से लेकर दलों के दफ्तरों तक उत्साह की लहर दौड़ गई। लखनऊ स्थित बीजेपी और जेडीयू कैंपों में माहौल उतना ही गर्म है, जितना पटना की सियासी धड़कनें। बिहार का चुनाव भले ही एक राज्य का चुनाव हो, लेकिन इसके नतीजों की गूंज दिल्ली और लखनऊ के राजनीतिक गणित में भी निर्णायक असर डालती है, और आज वही तस्वीर बनती हुई दिखाई दे रही है।
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NDA की शुरुआती बढ़त राजनीतिक संदेश गहरा
बिहार से मिल रहे रुझानों में NDA जितनी सीटों पर आगे है, उतना ही सवालों का अंबार भी खड़ा हो रहा है। क्या यह विकास मॉडल की जीत है? क्या यह विपक्ष की रणनीतिक कमजोरी है? या फिर यह मतदाता का फैसला है कि स्थिरता चाहिए, प्रयोग नहीं? कहा जा सकता है, ‘मतदाता ने एक बार फिर राजनीतिक कथाओं को अपने अंदाज़ में पलट दिया है। टीवी स्टूडियो में बनाई गई धारणाओं से अलग, ज़मीन की हवा कहीं और बह रही थी।‘

जेडीयू दफ्तर में जश्न की शुरुआत, ढोल-नगाड़ों की गूंज
पटना के जेडीयू दफ्तर में तो जैसे रुझानों ने दीपावली से पहले ही उत्सव का माहौल बना दिया हो। कार्यकर्ता पटाखे फोड़ते और नारे लगाते पार्टी दफ्तर के बाहर ढोल की थाप पर थिरकते समर्थक नितीश कुमार के पोस्टर और कटआउट पर फूलों की बारिश ‘फिर नीतीश फिर विकास’ जैसे नारे गूंजते जेडीयू और बीजेपी दोनों खेमों में माहौल उत्साहपूर्ण है, लेकिन सबसे दिलचस्प बात यह है कि जेडीयू दफ्तर में यह जश्न पार्टी के आत्मविश्वास को भी दिखाता है, एक संकेत कि नीतीश कुमार का नेतृत्व अभी भी बिहार की राजनीतिक कहानी में केंद्रीय भूमिका निभा रहा है।
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लखनऊ में क्यों उमड़ी दिलचस्पी?
लखनऊ में राजनीतिक पर्यवेक्षक इस चुनाव को सिर्फ बिहार तक सीमित संदर्भ में नहीं देखते।
● 2027 यूपी चुनाव
● 2029 लोकसभा चुनाव
● केंद्र–राज्य राजनीतिक संतुलन
इन सबके गणित पर बिहार का यह चुनाव प्रत्यक्ष असर डालेगा। यूपी के सत्ता गलियारों में आज चर्चा यही है, ‘अगर बिहार में NDA को मजबूत जनादेश मिलता है, तो यह पूर्वी भारत की राजनीति में नई धारा तैयार कर सकता है।‘
विपक्ष ‘महागठबंधन’ पर दबाव बढ़ा
रुझानों में NDA की मजबूत स्थिति ने महागठबंधन की रणनीति पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
● क्या नेतृत्व का चेहरा कमजोर था?
● क्या गठबंधन की ऑन-ग्राउंड तैयारी कमजोर रही?
● क्या जनमानस को समझने में देरी हुई?
यह रुझान अगर परिणामों में बदलते हैं, तो विपक्ष के सामने आत्ममंथन की बड़ी चुनौती खड़ी होगी।
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मतगणना आगे बढ़ने के साथ तस्वीर और स्पष्ट होगी
अभी तस्वीर पूरी नहीं है, लेकिन संकेत साफ हैं—
● NDA के लिए बढ़त का ट्रेंड स्थिर
● जेडीयू में सबसे ज्यादा उत्साह
● बीजेपी नेतृत्व बिहार के फैसले को राष्ट्रीय संदेश की तरह देख रहा
● विपक्ष के लिए शाम मुश्किल हो सकती है
चुनाव सिर्फ सत्ता बदलने का खेल नहीं होता, यह जनता के मन को पढ़ने की प्रक्रिया है। और आज बिहार का मतदाता यही बता रहा है, ‘विकास, स्थिरता और विश्वास इन तीनों का संतुलन तय करता है चुनाव की दिशा।‘
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