Swara Bhasker: आज एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक सभा में बॉलीवुड अभिनेत्री स्वरा भास्कर और सामाजिक कार्यकर्ता फहाद अहमद ने दिल्ली दंगों की साजिश मामले और पांच सालों से न्याय की प्रतीक्षा कर रही पीड़िताओं पर चर्चा की। सभा में उपस्थित लोग लंबे समय से चली आ रही अन्याय की कहानी सुनने और समझने के लिए जुटे थे।
साहस और उम्मीद की मिसाल
स्वरा भास्कर ने सभा की शुरुआत एक महिला की बहादुरी और साहस की तारीफ करते हुए की। उन्होंने कहा कि ऐसे लोग जो व्यक्तिगत अन्याय का सामना करते हुए भी उम्मीद नहीं खोते, समाज के लिए प्रेरणा स्रोत होते हैं। पांच सालों से जिस महिला ने अपने अधिकार और न्याय के लिए लड़ाई लड़ी, उसने हमें सिखाया कि कठिनाई कितनी भी बड़ी क्यों न हो, उम्मीद नहीं खोनी चाहिए।
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उन्होंने आगे कहा, “जब आप लगातार असफलताओं और झटकों का सामना करते हैं, तब भी अगर आप उम्मीद और संघर्ष का हाथ नहीं छोड़ते, तो यही असली साहस है।”

आरक्षण और पहचान का सवा
स्वरा ने CNRC के बाद हुई गिरफ्तारियों की घटना पर भी अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि यह लगता है कि कुछ पहचान वाले लोग ही ज्यादा सुरक्षित हैं, जबकि अल्पसंख्यक नाम या पहचान न रखने वाले लोग अक्सर न्याय से वंचित रह जाते हैं।
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उन्होंने स्पष्ट किया कि जो लोग विशेष पहचान के साथ जन्म लेते हैं, उनके लिए यह जिम्मेदारी बनती है कि वे CNRC विरोध और इसके संदेश को याद रखें और दूसरों तक फैलाएं। उनका कहना था, “सिर्फ अपनी सुरक्षा और अधिकार तक सीमित न रहें, बल्कि समाज के हर पीड़ित की आवाज़ को उठाना हमारी जिम्मेदारी है।”
विद्वानों और समाज की भूमिका
सभा में मौजूद विद्वानों और शिक्षित वर्ग के प्रति उन्होंने सम्मान व्यक्त किया। स्वरा ने कहा कि ज्ञान और शिक्षा का सही इस्तेमाल तभी होता है जब इसे समाज के कमजोर वर्ग के हित में लगाया जाए। उन्होंने यह भी जोड़ा कि, “हमें सिर्फ सोचने भर से काम नहीं चलेगा, हमें अपने कर्तव्यों को समझते हुए कार्रवाई करनी होगी।”
न्याय की प्रतीक्षा और उम्मीद
फहाद अहमद ने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि भारत का न्याय तंत्र मजबूत है, लेकिन इसमें कभी-कभी व्यक्तिगत भेदभाव और राजनीतिक दखलअंदाजी देखने को मिलती है। उन्होंने अपनी उम्मीद और विश्वास व्यक्त किया कि न्याय प्रणाली अंततः सही का पक्ष लेगी।
स्वरा ने भी जोर देकर कहा कि उनका सबसे बड़ा हथियार उनका अडिग विश्वास और उम्मीद है। उन्होंने कहा, “हम बार-बार निराश हुए, लेकिन उम्मीद नहीं छोड़ी। यही हमारी ताकत है।”
उन्होंने सभा में उपस्थित लोगों से अपील की कि वे न्याय की लड़ाई में धैर्य बनाए रखें और कभी हार न मानें।
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समाज के लिए संदेश
सभा का संदेश सरल और स्पष्ट था: अगर हम समाज के अन्याय और गलतियों के खिलाफ खड़े होते हैं, तो बदलाव संभव है। स्वरा और फहाद ने कहा कि समाज के हर नागरिक को जिम्मेदारी लेनी होगी कि वह अन्याय के खिलाफ आवाज उठाए।
उन्होंने सभा को समाप्त करते हुए यह कहा कि व्यक्तिगत अनुभव चाहे कितने भी कठिन क्यों न हों, लेकिन समाज की भलाई और न्याय की दिशा में हमारी लड़ाई कभी व्यर्थ नहीं जाती।
मुंबई की इस सभा में स्वरा भास्कर और फहाद अहमद ने न्याय, उम्मीद और साहस का संदेश दिया। पांच सालों से चली आ रही न्याय की प्रतीक्षा में भी निराशा नहीं खोने वाले पीड़ितों की कहानियों ने समाज को यह याद दिलाया कि अन्याय के खिलाफ लड़ना हर नागरिक का कर्तव्य है। इस सभा ने यह भी साबित किया कि यदि हम उम्मीद, साहस और संघर्ष को हाथ में पकड़ें, तो कोई भी अन्याय हमारी आवाज़ को दबा नहीं सकता।
