Bihar Jeevika: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को वर्चुअल माध्यम से बिहार राज्य जीविका निधि साख सहकारी संघ लिमिटेड (Bihar Rajya Jeevika Nidhi Saakh Sahkari Sangh Limited) की शुरुआत की। यह नई सहकारी पहल ग्रामीण महिला उद्यमियों को सस्ती दरों पर ऋण उपलब्ध कराने के उद्देश्य से शुरू की गई है, जिससे उन्हें आत्मनिर्भर और सशक्त बनाया जा सके।
माइक्रोफाइनेंस पर निर्भरता होगी कम
आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, जीविका निधि को “एक वैकल्पिक वित्तीय प्रणाली” के रूप में तैयार किया गया है, जो माइक्रोफाइनेंस संस्थानों (MFIs) पर महिलाओं की निर्भरता को कम करेगी और उन्हें कम ब्याज दर पर अधिक ऋण उपलब्ध कराएगी। वर्तमान में माइक्रोफाइनेंस संस्थान 18% से 24% तक की ब्याज दर वसूलते हैं, जिससे ग्रामीण महिलाओं पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ता है।
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केंद्र और राज्य सरकार की संयुक्त पहल
इस नई व्यवस्था में बिहार सरकार और केंद्र सरकार दोनों का संयुक्त निवेश होगा। इस योजना के तहत प्रधानमंत्री मोदी ने संस्थान के बैंक खाते में 105 करोड़ रुपये स्थानांतरित कर इसकी शुरुआत की। यह राशि योजना के प्रारंभिक संचालन और ग्रामीण महिला समूहों के लिए वित्तीय सहायता को गति देगी।
महिला सशक्तिकरण पर प्रधानमंत्री का जोर
लॉन्च के अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने महिलाओं के सशक्तिकरण को भारत की प्रगति का अहम स्तंभ बताया। उन्होंने कहा,
“भारत के विकास का एक बड़ा आधार हमारी महिलाएं हैं। महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए उनके जीवन से हर तरह की कठिनाइयों को दूर करना जरूरी है। यही कारण है कि हम माताओं, बहनों और बेटियों का जीवन आसान बनाने के लिए कई कदम उठा रहे हैं।”
उन्होंने यह भी कहा कि जीविका निधि के माध्यम से महिलाएं न केवल आर्थिक रूप से सशक्त होंगी, बल्कि उद्यमिता के क्षेत्र में भी अपनी नई पहचान बना सकेंगी।
स्वयं सहायता समूहों को मिलेगा लाभ
जीविका के तहत पंजीकृत सभी क्लस्टर स्तरीय महासंघ (Cluster Level Federations – CLFs) इस सहकारी संस्था के सदस्य बनेंगे। इससे स्वयं सहायता समूहों (Self-Help Groups – SHGs) से जुड़ी महिलाओं को एक नया और सस्ता वित्तीय विकल्प मिलेगा, जिससे वे महंगे माइक्रोफाइनेंस संस्थानों की शर्तों से मुक्त हो सकेंगी।
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पूरी तरह डिजिटल प्लेटफॉर्म पर आधारित व्यवस्था
नई व्यवस्था पूरी तरह डिजिटल प्लेटफॉर्म पर आधारित होगी। इस प्लेटफॉर्म के माध्यम से ऋण राशि को सीधे जीविका दीदियों के बैंक खातों में स्थानांतरित किया जाएगा। इससे न केवल समय की बचत होगी, बल्कि प्रक्रिया में पारदर्शिता भी बनी रहेगी।
डिजिटल ट्रांजिशन को आसान बनाने के लिए 12,000 सामुदायिक कैडर को टैबलेट उपलब्ध कराए जा रहे हैं, जिससे वे गांव-गांव जाकर महिलाओं को इस नई व्यवस्था के लाभों के बारे में जानकारी दे सकें और ऋण प्रक्रिया में तकनीकी सहयोग प्रदान कर सकें।
ग्रामीण विकास की दिशा में बड़ा कदम
विशेषज्ञों का मानना है कि यह पहल ग्रामीण अर्थव्यवस्था में बड़ा बदलाव लाने वाली साबित होगी। इससे ग्रामीण महिलाएं आसानी से पूंजी प्राप्त कर अपने छोटे व्यवसाय शुरू कर पाएंगी या पहले से चल रहे व्यवसाय का विस्तार कर सकेंगी। कृषि, पशुपालन, हस्तशिल्प और अन्य ग्रामीण उद्योगों में काम कर रही महिलाएं इस योजना से सबसे अधिक लाभान्वित होंगी।
भविष्य की संभावनाएं
विश्लेषकों का कहना है कि यह मॉडल देश के अन्य राज्यों में भी लागू किया जा सकता है। यदि इस पहल का संचालन पारदर्शिता और दक्षता के साथ किया गया, तो यह आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में एक सफल प्रयोग बन सकता है।
प्रधानमंत्री मोदी की यह पहल न केवल वित्तीय स्वतंत्रता की ओर एक कदम है, बल्कि महिलाओं को देश की आर्थिक वृद्धि में साझेदार बनाने का ठोस प्रयास भी है।
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