Bareilly Police Action। उत्तर प्रदेश के बरेली शहर में शुक्रवार को हुई हिंसा ने पूरे शहर को हिला कर रख दिया। अब इस मामले में पुलिस और प्रशासन ने कई बड़े खुलासे किए हैं। जानकारी मिली है कि यह हिंसा अचानक नहीं हुई, बल्कि इसकी प्लानिंग पांच दिन पहले से चल रही थी। पुलिस के अनुसार, जो लोग इस साजिश में शामिल थे, उनकी पहचान की जा रही है और सभी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
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पुलिस ने स्पष्ट किया कि सभी उपद्रवियों और साजिश में शामिल लोगों पर NSA यानी नेशनल सिक्योरिटी एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी। साथ ही, जो लोग हिंसा का आयोजन कर रहे थे, उनके खिलाफ भी NSA लगाने की तैयारी की जा रही है। इस पूरी जांच में पुलिस CDR यानी कॉल डेटा रिकॉर्ड्स की भी जांच कर रही है और बरेली के हिंसाग्रस्त इलाकों में लगे CCTV फुटेज खंगाल कर उपद्रवियों की पहचान की जा रही है।
अब तक इस हिंसा के सिलसिले में कुल 10 FIR दर्ज की जा चुकी हैं। वहीं, पुलिस ने 39 लोगों को गिरफ्तार किया है। अधिकारियों का कहना है कि जल्द ही और गिरफ्तारी हो सकती हैं।

सड़क पर पोस्टर और प्रदर्शन
पुलिस के मुताबिक, शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद मस्जिद के बाहर स्थानीय लोग जमा हुए। यह भी जानकारी मिली है कि यह प्रदर्शन ‘आई लव मोहम्मद’ अभियान के समर्थन में आयोजित किया गया था। इस आह्वान के पीछे मौलाना तौकीर रजा का हाथ था, जो स्थानीय धर्मगुरु और इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल के प्रमुख हैं।
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नमाज के बाद कोतवाली क्षेत्र में स्थित मौलाना तौकीर के आवास और मस्जिद के पास भारी भीड़ जमा हो गई। प्रशासन ने विरोध प्रदर्शन की अनुमति नहीं दी थी, लेकिन भीड़ ने आखिरी समय में इसका विरोध किया और अपना गुस्सा जाहिर किया।
बरेली हिंसा का वीडियो वायरल
सोशल मीडिया और टीवी चैनलों पर हिंसा के कई वीडियो वायरल हुए। इन वीडियो में देखा जा सकता है कि लोग लाठियों से लैस पुलिस के साथ भिड़ते हैं। वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लेते नजर आए।
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जिलाधिकारी अविनाश सिंह ने संवाददाताओं से कहा, “स्थिति अब सामान्य और नियंत्रण में है। किसी अप्रिय घटना की सूचना नहीं है। हम लोगों से शांति और सद्भाव बनाए रखने की अपील कर रहे हैं।”

साजिश का इतिहास
पुलिस का कहना है कि बरेली हिंसा की जड़ें चार सितंबर के कानपुर केस तक जाती हैं। उस दिन कानपुर में बारावफात के जुलूस के दौरान कुछ लोगों ने कथित तौर पर सार्वजनिक सड़क पर ‘आई लव मोहम्मद’ लिखे बोर्ड लगाए थे। इस मामले में नौ नामजद और 15 अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
इस घटना के बाद बरेली में भी इसी तरह का उग्र प्रदर्शन हुआ। पुलिस और प्रशासन ने कहा है कि अब किसी को भी कानून हाथ में लेने की अनुमति नहीं दी जाएगी। सभी की पहचान और गिरफ्तारी की प्रक्रिया जारी है।
बरेली हिंसा ने एक बार फिर यह दिखा दिया कि किसी भी तरह की सामाजिक असहमति या धार्मिक मुद्दे को उग्र रूप देने से पूरा शहर प्रभावित हो सकता है। पुलिस की सख्ती और NSA के तहत कार्रवाई इस बात का संकेत है कि प्रशासन अब किसी को भी कानून के दायरे से बाहर नहीं जाने देगा।
यह घटना हम सभी के लिए चेतावनी है कि कानून और व्यवस्था बनाए रखना कितना जरूरी है। शांति और सद्भाव के बिना कोई भी समाज सुरक्षित नहीं रह सकता।
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