Trump Ariff Impact: चंडीगढ़ में भारी बारिश के कारण रोज़ गार्डन पानी में डूब गया है, जिससे स्थानीय लोगों और पर्यटकों दोनों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। लगातार हो रही बारिश ने शहर के कई हिस्सों में जलभराव की स्थिति पैदा कर दी है, जिसमें सेक्टर-16 स्थित प्रसिद्ध रोज़ गार्डन भी शामिल है। यह गार्डन, जो अपने खूबसूरत फूलों और हरे-भरे वातावरण के लिए प्रसिद्ध है, इस समय पानी में पूरी तरह से डूब चुका है। प्रशासन ने राहत कार्य शुरू कर दिए हैं, लेकिन मौसम विभाग की भविष्यवाणी के अनुसार आने वाले कुछ दिनों तक बारिश का सिलसिला जारी रह सकता है।

भारी बारिश से गार्डन में लगे कई पौधे और फूल खराब हो गए हैं, जिससे न केवल उसकी सुंदरता प्रभावित हुई है, बल्कि पर्यटकों की संख्या में भी भारी गिरावट आई है। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि गार्डन की सफाई और ड्रेनेज सिस्टम पर समय रहते ध्यान दिया गया होता तो स्थिति इतनी गंभीर नहीं होती। कई जगहों पर जलभराव के कारण लोगों को आने-जाने में भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
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नगर निगम और प्रशासन की टीमें मौके पर मौजूद हैं और पानी निकासी के लिए पंपिंग मशीनों का उपयोग किया जा रहा है। इसके साथ ही, बागवानी विभाग ने यह सुनिश्चित करने के लिए विशेष टीमों का गठन किया है कि गार्डन के पौधों को जल्द से जल्द बचाया जा सके। फिलहाल, गार्डन में प्रवेश पर अस्थायी रोक लगा दी गई है, ताकि किसी भी प्रकार की दुर्घटना से बचा जा सके।

मौसम विभाग ने चंडीगढ़ और आसपास के इलाकों में अगले 48 घंटों तक और बारिश की चेतावनी जारी की है। प्रशासन ने नागरिकों से सतर्क रहने, जलभराव वाले इलाकों में न जाने और सुरक्षा नियमों का पालन करने की अपील की है। इस घटना ने एक बार फिर से शहरी जल निकासी व्यवस्था की खामियों को उजागर कर दिया है, जिससे भविष्य में ऐसी समस्याओं से बचने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता महसूस की जा रही है।
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विशेषज्ञों का कहना है कि बदलते मौसम पैटर्न और अचानक होने वाली भारी बारिश को देखते हुए शहर की इंफ्रास्ट्रक्चर व्यवस्था को मजबूत करना बेहद जरूरी है। अगर समय रहते उचित कदम नहीं उठाए गए, तो भविष्य में इस तरह की घटनाएं आम हो सकती हैं और इससे न केवल शहर की सुंदरता पर असर पड़ेगा, बल्कि पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
.ट्रंप के टैरिफ से भदोही के कालीन उद्योग पर संकट
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत से आने वाले उत्पादों पर 50% टैरिफ लगाने के फैसले ने भारतीय निर्यातकों के लिए बड़ी चिंता खड़ी कर दी है। इस फैसले का सबसे बड़ा असर उत्तर प्रदेश के भदोही जिले पर पड़ा है, जिसे ‘कालीन नगरी’ के नाम से जाना जाता है। भदोही का कालीन न केवल भारत में बल्कि दुनिया के कई देशों में अपनी उत्कृष्टता के लिए मशहूर है।

कालीन उद्योग की अंतरराष्ट्रीय पहचान
भदोही और आसपास के इलाके में कालीन उद्योग हजारों लोगों की रोज़ी-रोटी का आधार है। यहां के कालीन अपनी गुणवत्ता, डिजाइन और हस्तकला के लिए प्रसिद्ध हैं। अमेरिका भदोही के कालीनों के लिए सबसे बड़ा निर्यात बाजार रहा है। लेकिन ट्रंप सरकार के टैरिफ बढ़ाने के फैसले ने इस उद्योग को गहरा झटका दिया है।
टैरिफ बढ़ने से क्यों बढ़ी परेशानी?
अमेरिका ने भारतीय उत्पादों पर 50% टैक्स लगाने का ऐलान किया है। इसका मतलब है कि जो कालीन पहले 100 डॉलर में अमेरिका के बाजार में बिकता था, अब उसकी कीमत 150 डॉलर हो जाएगी। इतने महंगे होने के बाद अमेरिकी ग्राहक भारतीय कालीनों की बजाय तुर्की, ईरान और नेपाल जैसे देशों के कालीन खरीदना पसंद करेंगे। इससे भारतीय कालीनों की डिमांड में भारी गिरावट आई है।
भदोही के व्यापारियों की राय
हमारी टीम ने जब भदोही के कालीन उद्योग से जुड़े व्यापारियों और निर्यातकों से बात की, तो उनकी परेशानी साफ झलक रही थी। एक निर्यातक ने कहा,
“हमारे लिए अमेरिका सबसे बड़ा बाजार है। 50% टैरिफ के बाद हमारे प्रोडक्ट की कीमत बढ़ गई है। ग्राहक अब हमसे दूर हो रहे हैं। ऑर्डर कैंसिल हो रहे हैं, और मजदूरों के पास काम नहीं है।”
एक अन्य कारोबारी ने बताया,
“कालीन उद्योग पहले ही बढ़ती लागत और कच्चे माल की दिक्कतों से जूझ रहा था। अब यह टैरिफ हमारी कमर तोड़ देगा। सरकार को तुरंत इस पर कूटनीतिक स्तर पर बात करनी चाहिए।”

रोज़गार पर संकट
भदोही में हजारों परिवार कालीन बुनाई पर निर्भर हैं। जैसे-जैसे ऑर्डर घट रहे हैं, मजदूर बेरोजगार हो रहे हैं। कई छोटे बुनकरों ने काम बंद कर दिया है। उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि अगर हालात ऐसे ही रहे, तो आने वाले समय में कालीन उद्योग को भारी नुकसान होगा और रोजगार का बड़ा संकट खड़ा होगा।
सरकार से उम्मीदें
कारोबारी उम्मीद कर रहे हैं कि भारत सरकार अमेरिका से बातचीत कर टैरिफ को कम करवाए। साथ ही नए बाजार तलाशने की कोशिशें तेज की जाएं, ताकि निर्यातकों को नुकसान की भरपाई हो सके। अगर समय रहते कदम नहीं उठाए गए, तो भदोही के कालीन उद्योग का भविष्य अंधकारमय हो सकता है।
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