Jammu Kashmir: जम्मू-कश्मीर की सियासत में शुक्रवार का दिन ऐतिहासिक रहा। राज्यसभा की चार रिक्त सीटों पर हुए चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) ने तीन सीटों पर शानदार जीत दर्ज की, जबकि भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने एक सीट अपने नाम कर ली। इस चुनावी परिणाम ने एक बार फिर यह साबित किया कि घाटी में क्षेत्रीय दलों का प्रभाव अब भी मजबूत है।
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कौन जीते -एनसी के तीन, बीजेपी के एक उम्मीदवार
नेशनल कॉन्फ्रेंस ने जिन नेताओं को राज्यसभा भेजा है, उनमें कुपवाड़ा के वरिष्ठ नेता चौधरी मोहम्मद रमज़ान, पूर्व विधायक सज्जाद किचलू, और पार्टी कोषाध्यक्ष शम्मी ओबेरॉय शामिल हैं। वहीं, बीजेपी की ओर से सत शर्मा, जो जम्मू-कश्मीर बीजेपी इकाई के अध्यक्ष हैं, चौथी सीट पर विजयी हुए। यह सीट सबसे ज्यादा विवादित रही और अंत तक परिणाम रोमांचक बना रहा।
कांग्रेस, पीडीपी और निर्दलीयों के समर्थन से एनसी को बढ़त
एनसी की जीत उसके अपने संख्या बल के साथ-साथ कांग्रेस, पीडीपी और कुछ निर्दलीय विधायकों के समर्थन का नतीजा रही।
कांग्रेस ने पहले दो ‘सुरक्षित सीटों’ पर लड़ने की इच्छा जताई थी, लेकिन जब उसे चौथी सीट की पेशकश हुई तो उसने मना कर दिया।
इससे एनसी को सभी चार सीटों पर खुद उतरना पड़ा और यही बीजेपी के लिए मौका बन गया।
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ओमर अब्दुल्ला बोले – ‘हम अंत तक लड़े, पर हमें निराश किया गया‘
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री और एनसी के उपाध्यक्ष ओमर अब्दुल्ला ने परिणामों के बाद कहा —
“हमने चौथी सीट के लिए पूरी मेहनत की, लेकिन हमें आखिरी वक्त पर निराश किया गया। फिर भी, हम लोकतांत्रिक प्रक्रिया का सम्मान करते हैं और सभी विजेताओं को बधाई देते हैं।”
ओमर के इस बयान से स्पष्ट है कि एनसी को कांग्रेस और अन्य सहयोगियों से आखिरी क्षणों में अपेक्षित समर्थन नहीं मिला।
🕊️ पीडीपी ने विपक्षी एकता दिखाई- कहा ‘जनहित में फैसला’
महबूबा मुफ्ती की पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) ने विपक्षी एकता की मिसाल पेश करते हुए एनसी उम्मीदवारों को वोट दिया।
पीडीपी विधायक वहीद पारा ने कहा —
‘यह मुकाबला बीजेपी बनाम एनसी था। हमने जम्मू-कश्मीर के व्यापक हित को ध्यान में रखते हुए एनसी का समर्थन किया।’
महबूबा मुफ्ती ने पहले ही घोषणा की थी कि एनसी दो विधेयकों पर पीडीपी को समर्थन देगी, जिसके बाद यह राजनीतिक सौहार्द और गहरा गया।
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बीजेपी का प्रदर्शन – जम्मू में पकड़ बरकरार
हालांकि बीजेपी केवल एक सीट जीत पाई, लेकिन यह जीत उसके लिए बड़ी रणनीतिक सफलता मानी जा रही है। पार्टी प्रदेश अध्यक्ष सत शर्मा की जीत से स्पष्ट है कि बीजेपी अब भी जम्मू क्षेत्र में अपनी मजबूत पकड़ बनाए हुए है। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले विधानसभा चुनावों में यह जीत बीजेपी के लिए ऊर्जा का काम करेगी।
राजनीतिक विश्लेषण -विपक्षी एकजुटता बनाम रणनीतिक चालें
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, यह चुनाव केवल चार सीटों का नहीं बल्कि राजनीतिक ध्रुवीकरण और विपक्षी एकता की परीक्षा थी।
नेशनल कॉन्फ्रेंस ने तीन सीटें जीतकर यह दिखाया कि क्षेत्रीय दलों की ताकत अब भी निर्णायक है, जबकि बीजेपी ने साबित किया कि उसका संगठनात्मक नेटवर्क और रणनीति अभी भी काम कर रही है।
निष्कर्ष- जम्मू-कश्मीर की सियासत में नया संतुलन
इस परिणाम ने यह संकेत दिया है कि जम्मू-कश्मीर की राजनीति में कोई भी दल अकेले नहीं चल सकता। एनसी की तीन सीटें इसे सत्ता के केंद्र में लाती हैं, जबकि बीजेपी की एक सीट उसके स्थायी राजनीतिक प्रभाव की झलक देती है। ओमर अब्दुल्ला का ‘आखिरी पल में धोखा’ वाला बयान आने वाले राजनीतिक समीकरणों को और दिलचस्प बना सकता है।
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