Dhirendra Shastri: देशभर में “I Love Muhammad” अभियान को लेकर सोशल मीडिया पर मचा बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा। इसी बीच बागेश्वर धाम सरकार के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने इस विवाद पर अपनी बेबाक राय रखी है। उन्होंने कहा कि “आई लव मुहम्मद” बोलने में कोई बुराई नहीं है, लेकिन अगर कोई “आई लव महादेव” कहे, तो उसे भी स्वीकार किया जाना चाहिए। शास्त्री ने कहा, “अगर कोई अपने आराध्य से प्रेम करता है तो इसमें कौन सी आपत्ति है? लेकिन जब बात नफरत और हिंसा की आती है, तो वहां धर्म नहीं, अधर्म शुरू हो जाता है।”
“आई लव मुहम्मद” से नहीं, नफरत के नारों से दिक्कत
धीरेंद्र शास्त्री ने बड़ी साफगोई से कहा कि किसी भी धर्म या उसके पैगंबर से प्रेम का इज़हार कोई अपराध नहीं है। लेकिन अगर “आई लव मुहम्मद” के साथ-साथ “सर तन से जुदा” जैसे नारे लगाए जाते हैं, तो यह समाज में जहर घोलने का काम करता है।
उनके शब्दों में —
“किसी से प्रेम करो, लेकिन अगर हिंसा की बात करोगे, तो न कानून छोड़ेगा और न हिंदू धर्म के लोग।”
शास्त्री ने यह भी कहा कि भारत एक ऐसा देश है जहां सभी धर्मों को समान सम्मान देने की परंपरा रही है। ऐसे में किसी के देवी-देवता या पैगंबर के नाम पर नफरत फैलाना भारत की आत्मा के खिलाफ है।
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“आई लव महादेव” भी चलेगा
धीरेंद्र शास्त्री ने अपने बयान में कहा कि “जैसे आप कहते हैं ‘आई लव मुहम्मद’, वैसे ही कोई कहे ‘आई लव महादेव’, तो उसमें भी प्रेम ही है। धर्म बदलने की बात नहीं, बल्कि प्रेम बांटने की बात होनी चाहिए।”
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उन्होंने समाज से अपील की कि वह धार्मिक प्रतीकों का उपयोग राजनीति या नफरत फैलाने के लिए न करे। “महादेव” और “मुहम्मद” दोनों ही प्रेम और करुणा के प्रतीक हैं, न कि हिंसा के।
“हिंदू धर्म क्षमाशील है, लेकिन कायर नहीं”
शास्त्री ने एक बार फिर अपने अंदाज़ में चेतावनी देते हुए कहा,
“हिंदू धर्म सहिष्णु है, क्षमाशील है, लेकिन कायर नहीं। अगर किसी ने सर तन से जुदा की बात की, तो कानून भी अपना काम करेगा और समाज भी जवाब देगा।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि इस देश में किसी को डरकर जीने की जरूरत नहीं है। “भारत के हर नागरिक को अपने आराध्य से प्रेम जताने का अधिकार है, लेकिन यह प्रेम किसी और की निंदा या हत्या की भावना में नहीं बदलना चाहिए।”
धर्म नहीं, इंसानियत सबसे बड़ी पहचान
धीरेंद्र शास्त्री ने अपने संबोधन में कहा कि भारत का मूल धर्म “मानवता” है। उन्होंने कहा, “महादेव ने भी सबको स्वीकार किया — राक्षसों को भी, देवताओं को भी। अगर हम महादेव के भक्त हैं, तो हमें भी सबको स्वीकार करना सीखना होगा।”
उन्होंने समाज से अपील की कि वह प्रेम, सह-अस्तित्व और संवाद की राह पर चले।
“हमें नारा देना चाहिए — आई लव ह्यूमैनिटी, क्योंकि जब इंसानियत बची रहेगी तभी धर्म भी सुरक्षित रहेगा।”
बयान का राजनीतिक और सामाजिक सन्देश
शास्त्री का यह बयान ऐसे समय में आया है जब सोशल मीडिया पर धार्मिक ध्रुवीकरण तेज़ी से बढ़ रहा है। “आई लव मुहम्मद” के जवाब में कई जगह “आई लव महादेव” ट्रेंड कर रहा है।
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धीरेंद्र शास्त्री का संदेश इस पूरे विवाद में संतुलन की आवाज़ की तरह सामने आया है। उन्होंने प्रेम और सम्मान की बात करते हुए यह भी स्पष्ट कर दिया कि हिंसा या धमकी की भाषा को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
अंत में — प्रेम ही सबसे बड़ा धर्म
बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर के इस बयान का सार यही है कि “प्रेम का संदेश दो, नफरत का नहीं।” धर्म कोई दीवार नहीं, बल्कि पुल है जो इंसान को इंसान से जोड़ता है।
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धीरेंद्र शास्त्री के शब्दों में,
“जो भगवान या पैगंबर से प्रेम करता है, वह किसी से बैर नहीं रख सकता। अगर रखता है, तो वह धर्म नहीं, अधर्म है।”
धर्म के नाम पर होड़ मचाने वाले इस दौर में धीरेंद्र शास्त्री का बयान एक आईना है — जो यह दिखाता है कि श्रद्धा का मतलब नफरत नहीं होता। जब देश “आई लव मुहम्मद” और “आई लव महादेव” में बंटता दिख रहा है, तब किसी का यह कहना कि “आई लव ह्यूमैनिटी” भी चलेगा — शायद यही इस समय की सबसे बड़ी सीख होगी।
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