Vrindavan Breaking: आज वृंदावन में महामंडलेश्वर राधा नंद गिरी जी के आश्रम में संत समाज की विशेष बैठक हुई, जिसमें करौली सरकार और उसके कथित पाखंडी रवैये को लेकर गहन चर्चा हुई। इस बैठक में प्रमुख रूप से श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर केस के मुख्य याचिका कर्ता दिनेश फलाहारी महाराज, महामंडलेश्वर राधा नंद गिरी, महामंडलेश्वर रामदास जी महाराज, अनिल शास्त्री जी, महंत मधुसूदन दास और साध्वी दिव्या देवी जी मौजूद रहे।
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बैठक में बोलते हुए दिनेश फलाहारी महाराज ने कहा कि श्रद्धालु अपने गुरुओं और संतों को भगवान के रूप में मानते हैं। लेकिन यदि वही संत और बाबाएं पाखंड और ठगी का रास्ता अपनाएंगे, तो समाज की भलाई कैसे संभव है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि प्रेमानंद जी ने स्वयं कहा था कि पाखंडियों से दूर रहें, माता-पिता की सेवा करें और यदि कोई श्रद्धालु बीमार है तो उसे डॉक्टर के पास भेजें, न कि अपने पास बुलाएं।
महामंडलेश्वर राधा नंद गिरी जी ने करौली सरकार के पाखंडी रवैये की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि यदि उन्होंने अपने पाखंड को बंद नहीं किया तो हम जूता और भाला दोनों का इस्तेमाल करेंगे। उन्होंने साफ-साफ कहा, “ऐसे पाखंडी को जूता से मारूंगी।” उनके इस बयान ने संत समाज में गंभीर चिंता के साथ-साथ साहसिक प्रतिक्रिया का भी संदेश दिया।
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महामंडलेश्वर रामदास जी महाराज ने महिलाओं को चेतावनी दी कि ऐसे कालनेमि संतों से दूर रहें और उनके बहकावे में न आएं। उनका कहना था कि समाज में ऐसे पाखंडी तत्वों की प्रवृत्ति नकारात्मक प्रभाव डाल रही है, और इससे महिलाओं और बच्चों को सबसे अधिक नुकसान होता है।
अनिल शास्त्री जी ने करौली सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि इस उम्र में भजन और साधना करनी चाहिए, लेकिन माया और प्रपंच के जाल में फंसना संत समाज और श्रद्धालुओं के लिए हानिकारक है। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे केवल धर्म और भक्ति के मार्ग पर ही चलें।
महंत मधुसूदन दास और साध्वी दिव्या देवी जी ने भी करौली सरकार के पाखंड की निंदा की। उन्होंने कहा कि ऐसे लोग समाज में भ्रम फैलाते हैं और श्रद्धालुओं का विश्वास तोड़ते हैं। उनका स्पष्ट संदेश था कि समाज को जागरूक रहना होगा और पाखंडी तत्वों को बेनकाब करना होगा।
बैठक में यह भी तय किया गया कि संत समाज भविष्य में ऐसे मामलों में मिलकर कड़ा कदम उठाएगा। समाज के प्रतिष्ठित संतों ने मिलकर यह संदेश दिया कि धर्म और भक्ति का सही मार्ग ही समाज की भलाई में सहायक है।
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इस बैठक का मुख्य उद्देश्य करौली सरकार जैसे पाखंडी बाबाओं के खिलाफ संत समाज और श्रद्धालुओं को जागरूक करना और उनके प्रपंच को उजागर करना था। साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया कि समाज केवल भक्ति और सेवा के मार्ग पर ही चल सकता है, जबकि पाखंड और छल-कपट समाज के लिए हानिकारक हैं।
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