Proud of our Constitution: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को भारतीय संविधान की मजबूती और स्थिरता की तारीफ की। न्यायपालिका ने यह बात तब कही जब नेपाल और बांग्लादेश जैसे पड़ोसी देशों में राजनीतिक अशांति और हिंसा की घटनाएं सामने आईं। मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी.आर. गवाई ने कहा, “हम अपने संविधान पर गर्व करते हैं… जब हम पड़ोसी देशों में हो रही घटनाओं को देखते हैं, जैसे कि कल नेपाल में जो हुआ।”
Read More: क्रॉस-वोटिंग का चौंकाने वाला सच: विपक्ष के 15 वोट बेकार, NDA ने की भारी जीत हांसिल
CJI बी.आर. गवाई की अध्यक्षता वाली पाँच न्यायाधीशों की संविधान पीठ – जिसमें न्यायमूर्ति सूर्य कांत, विक्रम नाथ, पी.एस. नरसिंह और ए.एस. चंदुरकर शामिल हैं – राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा किए गए संदर्भ (Reference) की सुनवाई कर रही है। यह संदर्भ राज्य विधायिकाओं द्वारा प्रस्तुत किए गए बिलों पर राष्ट्रपति और राज्यपालों के कार्रवाई समयसीमा से संबंधित है।
बिलों पर डेटा पेश करने पर बहस
सुनवाई के दौरान यह चर्चा हुई कि क्या पक्षकारों को विभिन्न बिलों की स्थिति पर प्रायोगिक डेटा (Empirical Data) पेश करने की अनुमति दी जानी चाहिए।
सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता ने CJI की टिप्पणियों का समर्थन किया।
Read More: उप-राष्ट्रपति चुनाव परिणाम 2025 पूरा अपडेट्स, सी.पी. राधाकृष्णन बने भारत के 15वें उप-राष्ट्रपति
वरिष्ठ अधिवक्ता ए.एम. सिंहवी ने कुछ डेटा पेश करने की कोशिश की, लेकिन मेहता ने इसके खिलाफ आपत्ति जताई। मेहता ने कहा कि उनके पास 1970 से डेटा है, जो दिखाता है कि पिछले 55 वर्षों में केवल 20 बिलों को रोका गया। उन्होंने कहा, “मेरे पास डेटा है जो दिखाता है कि 90 प्रतिशत बिलों पर एक महीने के भीतर सहमति दी जाती है… और छह महीने से अधिक रुके बिल बहुत कम हैं।”
सिंहवी ने कहा कि मेहता का यह डेटा पेश करना अन्य पक्षकारों के लिए अनुचित है, क्योंकि उन्हें पहले ऐसा डेटा पेश करने की अनुमति नहीं थी।
पश्चिम बंगाल के लिए पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने भी कहा कि उन्हें अपने राज्यों के बिलों की स्थिति पर डेटा साझा करने की अनुमति नहीं दी गई।
Read More: यूक्रेन-रूस टकराव पर बोली भारतीय सेना – गलत आकलन का नतीजा है यह जंग
एकतरफा डेटा पेश नहीं किया जा सकता
पीठ ने सॉलिसिटर जनरल को समझाया कि किसी एक पक्ष को डेटा पेश करने की अनुमति दी जाती है, जबकि दूसरों को नहीं, तो यह निष्पक्ष नहीं होगा। CJI ने कहा,
“अगर आप उनके डेटा साझा करने पर आपत्ति कर रहे थे, तो यह नियम आप पर भी लागू होना चाहिए। अब आप पूरे भारत का डेटा पेश नहीं कर सकते… पहले आप आपत्ति कर चुके हैं।”
मेहता ने कहा कि उनका मकसद यह दिखाना था कि 90 प्रतिशत बिलों पर एक महीने के भीतर सहमति दी जाती है। न्यायमूर्ति नाथ ने पूछा, “लेकिन इसका प्रासंगिकता क्या है?”
मेहता ने उत्तर दिया कि केवल 20 बिलों को पिछले 55 वर्षों में रोका गया।
न्यायमूर्ति नाथ ने कहा, “देश संविधान और लोकतंत्र के साथ लगातार 75 वर्षों से चल रहा है, चाहे 50 बिल रोके गए हों या 90 प्रतिशत सहमति मिली हो। राज्यों और केंद्र सरकार का कामकाज निरंतर चल रहा है। इसे छोड़ दीजिए।”
पड़ोसी देशों की घटनाओं का हवाला
CJI बी.आर. गवाई ने कहा, “हम अपने संविधान पर गर्व करते हैं… जब हम पड़ोसी देशों में हो रही घटनाओं को देखते हैं, जैसे कि कल नेपाल में जो हुआ।” सॉलिसिटर जनरल मेहता ने भी इसे दोहराया, “हां, हम संविधान पर गर्व करते हैं।” न्यायमूर्ति नाथ ने कहा, “पहले बांग्लादेश में अशांति हुई थी।” CJI ने कहा, “नेपाल में यह घटना सिर्फ दो दिन पहले हुई।”
सुनवाई से यह स्पष्ट हुआ कि भारतीय संविधान की स्थिरता और लोकतंत्र की मजबूती भारत के लिए गर्व की बात है। न्यायपालिका ने यह भी रेखांकित किया कि राज्यपालों और राष्ट्रपति द्वारा बिलों पर समय पर कार्रवाई सुनिश्चित करना संविधान की कार्यप्रणाली में शामिल है, और डेटा की बहस केवल कानूनी मुद्दों तक सीमित होनी चाहिए।
