अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा टैरिफ (शुल्क) में किए गए बदलावों का असर अब दुनिया भर के व्यापार पर दिखने लगा है। खासकर भारत के लिए यह फैसला उम्मीद की नई रोशनी लेकर आया है। ट्रंप प्रशासन ने कुछ एशियाई और यूरोपीय देशों से आने वाले कृषि और खाद्य उत्पादों पर शुल्क बढ़ा दिया है। इससे भारतीय मसालों, चाय और काजू के लिए अमेरिकी बाजार में बड़ी संभावनाएं खुल गई हैं।
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भारत दुनिया के सबसे बड़े मसाला उत्पादकों में शामिल है, हल्दी, मिर्च, जीरा, धनिया समेत कई मसाले अमेरिका में भारी मात्रा में भेजे जाते हैं। वहीं, दार्जिलिंग और असम की चाय को पहले से ही वहां प्रीमियम कैटेगरी में गिना जाता है। काजू का निर्यात भी पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ा है। अब टैरिफ बदलावों के बाद इन उत्पादों की मांग और भी तेजी से बढ़ सकती है।
टैरिफ बढ़ने से भारतीय उत्पादों को मिलेगी कीमत में बढ़त
ट्रंप के फैसले के बाद अमेरिका में जिन देशों पर शुल्क बढ़ाया गया है, वहां से आने वाले उत्पाद महंगे हो जाएंगे। जब किसी देश का माल महंगा होता है, तो आयातक स्वाभाविक रूप से सस्ती और गुणवत्ता वाली वैकल्पिक सप्लाई की तलाश करते हैं। यही वह जगह है जहां भारत को बड़ा फायदा मिल सकता है। भारतीय मसाले, चाय और काजू न सिर्फ दुनिया में अपनी गुणवत्ता के लिए मशहूर हैं, बल्कि हमारे उत्पाद कीमत के हिसाब से भी ज्यादा प्रतिस्पर्धी हैं। अमेरिकी कंपनियां अब बड़े सप्लायर बदलने की ओर देख रही हैं, जिसके चलते भारत को अधिक ऑर्डर मिलने की संभावना है।
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मसालों के निर्यात में आएगी तेजी
वैश्विक स्तर पर मसालों की मांग लगातार बढ़ रही है। अमेरिका भारतीय हल्दी, काली मिर्च, इलायची और रेड चिली के लिए एक बड़ा बाजार है। शुल्क बढ़ने से अन्य देशों के मसाले महंगे होंगे, जबकि भारत की कीमतें स्थिर रहेंगी । भारतीय मसालों की पहले से ही मजबूत ब्रांड वैल्यू है। भारतीय एक्सपोर्टर्स को बड़े रिटेल चैनलों से नए कॉन्ट्रैक्ट मिलने की संभावना बन रही है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि आने वाले छह महीनों में मसालों के निर्यात में 12–15% की बढ़ोतरी दर्ज हो सकती है।
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चाय उद्योग को मिलेगा नया बाजार और बेहतर रेट
दार्जिलिंग और असम की चाय अमेरिका के चुनिंदा उपभोक्ताओं में पहले से लोकप्रिय है। लेकिन कीमत की प्रतिस्पर्धा की वजह से कई बार भारतीय चाय को उतनी बढ़त नहीं मिल पाती थी। अब जब प्रतिस्पर्धी देशों की चाय महंगी होगी, तो भारतीय चाय को लाभ मिलेगा। अमेरिकी चाय कंपनियों में भारतीय चाय के प्रति रुचि बढ़ रही है। ग्रीन टी और हर्बल टी की मांग भी लगातार बढ़ रही है। निर्यातकों के अनुसार 10–12% की वृद्धि आने की संभावना है।
काजू का निर्यात रिकॉर्ड स्तर छू सकता है
भारत दुनिया के प्रमुख काजू प्रोसेसिंग देशों में से एक है। काजू की क्वालिटी को लेकर भारत की वैश्विक पहचान बहुत मजबूत है। अमेरिका में काजू स्नैक्स, बेकरी और चॉकलेट इंडस्ट्री में भारी मात्रा में इस्तेमाल होता है। शुल्क बढ़ने से एशिया के कुछ अन्य देशों से आने वाला काजू महंगा हो जाएगा, जिससे भारत की पकड़ मजबूत होगी। अमेरिकी आयातकों ने पहले ही भारतीय सप्लायरों से पूछताछ बढ़ाना शुरू कर दी है। काजू निर्यात में 18-20% तक उछाल की उम्मीद है।
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भारत की अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक असर
इन तीन प्रमुख उत्पादों के निर्यात में बढ़ोतरी से भारत को कई तरह से फायदा होगा । किसानों को बेहतर दाम मिलेंगे। प्रोसेसिंग यूनिट्स में रोजगार बढ़ेगा। विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि होगी। भारत-अमेरिका के व्यापारिक संबंध और मजबूत होंगा। सरकार भी निर्यात बढ़ाने के लिए लॉजिस्टिक्स और शिपिंग की लागत कम करने पर काम कर रही है, जिससे यह बढ़त और स्थाई हो सकती है। डोनाल्ड ट्रंप के नए टैरिफ फैसले ने वैश्विक बाजार में हलचल जरूर मचाई है, लेकिन भारत के लिए यह बड़ा अवसर भी लेकर आया है। मसालों, चाय और काजू जैसे बड़े निर्यात उत्पाद अब अमेरिकी बाजार में और मजबूत स्थिति हासिल कर सकते हैं। यदि भारत इस मौके का सही उपयोग करता है, तो आने वाले महीनों में इन सेक्टरों में रिकॉर्ड वृद्धि देखी जा सकती है।
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