Kullu, Himachal Pradesh (TTB): राजनीति के मैदान में सिनेमा की चमक जब उतरती है तो संवाद कुछ ज्यादा धारदार हो जाते हैं। भाजपा सांसद कंगना रनौत ने हिमाचल की जमीन से कांग्रेस और राहुल गांधी पर सीधा हमला बोला। उन्होंने न सिर्फ फंड डायवर्जन का आरोप लगाया बल्कि राहुल गांधी पर तंज कसते हुए सवाल उठाया-“राहुल जी को यहां किस काम के लिए बुलाया गया है?”
भाजपा सांसद और विपक्ष पर वार
कंगना रनौत, जो खुद को देसी बहादुर और राष्ट्रवादी सुर के तौर पर पेश करती हैं, उन्होंने कुल्लू में प्रेस से बातचीत के दौरान कहा—
“पहले भी केंद्र से राशि आती रही है। दुख की बात है कि अंदेशा लगाया जा रहा है कि यहां से फंड डायवर्ट हो रहे हैं। कांग्रेस पार्टी यहां से फंड डायवर्ट कर रही है। उन पर भ्रष्टाचार के बहुत आरोप लग रहे हैं। ये चिंता का कारण है। कहीं भी काम नहीं हो रहा है।”
यह बयान सीधे-सीधे कांग्रेस के खिलाफ उनकी सियासी रणनीति को उजागर करता है। सवाल यह भी है कि क्या भाजपा सांसद के इस बयान का मकसद सिर्फ राहुल गांधी पर प्रहार करना था या फिर हिमाचल की राजनीति में कांग्रेस को घेरना?

हिमाचल का राजनीतिक परिदृश्य
हिमाचल प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस के बीच सत्ता की अदला-बदली हमेशा से रही है। यहां जनता का मूड हर पाँच साल में बदल जाता है। लेकिन 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद भाजपा की पकड़ और मजबूत हुई है।
कंगना रनौत, जो मंडी से सांसद बनीं, अब पार्टी की स्टार प्रचारक भी बन चुकी हैं। ऐसे में उनके हर बयान को सिर्फ व्यक्तिगत प्रतिक्रिया नहीं माना जा सकता। यह भाजपा की राजनीतिक लाइन का हिस्सा है।
राहुल गांधी पर तंज क्यों?
कंगना रनौत के बयान में सबसे ज्यादा चर्चा का विषय रहा उनका कटाक्ष—“राहुल जी को यहां…”। यह सीधा-सीधा सवाल है कि राहुल गांधी आखिर हिमाचल में क्यों आए, उनका यहां क्या योगदान है, और क्या जनता उन्हें स्वीकार करती है?
यहां यह समझना जरूरी है कि भाजपा हमेशा से राहुल गांधी को अपनी राजनीति का सबसे आसान निशाना मानती रही है। राहुल पर हमला करना, कांग्रेस पर हमला करने का सीधा तरीका माना जाता है। कंगना का बयान भी उसी सिलसिले की कड़ी है।
भ्रष्टाचार बनाम विकास
कंगना ने अपने भाषण में भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाकर कांग्रेस की सरकारों को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि केंद्र से जो राशि विकास कार्यों के लिए आती है, वह जनता तक नहीं पहुंच पाती।
भ्रष्टाचार का आरोप भारतीय राजनीति में नया नहीं है। लेकिन कंगना का आरोप एक अलग सियासी संदेश देता है। वह बताना चाहती हैं कि भाजपा की सरकार ‘विकास और पारदर्शिता’ की राजनीति करती है, जबकि कांग्रेस ‘फंड डायवर्ट’ कर अपने नेताओं को चमकाने का काम करती है।
भाजपा का भविष्य और कंगना की भूमिका
कंगना रनौत राजनीति में नई जरूर हैं, लेकिन उनके बयानबाजी का तरीका बिल्कुल फिल्मी है। वह मीडिया की सुर्खियों में रहना जानती हैं।
भाजपा के लिए कंगना एक ऐसा चेहरा बन चुकी हैं, जो भावनात्मक अपील भी करती हैं और आक्रामकता भी दिखाती हैं। पार्टी को यह समझ है कि राहुल गांधी पर हमला कंगना के मुंह से ज्यादा असरदार लगता है क्योंकि वह ‘गैर-राजनीतिक’ बैकग्राउंड से आई हैं।
कांग्रेस की चुनौती
अब सवाल है कि कांग्रेस इन हमलों का जवाब कैसे देगी? हिमाचल में कांग्रेस की सरकार है, लेकिन कंगना जैसे बयानों से वह लगातार दबाव में आती रही है। भ्रष्टाचार और फंड डायवर्जन जैसे आरोप अगर जनता के बीच बैठे तो कांग्रेस को बड़ा नुकसान हो सकता है। राहुल गांधी की छवि पहले से ही ‘विरोधाभासी’ रही है। ऐसे में कंगना जैसे तेजतर्रार चेहरे जब उन पर सवाल उठाते हैं, तो कांग्रेस को और मुश्किलें झेलनी पड़ती हैं।
राहुल गांधी और जनता का रिश्ता
यहां एक बड़ा सवाल यह भी है कि राहुल गांधी और जनता के बीच का रिश्ता आखिर किस दिशा में जा रहा है? जनता राहुल को एक विकल्प मानती है या सिर्फ एक स्थायी विपक्षी नेता? कंगना के तंज का असली मतलब यही है कि राहुल गांधी अब भी जनता के विश्वास की कसौटी पर खरे नहीं उतर पाए।
मीडिया और सियासत का संगम
कंगना रनौत का हर बयान मीडिया की सुर्खियां बनता है। वजह साफ है—वह फिल्म इंडस्ट्री की स्टार हैं और राजनीति में नया चेहरा हैं। उनका हर तंज, हर कटाक्ष ज्यादा ‘मसालेदार’ लगता है।
मीडिया भी जानता है कि कंगना के बयान से खबर बिकेगी, बहस होगी और राजनीति में हलचल बढ़ेगी। इस लिहाज से भाजपा ने एक ऐसा हथियार अपने हाथ में लिया है जो सिर्फ तलवार नहीं, बल्कि तमाशा भी पेश करता है।
कुल मिलाकर, कंगना रनौत का राहुल गांधी पर यह हमला सिर्फ हिमाचल की राजनीति तक सीमित नहीं है। यह भाजपा की उस राष्ट्रीय रणनीति का हिस्सा है, जिसमें कांग्रेस को भ्रष्टाचार और राहुल गांधी को ‘अयोग्य नेता’ के तौर पर पेश किया जाता है।
कंगना का सवाल—“राहुल जी को यहां किसलिए बुलाया गया?”—सिर्फ एक तंज नहीं, बल्कि एक राजनीतिक संदेश है। हिमाचल की वादियों में यह तंज गूंजा जरूर है, लेकिन इसका असर दिल्ली तक पहुंचेगा या नहीं, यह वक्त तय करेगा।
