India-Arab League Meeting: नई दिल्ली में सोमवार को भारत और अरब लीग के प्रतिनिधियों के बीच एक अहम बैठक हुई, जिसमें दोनों पक्षों ने आपसी सहयोग को और मज़बूत करने पर ज़ोर दिया। यह बैठक विदेश मंत्रालय की सचिव (दक्षिण) नीना मल्होत्रा की अध्यक्षता में हुई। इसमें भारत और अरब देशों के वरिष्ठ अधिकारी, राजदूत और नीति सलाहकार शामिल हुए। यह बैठक भारत और अरब देशों के बीच ऐतिहासिक रिश्तों को नए युग में आगे बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।
चर्चा के प्रमुख मुद्दे
बैठक के दौरान कई अहम विषयों पर चर्चा हुई
- व्यापार और निवेश के अवसरों को बढ़ाने
- ऊर्जा सुरक्षा और खाद्य आपूर्ति
- शिक्षा और सांस्कृतिक सहयोग
- राजनीतिक और सुरक्षा मामलों में तालमेल पर विशेष ध्यान दिया गया।
भारत ने अरब देशों को ‘विश्वसनीय साझेदार’ बताते हुए कहा कि पश्चिम एशिया भारत की ऊर्जा ज़रूरतों का मुख्य केंद्र है, जबकि अरब देशों के लिए भारत एक बड़ा उपभोक्ता बाज़ार है।
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भारत और अरब देशों के रिश्ते सदियों पुराने हैं। प्राचीन काल में समुद्री व्यापार मार्गों से मसालों, कपड़ों और मोतियों का आदान–प्रदान होता था। सांस्कृतिक दृष्टि से भी दोनों क्षेत्रों के बीच गहरी समानताएं रही हैं। आज वही संबंध आधुनिक युग में व्यापार, शिक्षा और तकनीकी सहयोग के रूप में आगे बढ़ रहे हैं। अरब लीग के सदस्य देशों में लाखों भारतीय प्रवासी भी काम करते हैं, जो दोनों क्षेत्रों के बीच एक ‘मानवीय पुल’ की भूमिका निभा रहे हैं।
नई संभावनाएं और रणनीतिक सहयोग
- ऊर्जा और निवेश – भारत अब स्वच्छ ऊर्जा और हरित हाइड्रोजन के क्षेत्र में अरब देशों के साथ मिलकर काम करना चाहता है।
- खाद्य सुरक्षा – भारत और अरब क्षेत्र के बीच कृषि एवं खाद्य आपूर्ति श्रृंखला को मज़बूत करने पर भी चर्चा हुई।
- सांस्कृतिक सहयोग – दोनों पक्षों ने शिक्षा, पर्यटन, कला और मीडिया में साझेदारी बढ़ाने पर सहमति जताई।
- क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा – समुद्री मार्गों की सुरक्षा, आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त प्रयास और मानवीय सहायता जैसे विषय भी एजेंडे में रहे।
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भारत-अरब लीग की यह बैठक सिर्फ कूटनीतिक संवाद नहीं बल्कि ‘भविष्य की साझेदारी’ की दिशा में ठोस पहल है। दोनों पक्षों ने इस बात पर सहमति जताई कि आने वाले वर्षों में व्यापार, निवेश, ऊर्जा, संस्कृति और सुरक्षा के क्षेत्र में और भी गहराई से सहयोग बढ़ाया जाएगा। भारत के लिए यह बैठक इसलिए भी अहम रही क्योंकि अरब क्षेत्र उसकी आर्थिक, रणनीतिक और सांस्कृतिक नीतियों का अभिन्न हिस्सा है। वहीं अरब लीग के देशों के लिए भारत एक उभरता हुआ तकनीकी और निवेश केंद्र बन चुका है।
इस बैठक से यह साफ संदेश गया है कि भारत और अरब दुनिया अब केवल दोस्त नहीं, बल्कि साझा विकास के भागीदार हैं, जो मिलकर एशिया और मध्य-पूर्व के भविष्य को नई दिशा देने की क्षमता रखते हैं।
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