Bihar Election 2025: बिहार में विधानसभा चुनाव की दस्तक ने सियासी तापमान को चरम पर पहुंचा दिया है। एक तरफ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जनसभाओं से “सुशासन” का शंखनाद गूंज रहा है, तो दूसरी तरफ महागठबंधन के भीतर टिकट बंटवारे को लेकर मचा घमासान रुकने का नाम नहीं ले रहा। सवाल अब यह है कि जनता किस पर भरोसा करेगी — एनडीए की एकजुटता पर या महागठबंधन की अंदरूनी जंग में उलझी राजनीति पर?
नीतीश कुमार की गर्जना -‘बिहार बोलेगा विकास’
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज एक जनसभा में कहा – ‘जिन्होंने बिहार को पीछे धकेला, वे आज विकास की बात करते हैं। हमने सड़क, बिजली, शिक्षा और रोजगार हर गांव तक पहुंचाया। महिलाएं आत्मनिर्भर बनी हैं — यही असली विकास है।’ उनकी आवाज़ में आत्मविश्वास था और संकेत साफ़ -एनडीए अपने काम और एकता के बल पर जनता के दरवाजे जा रहा है। जेडीयू और बीजेपी दोनों के प्रचार अभियानों में अब जोश देखने लायक है। कार्यकर्ता बूथ स्तर तक सक्रिय हैं, सोशल मीडिया पर प्रचार तेज है, और नीतीश कुमार का संदेश साफ़ है – ‘इस बार भी जनता एनडीए पर भरोसा करेगी।
READ MOR: काराकाट सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ेंगी भोजपुरी स्टार पवन सिंह की पत्नी ज्योति सिंह

महागठबंधन की मुश्किलें- 11 सीटें और अनंत विवाद
उधर, महागठबंधन का घर अभी संभला नहीं है। सूत्रों के मुताबिक़ आरजेडी, कांग्रेस और वाम दलों के बीच 11 सीटों को लेकर खींचतान जारी है। कांग्रेस अपने परंपरागत इलाकों में वर्चस्व चाहती है, जबकि आरजेडी अपने मजबूत गढ़ों से पीछे हटने को तैयार नहीं। वाम दलों का तर्क है कि पिछली बार जहां प्रदर्शन अच्छा रहा, वहीं से उन्हें दोबारा मौका मिलना चाहिए। नतीजा यह है कि कई सीटों पर महागठबंधन के दो-दो उम्मीदवारों के आमने-सामने आने की नौबत बन रही है। यह स्थिति न केवल कार्यकर्ताओं में भ्रम पैदा कर रही है, बल्कि जनता के मन में भी असमंजस गहरा रहा है।
एनडीए का पलटवार -‘हम काम करते हैं, वे वादे’
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा-‘महागठबंधन के नेता आपसी झगड़ों में फंसे हैं, जबकि हम जनता के मुद्दों पर काम कर रहे हैं। बिहार जानता है, विकास का मतलब एनडीए है।’ वास्तव में, एनडीए इस वक्त एक संगठित चेहरा दिखा रहा है – जहां हर दल की रणनीति स्पष्ट है और लक्ष्य एक- “2025 में फिर सरकार।’राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, एनडीए इस बार “विकास बनाम भ्रम” का नैरेटिव आगे बढ़ा रहा है। वहीं, महागठबंधन अपने ही अंदर के टकराव से उबर नहीं पा रहा।
READ MORE: पंचकूला में रोशनी और खुशियों से जगमगाई दिवाली, सीएम नायब सैनी ने बांटी मिठास
महागठबंधन की अंदरूनी चोट – टिकट से लेकर नेतृत्व तक असंतोष
महागठबंधन के कई स्थानीय नेता टिकट वितरण को लेकर खुले तौर पर असंतोष जता रहे हैं। कुछ ने तो यह तक कह दिया है कि अगर टिकट नहीं मिला तो वे निर्दलीय रूप में मैदान में उतरेंगे। यह संकेत खतरनाक है – क्योंकि इससे न सिर्फ वोटों का बिखराव होगा, बल्कि विपक्ष की “एकता” की कहानी कमजोर पड़ जाएगी।इस अंदरूनी कलह से एनडीए को अप्रत्यक्ष लाभ मिलने की संभावना जताई जा रही है। बीजेपी और जेडीयू के रणनीतिकार अब इस असंतोष को “विकल्पहीनता” के रूप में जनता के बीच पेश करने में जुटे हैं।
चुनावी नब्ज़- जनता अब देख रही है किसका वादा सच्चा
बिहार की जनता ने हर चुनाव में समझदारी दिखाई है। 2025 का यह चुनाव सिर्फ पार्टियों की नहीं, बल्कि ‘विश्वास की राजनीति” का इम्तिहान है।महागठबंधन को अपनी अंतर्कलह सुलझानी होगी, वरना उसका ‘गठबंधन’ केवल कागज़ पर रह जाएगा। दूसरी ओर, नीतीश कुमार की हुंकार ने स्पष्ट कर दिया है कि एनडीए मैदान में उतर चुका है संदेश सीधा है, ‘बिहार बदला है, अब पीछे नहीं जाएगा।
READ MORE: शाहाबुद्दीन का दरबार , सीवान का वह खौफ, जिसने पूरे बिहार को हिला दिया था, पूरी खौफनाक कहानी
सियासत का रण, जनता की अदालत
बिहार की राजनीति एक बार फिर दिलचस्प मोड़ पर है। मंच पर नीतीश कुमार की आवाज़ में भरोसा है, जबकि महागठबंधन की बैठकों में संदेह।
आने वाले दिनों में तय होगा कि बिहार की जनता ‘विकास के ब्रांड’ पर भरोसा करती है या ‘परिवर्तन के वादे’ पर। पर इतना तो तय है – इस बार बिहार की सियासत का रण सिर्फ़ वोटों का नहीं, विश्वास का चुनाव होगा।
Follow Us: YouTube| TV TODAY BHARAT LIVE | Breaking Hindi News Live | Website: Tv Today Bharat| X | FaceBook | Quora| Linkedin | tumblr | whatsapp Channel | Telegram
