Tanuja Kanwer on Women: भारत की महिला क्रिकेट टीम ने 2025 वर्ल्ड कप जीतकर न सिर्फ़ ट्रॉफी उठाई है, बल्कि उन सपनों को भी ज़मीन दी है जो सालों से भारतीय लड़कियों की आंखों में पलते रहे थे। यह जीत एक खेल की जीत नहीं, बल्कि सामाजिक सोच, इच्छाशक्ति और उस नई पीढ़ी की जीत है जो अब क्रिकेट को ‘महिला’ और ‘पुरुष’ के फ़ॉर्मेट में नहीं, बल्कि ‘खेल’ के रूप में देखना चाहती है। इसी ऐतिहासिक जीत की पृष्ठभूमि में भारतीय बाएं हाथ की स्पिन ऑलराउंडर तानुजा कंवर ने एक महत्वपूर्ण बात कही,इस वर्ल्ड कप के बाद भारत में महिला क्रिकेट अगले स्तर पर पहुंचेगी।‘ तानुजा की यह बात सिर्फ उत्साह नहीं, बल्कि उस बदलाव की कहानी है, जो पिछले कुछ वर्षों में लगातार गहराता गया है।
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देश में महिला क्रिकेट की नई सुबह
तानुजा कहती हैं कि पिछले दो साल भारतीय महिला क्रिकेट के लिए ‘ऐतिहासिक’ रहे,
U-19 महिला T20 विश्व कप की जीत
India A की विदेशी सीरीज़ में धमाकेदार प्रदर्शन
18 साल बाद ऑस्ट्रेलिया को भारत में हराने का कमाल और फिर 2025 ODI Women’s World Cup की ट्रॉफी
यह सब संयोग नहीं है। यह उस मेहनत, संरचना और अवसरों का परिणाम है जो अब भारतीय क्रिकेट महिला खिलाड़ियों को दे रहा है। तानुजा साफ कहती हैं, वर्ल्ड कप जीतना बहुत ज़रूरी था। इससे महिला क्रिकेट की दिशा ही बदल जाएगी।
WPL: बदलाव की असली शुरुआत
भारत की Women’s Premier League-WPL-ने घरेलू क्रिकेट के ‘DNA’ को बदल दिया है। पहले घरेलू स्तर से सीधे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में कूदना खिलाड़ियों के लिए आसान नहीं था। अनुभव की कमी नज़र आती थी। लेकिन विदेशों की दिग्गज खिलाड़ियों के साथ ड्रेसिंग रूम साझा करना, प्रेशर गेम खेलना,बड़े मंचों का तनाव झेलना, इन सबने भारतीय खिलाड़ी को ‘मैच्योर’ बनाया। तानुजा मानती हैं, ‘WPL ने लड़कियों को नर्वस होना बंद करा दिया। अब खिलाड़ी भारतीय टीम में आते ही सहज महसूस करती हैं।‘
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ऑस्ट्रेलिया में तानुजा की मैच-विनिंग पारी
ब्रिस्बेन में India A की जीत में तानुजा का साहस दिखा। एक मुश्किल स्थिति-157/6- और वहाँ से धैर्य, संयम और रणनीति का खेल,
तानुजा की 57 गेंदों पर महत्वपूर्ण हाफ सेंचुरी
प्रेमा रावत के साथ 62 रन की साझेदारी
बिना जोखिम लिए 6-7 ओवर तक 5-6 रन प्रति ओवर का लक्ष्य और फिर आखिरी ओवरों में नियंत्रित आक्रमण यह पारी भारत की नई महिला क्रिकेट सोच को बयान करती है-
स्मार्ट क्रिकेट, शांत दिमाग और शुद्ध जज़्बा।
स्पिन का सरल मंत्र: ‘विकेट-टू-विकेट’
तानुजा अपने गेंदबाज़ी मंत्र को बहुत साफ शब्दों में समझाती हैं- ‘मैं कोशिश करती हूं कि लगातार विकेट-टू-विकेट गेंद डालूं। इससे रन कम मिलते हैं और विकेट की संभावना बढ़ जाती है।‘ यह रणनीति सिर्फ तकनीक नहीं, दिमागी क्रिकेट का हिस्सा है। दबाव जब बढ़ता है, तो विकेट कहीं न कहीं से निकलता ही है तानुजा का यही भरोसा है।
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WPL 2026 की प्रतीक्षा… और उम्मीदें
गुजरात जायंट्स ने उन्हें रिटेन नहीं किया है, लेकिन तानुजा उम्मीद रखती हैं कि मेगा ऑक्शन (27 नवंबर, दिल्ली) में कोई टीम उन्हें ज़रूर अपने साथ लेगी। उनके शब्द सादगी और आत्मविश्वास दोनों का मिश्रण हैं, ‘उम्मीद है कि टीम मिलेगी… बाकी सब किस्मत है।‘
उस पिता को सलाम, जिनकी वजह से तानुजा ने बल्ला उठाया, तानुजा के क्रिकेट सफर की सबसे खूबसूरत बात है उनका परिवार।उनके पिता- खुद क्रिकेट प्रेमी, बेटियों के साथ खेलते, प्रतिभा पहचानी और फिर तानुजा का दाखिला HPCA अकादमी, धर्मशाला में करवाया। यह कहानी बताती है कि हर बेटी के सपनों के पीछे यदि परिवार की एक हां मिल जाए, तो आसमान छोटा पड़ जाता है।
भारतीय महिला क्रिकेट अब सिर्फ उभर नहीं रहा… बदल रहा है। भारत की वर्ल्ड कप जीत यह घोषणा है कि,अब महिला क्रिकेट ‘अगले स्तर’ पर पहुंचेगा ही नहीं, बल्कि उसे परिभाषित करेगा। तानुजा कंवर जैसी खिलाड़ियों की आत्मविश्वासी आवाज़ इसी बदलाव की पहचान है।
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