Malaria: अमेरिका के वैज्ञानिकों ने मलेरिया के खिलाफ एक नई उम्मीद जगाई है। यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं द्वारा विकसित एक नई मोनोक्लोनल एंटीबॉडी MAM01 ने शुरुआती क्लिनिकल ट्रायल में बेहतरीन नतीजे दिखाए हैं। यह एंटीबॉडी शरीर में लंबे समय तक संक्रमण से सुरक्षा दे सकती है, जिससे मलेरिया रोकथाम के पारंपरिक तरीकों में क्रांतिकारी बदलाव संभव है।
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ट्रायल के परिणाम: प्रभावी और सुरक्षित
यह अध्ययन The Lancet Infectious Diseases पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। फेज-1, डबल-ब्लाइंड, प्लेसीबो-कंट्रोल्ड ट्रायल में 38 स्वस्थ वयस्कों को शामिल किया गया था, जिनकी उम्र 18 से 50 वर्ष के बीच थी और जिन्हें पहले कभी मलेरिया नहीं हुआ था।
- प्रतिभागियों को MAM01 की अलग-अलग मात्रा या प्लेसीबो दिया गया।
- इसके बाद उन्हें नियंत्रित माहौल में मलेरिया से संक्रमित मच्छरों के संपर्क में लाया गया।
रिजल्ट
जिन लोगों को MAM01 की उच्चतम खुराक दी गई, उनमें से किसी को भी मलेरिया नहीं हुआ, जबकि प्लेसीबो लेने वाले सभी संक्रमित हो गए।
साथ ही, किसी भी प्रतिभागी में गंभीर दुष्प्रभाव नहीं देखे गए।
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विशेषज्ञों की राय
मुख्य शोधकर्ता प्रोफेसर किर्स्टन ई. लाइक ने कहा,
“यह नई मोनोक्लोनल एंटीबॉडी मलेरिया रोकथाम के तरीके को पूरी तरह बदल सकती है। एक ही इंजेक्शन से महीनों तक सुरक्षा मिल सकती है — यह तत्काल और लंबी अवधि की ढाल की तरह काम करेगी।”
सह-लेखक प्रोफेसर मैथ्यू बी. लॉरेन्स के अनुसार,
“यह न केवल विज्ञान के लिए बल्कि स्वास्थ्य समानता (health equity) के लिए भी बड़ी उपलब्धि है। मलेरिया अब भी गरीब देशों में बच्चों की जान ले रहा है, और यह खोज उस दिशा में राहत दे सकती है।”
मलेरिया: वैश्विक चुनौती
मलेरिया हर साल लगभग 6 लाख से अधिक लोगों की जान लेता है, जिनमें अधिकतर बच्चे और गर्भवती महिलाएं शामिल होती हैं। अफ्रीका के कई देशों में अब भी यह बीमारी एक बड़ी सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है। मौजूदा टीके और दवाएं सीमित प्रभाव दिखा पाती हैं, जबकि परजीवी के नए वेरिएंट सामने आते रहते हैं।
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नई आशा की किरण
MAM01 एंटीबॉडी का यह शुरुआती परिणाम मलेरिया रोकथाम के क्षेत्र में एक नया मील का पत्थर साबित हो सकता है। यदि आगे के बड़े ट्रायल भी सफल रहे, तो यह बच्चों और गर्भवती महिलाओं को मलेरिया से बचाने का तेज़, सरल और प्रभावी समाधान बन सकता है। एक इंजेक्शन = महीनों की सुरक्षा। यह शोध न केवल विज्ञान की जीत है, बल्कि मानवता के लिए आशा की नई किरण भी है।
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