NEW DELHI। भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने हाल ही में यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे युद्ध को लेकर एक अहम टिप्पणी की। उन्होंने इस पूरे युद्ध को “मिसकैल्क्युलेशन” यानी गलत आकलन बताया। उनके मुताबिक, यह जंग सिर्फ दो देशों तक सीमित नहीं रही बल्कि इसने पूरी दुनिया की राजनीति, अर्थव्यवस्था और सैन्य रणनीति को हिला कर रख दिया है।
जनरल द्विवेदी का कहना है कि युद्ध शुरू करने वाले पक्ष को यह अंदाजा ही नहीं था कि यह टकराव इतना लंबा खिंच जाएगा। शुरुआत में शायद सोचा गया था कि कुछ हफ्तों या महीनों में सब सुलझ जाएगा, लेकिन अब यह लड़ाई सालों से जारी है और इसका कोई साफ़ अंत दिखाई नहीं दे रहा।
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दुनिया की राजनीति पर असर
यूक्रेन युद्ध ने वैश्विक राजनीति का पूरा संतुलन बिगाड़ दिया है। एक तरफ रूस के खिलाफ अमेरिका और यूरोपीय देश खड़े हैं, वहीं दूसरी तरफ रूस को चीन और कुछ अन्य देशों का समर्थन मिलता दिख रहा है। इससे दुनिया दो खेमों में बंट गई है। नतीजा ये कि छोटे-छोटे देशों पर भी दबाव बढ़ गया है कि वे किसका साथ दें। भारत जैसे बड़े और तटस्थ देश के लिए यह स्थिति और चुनौतीपूर्ण हो गई है क्योंकि हमें अपने राष्ट्रीय हितों को भी ध्यान में रखना है।
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अर्थव्यवस्था और आम जनता पर बोझ
इस युद्ध ने सिर्फ गोलियों और बमों की गूंज ही नहीं फैलाई, बल्कि दुनिया की अर्थव्यवस्था को भी हिला दिया। तेल और गैस की कीमतों में उतार-चढ़ाव, खाद्यान्न की कमी, सप्लाई चेन पर असर – यह सब सीधे-सीधे आम आदमी की जेब पर भारी पड़ा है। यूरोप में महंगाई बढ़ी, एशिया में बाजार डगमगाए और गरीब देशों के लिए हालात और मुश्किल हो गए।
सैन्य रणनीति की नई तस्वीर
जनरल उपेंद्र द्विवेदी का कहना है कि इस युद्ध से दुनिया की सेनाओं को भी बड़ा सबक मिला है। अब पारंपरिक युद्ध यानी टैंक और तोप से लड़ने की रणनीति बदल रही है। ड्रोन, साइबर अटैक और सैटेलाइट टेक्नोलॉजी ने युद्ध की दिशा बदल दी है। भारत जैसी उभरती ताकतों के लिए यह जरूरी है कि हम इन नए युद्ध तरीकों को समझें और अपनी तैयारी उसी हिसाब से करें।
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भारत की भूमिका
भारत शुरू से ही शांति का पक्षधर रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कई बार साफ कहा है कि “यह युद्ध का युग नहीं है।” भारत ने दोनों देशों से बातचीत और कूटनीति के जरिए समाधान निकालने की अपील की है। जनरल द्विवेदी की यह टिप्पणी भारत की उसी सोच को आगे बढ़ाती है कि जंग किसी समस्या का हल नहीं है, बल्कि इससे और मुश्किलें पैदा होती हैं।
कुल मिलाकर, भारतीय सेना प्रमुख की यह टिप्पणी हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि युद्ध किसी भी समस्या का हल नहीं, बल्कि एक “गलतफहमी” है जो पूरे विश्व को संकट में डाल देती है। यूक्रेन युद्ध ने यह साबित कर दिया कि ताकतवर देश भी जब गलत आकलन कर बैठते हैं तो उसका खामियाजा पूरी दुनिया को भुगतना पड़ता है।
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